History Of Chhatrapati Shahuji Maharaj || छत्रपति शाहूजी महाराज का इतिहास
Chhatrapati Shahuji Maharaj मराठा साम्राज्य के पूर्ववर्ती सम्राट संभाजी महाराज के पुत्र थे। छत्रपति शिवाजी इनके दादाजी थे। 1708 से लेकर 1749 तक इन्होंने शासन किया था।
Chhatrapati Shahuji Maharaj जीवन परिचय
- पूरा नाम Full name– श्रीमंत छत्रपति शाहूजी महाराज भोंसले।
- जन्म तिथि Shahuji Maharaj Date of Birth– 18 मई 1682.
- जन्म स्थान Shahuji Maharaj Birth place– सतारा, महाराष्ट्र।
- मृत्यु shahuji maharaj Died– 15 दिसम्बर 1749.
- मृत्यू के समय आयु – 67 वर्ष।
- मृत्यु स्थान Shahuji Maharaj Death place– सतारा।
- पिता का नाम Shahuji Maharaj Father’s name– छत्रपति संभाजी महाराज।
- माता का नाम Shahuji Maharaj Mother’s name– येसुबाई (Yesubai).
- पत्नी का नाम Shahuji Maharaj wife’s name-
(1) सावित्रीबाई(Savitribai)
(2) अंबिकाबाई (ambikabai)
(3) सकवारबाई ( sawarkarbai)
(4) सुगनाबाई (sugnabai)
पुत्र और पुत्रियां Shahuji Maharaj Son– राजाराम द्वितीय, पार्वतिबाई।
राज्याभिषेक Coronation of shahuji maharaj– 12 जनवरी 1708.
धर्म Religion– हिंदू सनातन।
घराना– भोंसले।
पूर्ववर्ती सम्राट– शिवाजी द्वितीय।
उत्तरवर्ती सम्राट– राजाराम द्वितीय।
छत्रपति शाहूजी महाराज का इतिहास (Sahuji Maharaj History In Hindi)
छत्रपति शाहूजी महाराज (Chhatrapati Shahuji Maharaj) उनके पिता संभाजी महाराज और छत्रपति शिवाजी महाराज प्रथम के बाद सबसे शक्तिशाली मराठा शासक थे। Chhatrapati Shahuji Maharaj के शासनकाल में मराठा साम्राज्य की शक्ति और प्रभाव भारतीय उपमहाद्वीप के प्रत्येक कोने में तक फ़ैला हुआ था।
अपने शासनकाल की शुरुआत में छत्रपति शाहूजी महाराज ने बालाजी विश्वनाथ को 1713 ई. में पेशवा नियुक्ति किया। अगले 50 वर्षों के अंतराल में बालाजी विश्वनाथ ने उनके पुत्र बाजीराव पेशवा और पोते बालाजी बाजीराव के बाद शिंदे, हॉल्कर, गायकवाड़, पवार और नागपुर के भोंसले परिवार की मदद से भारत के हर कोने कोने तक मराठा साम्राज्य को खड़ा कर दिया।
रघुजी भोंसले ने पूर्वी क्षेत्र में मराठा साम्राज्य का विस्तार किया। जबकि मराठी सेनापति धाबडें ने पश्चिमी भारत में मराठा साम्राज्य का विस्तार किया। पेशवा बाजीराव और पवार ( धार क्षेत्र), सिंघिया ने (ग्वालियर क्षेत्र), होल्लकर ने इंदौर क्षेत्र में मराठा साम्राज्य का विस्तार किया था।
छत्रपति शाहूजी महाराज (Chhatrapati Shahuji Maharaj) की 4 पत्नियां थीं। उन्होंने 1 पुत्र को जन्म दिया जबकि 4 लड़कियां उन्होंने गोद ली थी। शाहूजी महाराज ने सबसे पहले 3 वर्षीय पार्वतीबाई को गोद लिया। पार्वतीबाई रायगढ़ के एक कलमकार की पुत्री थी।
Chhatrapati Shahuji Maharaj ने पार्वतीबाई को युद्ध और प्रशासनिक कार्यों का प्रशिक्षण दिया। जब पार्वतीबाई की आयु 15 वर्ष हो गई उसके बाद उसका विवाह श्रीमंत सदाशिवराव भाऊ के साथ संपन्न करवाया। पार्वतीबाई के पिता के जीवित होते हुए भी छत्रपति शाहूजी महाराज ने कन्यादान किया।
उन्होंने 2 पुत्र भी गोद लिए जिनका नाम फतेहसिंह और राजाराम द्वितीय था। राजाराम द्वितीय को शाहूजी महाराज ने उनकी चाची (Aunty) को सौंप दिया। राजाराम द्वितीय को लेकर ताराबाई ने दावा किया कि वह उसका पौत्र है और छत्रपति शिवाजी महाराज का वंशज हैं।
लेकिन ख़ुद ताराबाई ने राजाराम द्वितीय को ख़ारिज कर दिया और झूठा करार दिया।
Chhatrapati Shahuji Maharaj ने Ranoji Lokhande को भी गोद लिया। जो बाद में फतेहसिंह पहले राजा साहब भोंसले के नाम से जाना गया। फतेहसिंह 1708 ई. के आस-पास Akkalkot और आस पास के क्षेत्र के पहले राजा बने। फतेहसिंह के वंशजों ने ही बाद में Akkalkot में ही भोंसले वंश की स्थापना की थी।
छत्रपति शाहूजी महाराज की मृत्यु (Chhatrapati Shahuji Maharaj Died)
15 दिसम्बर 1749 को छत्रपति शाहूजी महाराज की सतारा में मृत्यु हो गई। Chhatrapati Shahuji Maharaj की मृत्यू के पश्चात् छत्रपति की सभी शक्तियों को पेशवाओं (पेशवा बालाजी बाजीराव से प्रारंभ) को हस्तांतरित कर दिया गया।
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