सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कीर्ति स्तंभ का निर्माण किसने करवाया, जानें इतिहास.

कीर्ति स्तंभ का इतिहास एवं रोचक तथ्य ( Kirti Stambh History In Hindi)– कीर्ति स्तम्भ राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ में स्थित एक प्रमुख पर्यटक स्थल हैं. 24.5 मीटर ऊँचे कीर्ति स्तम्भ का निर्माण 13 शताब्दी में जीजाजी कथोड़ द्वारा किया गया था. जैन धर्म को मानने वाले लोगों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण हैं. कीर्ति स्तम्भ के पास एक जैन मंदिर भी बना हुआ हैं. कीर्ति स्तम्भ का इतिहास आज से लगभग 700 साल से भी अधिक पुराना हैं.

अगर आप चित्तौडग़ढ़ दुर्ग (Chittorgarh Fort) पर घूमने जाते हैं तो विजय स्तम्भ के साथ-साथ आपको कीर्ति स्तम्भ को भी देखना चाहिए, यह चित्तौडग़ढ़ दुर्ग की पूर्व दिशा में “सूरज पोल” गेट के लेफ्ट तरह स्थित हैं. कीर्ति स्तम्भ का इतिहास और कलाकृति आपको भवभूत कर देगी।

कीर्ति स्तंभ का इतिहास एवं रोचक तथ्य ( Kirti Stambh History In Hindi)

कीर्ति स्तंभ का इतिहास बहुत पुराना है, इसका संबंध तेहरवी शताब्दी से है. निम्नलिखित 20 बिंदुओं से आप कीर्ति स्तम्भ का इतिहास और इसके सम्बन्ध में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर पाएंगे-

[1] कीर्ति स्तंभ और विजय स्तंभ दोनों अलग-अलग स्तंभ है, लेकिन रोचक बात यह है कि दोनों ही चित्तौड़गढ़ किले पर स्थित है.

[2] Kirti Stambh एक मीनार या स्तंभ के समान है, जो राजस्थान के चित्तौड़गढ़ दुर्ग के ऊपर स्थित है.

[3] Kirti Stambh का निर्माण (Kirti Stambh ka Nirman) भगेरवाल जैन व्यापारी “जीजाजी कथोड़ और पुण्या सिंह” ने करवाया था.

[4] कीर्ति स्तंभ का निर्माण विक्रम संवत 1357 (1301 ईस्वी) में करवाया गया था.

[5] Kirti Stambh की बात की जाए तो यह विजय स्तंभ से भी पुराना है अर्थात इसका निर्माण पहले हुआ था.

[6] Kirti Stambh के अंदर जैन पंथ से संबंधित चित्रावली बनी हुई हैं.

[7] कीर्ति स्तंभ की ऊंचाई 24.5 मीटर है। अगर फीट में मापा जाए तो इसकी ऊंचाई 80.38 फीट हैं। कीर्ति स्तंभ की चौड़ाई 30 फीट है.

[8] Kirti Stambh के ऊपरी सोपान तक जाने के लिए 54 सीढ़ियां हैं.

[9] Kirti Stambh को “टावर ऑफ फेम” के नाम से भी जाना जाता है, यह प्रथम तीर्थकर आदित्यनाथ को समर्पित हैं.

[10] Kirti Stambh जैन दिगंबर संप्रदाय की जटिल नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है, इसमें आदित्यनाथ की मूर्ति बनी हुई है.

[11] Kirti Stambh 6 मंजिला है साथ ही यह चौकोर जगती पर स्थित है.

[12] इसमें 12 स्तंभों पर आधारित एक मंडप बना हुआ है.

[13] Kirti Stambh के निचले तल पर बाहरी क्षेत्र में चारों दिशाओं में 4 तीर्थकरों की मूर्तियां बनी हुई है.

[14] Kirti Stambh के अंदर ऊपरी भाग में सैकड़ों मानव आकृतियों से अलंकृत किया गया है.

[15] जैन Kirti Stambh के समीप ऊंची जगती पर चौदहवीं शताब्दी का बना हुआ जैन मंदिर (kirti stambh jain mandir) स्थित है जोकि योजना में गर्भग्रह तथा मंडप युक्त है। इतना ही नहीं इस मंदिर के बाहरी भाग में अनेकों मूर्तियां बनी हुई है.

[16] पहले यह पर्यटकों के लिए खुला हुआ था लेकिन अब पर्यटकों को इसके अंदर जाने की अनुमति नहीं है.

