शाहजी राजे भोंसले का इतिहास और जीवनी

शाहजी राजे भोंसले का इतिहास और जीवनी (Shahaji Raje Bhonsale History In Hindi)

0 से शुरू करके जिस तरह से “शाहजी राजे भोंसले” ने अपना प्रभाव बनाया वह वाकई में बहुत बड़ी बात थी। 17 वी शताब्दी का समय था। भोसले परिवार का नाम बढ़ाने वाले यह पहले व्यक्ति थे। तंजौर, कोल्हापुर और सतारा शाहजी भोंसले की देन है। छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे वीर योद्धा और उन्होंने जन्म दिया था जो आगे चलकर मराठा साम्राज्य और हिंदू स्वराज्य की स्थापना की।

पूर्ण नाम (Full Name Of Shahaji Bhonsale)- शाहजी राजे भोंसले।

पिता का नाम- माले जी भोंसले।

जन्म- 18 मार्च 1594 ई.

निधन- 23 जनवरी 1664 ई.।

पत्नीयां- 

जीजाबाई

2 तुका बाई।

3 नरसा बाई।

संताने-

छत्रपति शिवाजी महाराज

2 संभाजी शाहजी भोंसले।

3 एकोजी प्रथम।

पोते- पोती-

1 संभाजी।

2 राजा राम।

3 अंबिकाबाई महादीक।

4 रनुबाई जाधव।

शाहजी भोंसले बीजापुर सल्तनत पुणे के जागीरदार थे। इन्हें "छापामार युद्ध प्रणाली" का जनक माना जाता है। शाहजी राजे भोंसले का सबसे बड़ा गुण था दृढ़ निश्चय।

जब ये किसी कार्य को करने का निश्चय कर लेते थे तो उस कार्य को पूरा करने के बाद ही दम लेते थे। इसके साथ ही ये साहसी,चतुर और साधन संपन्न थे। मराठा और महाराष्ट्र की राजनीति में इन्होंने कदम रखा तब से इन्होंने मराठों के उत्थान का कार्य किया।

शाहजी राजे भोसले ने अलग-अलग समय में बीजापुर सल्तनत, अहमदनगर सल्तनत और मुगल साम्राज्य में एक सेनापति के रूप में अपनी सेवाएं दी और निरंतर स्वयं में विशिष्टता पैदा करते गए।

इन्होंने अपनी चतुरता और रणनीति के दम पर धीरे-धीरे उच्च पद प्राप्त करते गए। जब निजामशाही शासन अपने अंतिम अवस्था में था तब इन्होंने राज निर्माता की भूमिका निभाई थी।

अहमदनगर सल्तनत पर “मुगल बादशाह शाहजहां” ने आक्रमण किया और अपने अधीन कर लिया। इस युद्ध में निजाम शाह फतेहखां मारा गया। इस घटना से शाहजी राजे भोंसले को भी झटका लगा और उन्होंने 10 वर्षीय बालक मुर्तजा शाह द्वितीय को गद्दी पर बैठाने का फैसला किया।

1632 ईस्वी में इन्होंने सफलतापूर्वक मुर्तजा शाह द्वितीय को सिंहासन पर बिठाया और मुगलों से युद्ध करने लगे। लेकिन धीरे-धीरे इन्होंने अहमदनगर सल्तनत गंवा दी। मुगल बादशाह शाहजहां के अधीन होने के बाद शाहजी राजे भोंसले अहमदनगर सल्तनत को छोड़कर बीजापुर सल्तनत में चले गए और वहां पर कार्य प्रारंभ किया।

1636 में शाहजी भोंसले बीजापुर सल्तनत में नौकरी आरंभ की साथ ही यश और कीर्ति प्राप्त की। 1635 ईस्वी में हिंदू राजाओं के दमन के लिए शाहजी राजे भोंसले को कर्नाटक भेजा गया। लेकिन 1637 ईस्वी में अर्थात 2 वर्ष बाद सेनानायक मुस्तफा खान को लगा की शाहजी भोंसले हिंदू राजाओं से संपर्क बढ़ा रहे हैं।

इसी संदेह के चलते उन्होंने शाहजी राजे भोंसले को बंदी बना लिया और कैद कर लिया। 1649 में बीजापुर के आदिलशाह ने इन्हें मुक्त करवाया और फिर से कर्नाटक की जिम्मेदारी सौंपी।

इस बार शाहजी राजे भोंसले ने वीरता और रणनीतिक चातुर्यत का परिचय देते हुए गोलकुंडा के शासक “मीरजुमला” को धूल चटा दी। सन 1651 ईस्वी में छत्रपति शिवाजी महाराज की शक्ति और साम्राज्य निरंतर बढ़ता जा रहा था। मुगल सेना उनसे बहुत आतंकी तिथि।

शाहजी राजे भोंसले को आदेश दिया गया कि छत्रपति शिवाजी महाराज को रोका जाए। इस समय तक शहाजीराजे भोंसलेअपने पुत्र छत्रपति शिवाजी महाराज से अलग हुए लगभग 12 वर्ष का समय बीत चुका था।

और यह समय था पिता पुत्र के पुनः मिलन का। शाहजी राजे भोंसले छत्रपति शिवाजी महाराज को सामने देखकर बहुत खुश हुए और उन्हें गले से लगाया। साथ ही जीजाबाई से भी पुनः रिश्ता कायम किया।

23 जनवरी 1664 की बात है शाहजी भोंसले घोड़े पर सवार होकर जंगल में शिकार करने के लिए गए लेकिन अकस्मात वह घोड़े से नीचे गिर गए और उनका देहांत हो गया।

शाहजी राजे भोंसले से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर निम्नलिखित है-

1 What is full name of Chhatrapati Shivaji Maharaj?

Answer- Chhatrapati Shivaji Raje Bhonsale.

2 Who was the father of Shahaji raje Bhosale?

Answer- maloji Raje Bhosale.

3 Who made shivneri fort? 

Answer-  shivneri fort made by Shivaji Raje Bhonsale.

4 Who were Shivaji’s parents?

Answer- Shahaji Raje Bhonsale and jija Bai.

5 How many wives Shahaji Raje had and what were their names?

Answer- Shivaji Raje Bhosle had three wives.

1 Jija Bai.

2 Tuka Bai

3 Narsa Bai

6 what was the role of Shahaji Raje Bhosale?

Answer- Shahaji raje Bhonsle was chief of the army of Bijapur Sultan.

 महाराज की जीवनी और इतिहास
Blogger द्वारा संचालित.