[17] कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति के रचयिता अत्री और महेश थे.

[18] Kirti Stambh के शिल्पकार जैता,नापा, पोमा और पुंजा थे.

[19] कीर्ति स्तम्भ का अर्थ (Kirti Stambh meaning) हैं, ख्याति और यस को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया स्मारक.

[20] कई लोग विजय स्तंभ और इस स्तम्भ को लेकर सामंजस्य में है लेकिन आपको बता दें कि दोनों ही स्तंभ अलग-अलग बने हुए हैं। विजय स्तंभ का निर्माण “महाराणा कुंभा” ने करवाया था जबकि कीर्ति स्तंभ का निर्माण जीजा जी केथोड ने करवाया था.

कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति पत्र

कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति पत्र पर यह लिखा हुआ हैं ” प्रथम जैन तीर्थकर आदिनाथ को समर्पित इस भव्य स्तम्भ का निर्माण बघेरवात सम्प्रदाय के श्रेष्ठी जीजा एवं पूण्यासिंघ ने विक्रम संवत 1357 (1301ई.) में करवाया. 24.5 मीटर ऊँचा छः मंजिला स्तम्भ चौकोर जगती पर स्थित है जिसमें ऊपरी मंजिल तक पहुँचने के लिये अन्दर से सोपान बने है.

जहाँ 12 स्तम्भों पर आधारित एक मण्डप है. निचले तल के बाह्य भाग में चारों दिशाओं में चार तीर्थकरों की मूर्तियों उत्कीर्ण है। ऊपरी मंजिलों को सैकड़ों मानव आकृतियों से अलंकृत किया गया है. इसके समीप ही ऊँची जगती पर स्थित चौदहवीं शती में निर्मित जैन मन्दिर है जो कि योजना में गर्भगृह तथा मण्डप युक्त है. मन्दिर का वाह्य भाग मूर्तियों से अलंकृत है”.

कीर्ति स्तम्भ के सम्बन्ध में प्रश्न-उत्तर

[1] कीर्ति स्तम्भ का निर्माण किसने करवाया था?

उत्तर- कीर्ति भव्य स्तम्भ का निर्माण बघेरवात सम्प्रदाय के श्रेष्ठी जीजा एवं पूण्यासिंघ ने विक्रम संवत 1357 (1301ई.) में करवाया था.

[2] कीर्ति स्तम्भ कितने मंजिल हैं?

उत्तर- कीर्ति स्तम्भ 6 मंजिला हैं.

[3] कीर्ति स्तम्भ और विजय स्तम्भ में क्या अंतर हैं?

उत्तर- कीर्ति स्तम्भ और विजय स्तम्भ दोनों अलग-अलग हैं. कीर्ति स्तम्भ का निर्माण बघेरवात सम्प्रदाय के श्रेष्ठी जीजा एवं पूण्यासिंघ ने विक्रम संवत 1357 (1301ई.) में करवाया था, वहीं विजय स्तम्भ का निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया था.

[4] कीर्ति स्तम्भ की ऊंचाई कितनी हैं?

उत्तर- कीर्ति स्तंभ की ऊंचाई 24.5 मीटर है, अगर फीट में मापा जाए तो इसकी ऊंचाई 80.38 फीट हैं.

[5] कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति कब लिखी गई?

उत्तर- अज्ञात।

[6] कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति के रचियता कौन थे?

उत्तर- कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति के रचयिता अत्री और महेश थे.

[7] कीर्ति स्तंभ का अर्थ क्या है?

उत्तर- किसी महत्वपूर्ण घटना को याद रखने के लिए बनाया गया कोई स्तम्भ।

महाराणा प्रताप के प्रेरणात्मक Quotes
विजय स्तम्भ का सम्पूर्ण इतिहास और जानकारी।

दोस्तों उम्मीद करते हैं कीर्ति स्तम्भ का इतिहास और कीर्ति स्तम्भ का निर्माण किसने करवाया यह आप अच्छी तरह से जान गए होंगे.अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें,धन्यवाद.

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंगों के नाम, स्थान, स्तुति मंत्र || List Of 12 Jyotirlinga

List Of 12 Jyotirlinga- भारत में 12 ज्योतिर्लिंग हैं. भगवान शिव को मानने वाले 12 ज्योतिर्लिंगो के दर्शन करना अपना सौभाग्य समझते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता हैं कि इन स्थानों पर भगवान शिव ज्योति स्वररूप में विराजमान हैं इसी वजह से इनको ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता हैं. 12 ज्योतिर्लिंग अलग-अलग स्थानों पर स्थित हैं. इस लेख में हम जानेंगे कि 12 ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई? 12 ज्योतिर्लिंग कहाँ-कहाँ स्थित हैं? 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान. यहाँ पर निचे List Of 12 Jyotirlinga दी गई हैं जिससे आप इनके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर पाएंगे. 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान सूचि ( List Of 12 Jyotirlinga ) 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान सूचि (List Of 12 Jyotirlinga) निम्नलिखित हैं- क्र. सं. ज्योतिर्लिंग का नाम ज्योतिर्लिंग का स्थान 1. सोमनाथ (Somnath) सौराष्ट्र (गुजरात). 2. मल्लिकार्जुन श्रीशैल पर्वत जिला कृष्णा (आँध्रप्रदेश). 3. महाकालेश्वर उज्जैन (मध्य प्रदेश). 4. ओंकारेश्वर खंडवा (मध्य प्रदेश). 5. केदारनाथ रूद्र प्रयाग (उत्तराखंड). 6. भीमाशंकर पुणे (महाराष्ट्र). 7...

महाराणा प्रताप का इतिहास || History Of Maharana Pratap

प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) का नाम सुनते ही हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के एकमात्र ऐसे योद्धा थे जिन्हें शीश कटाना मंजूर था लेकिन किसी के सामने झुकाना नहीं. चित्तौड़गढ़ के सिसोदिया वंश में जन्म लेने वाले महाराणा प्रताप का नाम इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में हमेशा के लिए अंकित रहेगा. सभी देश प्रेमी आज भी प्रातः उठकर महाराणा प्रताप की वंदना करते हैं. देशप्रेम, स्वाधीनता, दृढ़ प्रतिज्ञा, निर्भिकता और वीरता महाराणा प्रताप की रग-रग में मौजूद थी. मुगल आक्रांता अकबर ने महाराणा प्रताप को झुकाने के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया लेकिन दृढ़ प्रतिज्ञा के धनी महाराणा प्रताप तनिक भी ना झुके. महाराणा प्रताप का पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया था. स्वाधीनता और स्वाभिमान का दूसरा नाम थे महाराणा प्रताप जो कभी किसी के सामने झुके नहीं चाहे परिस्थितियाँ कुछ भी हो, मुग़ल आक्रांता अबकर भी शोकाकुल हो उठा जब उसने वीर महाराणा प्रताप की मृत्यु की खबर सुनी. महाराणा प्रताप का इतिहास, जन्म और माता-पिता (Maharana Pratap History In Hindi) महा...

हिंदी भाषा का इतिहास || History Of Hindi Language

हमारा इतिहास हिंदी भाषा से हैं लेकिन हिंदी भाषा का इतिहास 1000 वर्षों से भी अधिक प्राचीन हैं. हिंदी का इतिहास और कालखंड अतिप्राचीन हैं. “ वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास ” नामक पुस्तक से ज्ञात होता है कि वैदिक काल में संपूर्ण विश्व में संस्कृत भाषा बोली जाती थी. यह देव भाषा भी थी. इसी संस्कृत भाषा से वर्तमान में प्रचलित समस्त भाषाओं का उद्भव और विकास हुआ जिनमें हिंदी भी एक है. हिंदी का इतिहास प्राचीन होने के साथ-साथ गौरवशाली भी है. हजारों वर्षों से हिंदी भाषा भारत और समीपवर्ती कई देशों की मुख्य भाषा के रूप में बोली जाती रही है. समय के साथ साथ इसका स्वरूप बदलता गया. वर्तमान समय में हिंदी भाषा बहुत तेजी के साथ विकास कर रही है. कई अंग्रेजी देशों में भी हिंदी भाषा को महत्व मिला है और इसे विभिन्न पाठ्यक्रमों में शामिल किया गया है. हिंदी का इतिहास और कालखंड के बारे में हम विस्तृत रूप से जानेंगे. हिंदी की उत्पत्ति कैसे हुई? हिंदी भाषा का इतिहास बताता है कि हिंदी की उत्पत्ति विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा संस्कृत से हुई है. वही “हिंदी शब्द” की उत्पत्ति सिंधु से हुई है. सि...