History Of Nana Fadnavis || नाना फडणवीस का इतिहास

मराठा मंत्री नाना फडणवीस (Nana Fadnavis) चतुर, विद्वान् और प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ-साथ मंझे हुए राजनीतिज्ञ थे। चतुराई और बुद्धिमत्ता के चलते फडणवीस को बहुत प्रसिद्ध मिली। मराठा साम्राज्य की एकता और अखंडता को बनाए रखने में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

नाना फडणवीस (Nana Fadnavis In Hindi)

  • नाना फडणवीस का मूल नाम nana fadnavis ka mul naam– बालाजी जनार्दन भानु।
  • नाना फडणवीस के पिता का नाम– NA
  • नाना फडणवीस की माता का नाम– NA
  • नाना फडणवीस का जन्म– 12 फ़रवरी 1742.
  • जन्म स्थान- सातारा, महाराष्ट्र।
  • नाना फडणवीस की मृत्यु nana fadnavis death- 13 मार्च 1800.
  • मृत्यू स्थान- पुणे, महाराष्ट्र।
  • धर्म– हिंदू।
  • पेशा और पद – मराठा साम्राज्य में पेशवा युग के समय प्रमुख मंत्री रहे।

मराठा साम्राज्य में Nana Fadnavis का प्रभाव

पानीपत के तीसरे युद्ध में हार के साथ ही मराठा साम्राज्य का संचालन थोड़ा अस्त-व्यस्त हो गया। दो गुट बन गए । मराठा साम्राज्य की संपूर्ण शक्ति को एक नेतृत्व के अंदर लाकर साम्राज्य के विस्तार और प्रभाव को बढ़ाने में Nana Fadnavis का योगदान सबसे महत्वपूर्ण था।

नाना फडणवीस के सामने दो मुख्य चुनौतियां थी। पहली मराठा साम्राज्य को बिखरने से रोका जाए और दूसरी मुख्य चुनौती यह थी कि अंदर ही अंदर मराठा सरदारों और परिवार के लोगों के बीच में जो दूरियां बढ़ रही थी उनमें सामंजस्य बिठाकर चलना। 1773 ईस्वी में पेशवा नारायण राव की हत्या उसके चाचा रघुनाथराव अर्थात राघोबा द्वारा कर दी गई। राघोबा नारायण राव को मारकर मराठा साम्राज्य का पेशवा बनना चाहता था।

पेशवा नारायण राव की हत्या के बाद राघोबा आने पेशवा पद प्राप्त करने का प्रयत्न किया लेकिन उसके सामने सीना तान कर नाना फडणवीस खड़े हो गए। Nana Fadnavis के विरोध के बाद भी राघोबा ने अपने आप को पेशवा नियुक्त कर दिया। कुछ ही समय बाद पेशवा नारायण राव की विधवा पत्नी ने पुत्र को जन्म दिया इसके जन्म के साथ ही नाना फडणवीस ने ठान लिया कि इस बच्चे को पेशवा बनाया जाएगा और वास्तव में हकदार भी यह बच्चा था।

बच्चे का नामकरण “माधवराव नारायण पेशवा” रखा गया और मात्र 40 दिन की आयु में मराठा साम्राज्य का पेशवा नियुक्त कर दिया गया। माधवराव नारायण पेशवा अल्प वयस्क होने की वजह से मराठा साम्राज्य का कामकाज का संचालन नहीं कर सकते थे इसलिए उनकी जगह नाना फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया गया।

सन 1774 से लेकर 13 मार्च 1800 तक मराठा साम्राज्य का संचालन करते रहे। लगभग 26 वर्षों तक इन्होंने मराठों की सेवा की इतना ही नहीं इनके सानिध्य में मराठा साम्राज्य का विस्तार हुआ।

आंग्ल-मराठा युद्ध और टीपू सुल्तान का सामना

लगभग 8 वर्षों तक 1775 से लेकर 1783 तक नाना फडणवीस (Nana Fadnavis) ने अंग्रेजी सैनिकों का सामना किया। राघोबा अंग्रेजों के साथ जाकर मिला और अपने ही लोगों के खिलाफ युद्ध मैदान में उतरा।

आंग्ल मराठा युद्ध लगातार बढ़ता जा रहा था। इस युद्ध को विराम देने के लिए मराठों और अंग्रेजों के बीच में एक समझौता हुआ जिसके तहत अंग्रेजों की तरफ से राघोबा को पेंशन देने की बात कही। मराठों को साष्ठी नामक स्थान से हाथ धोना पड़ा।

नाना फडणवीस (Nana Fadnavis vs tipu sultan ) का टीपू सुल्तान से युद्ध भी हुआ। कुछ समय पहले ही टीपू सुल्तान ने बलपूर्वक मराठा साम्राज्य के अधीनस्थ कुछ क्षेत्रों को अपने अधीन कर लिया और उन पर अपना अधिकार जमा लिया था।

1784 ईस्वी में इतिहास पुनः बदलने वाला था। नाना फडणवीस के नेतृत्व में मराठी सेना की एक टुकड़ी ने मैसूर पर धावा बोल दिया। इस समय मैसूर के सुल्तान टीपू था। उन सभी क्षेत्रों को नाना फडणवीस ने पुनः हासिल कर लिया।

1789 ईस्वी में अंग्रेजों और निजाम एक होकर टीपू सुल्तान का सामना कर रहे थे। ऐसे में नाना फडणवीस ने भी अंग्रेजों हो निजाम का साथ देना उचित समझा। मैसूर के तृतीय युद्ध में टीपू सुल्तान की हार हुई। तोहफे के रुप में मराठों को भी टीपू सुल्तान के क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त हुआ।

खर्दा का युद्ध

नाना फडणवीस (Nana Fadnavis) के चिर प्रतिद्वंदी रहे महादजी शिंदे की मृत्यु 1794 ईस्वी में हुई। नाना फडणवीस के राज्य संचालन में महादजी शिंदेे का विरोध हमेशा ही हावी रहता था। 1795 ईस्वी में नाना फडणवीस ने मराठों के साथ सम्मिलित सभी सेनाओं का नेतृत्व किया। इस समय युद्ध मुख्यतः निजाम के खिलाफ हुआ।

खर्दा के युद्ध में निजाम को पराजित करके पराजित कर दिया जिसकी वजह से निजाम को उसके हिस्से के कई बड़े क्षेत्र नाना फडणवीस को देने पड़े।

नाना फडणवीस (Nana Fadnavis) पर कलंक

मराठा साम्राज्य के लिए पूर्ण रूप से समर्पित भाव से कार्य करने के बाद भी Nana Fadnavis पर एक ऐसा कलंक लगा जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। जिससे शिशु (पेशवा माधवराव नारायण) को नाना फड़नीस नहीं मराठा साम्राज्य का पेशवा बनाया उनको नाना फडणवीस के सानिध्य में काम करना अच्छा नहीं लगा।

ऐसा कहा जाता है कि पेशवा माधवराव नारायण नाना फडणवीस के नियंत्रण से परेशान हो गए थे। अंततः तंग आकर माधवराव नारायण ने दीवार से कूदकर आत्महत्या कर ली। माधवराव नारायण की मृत्यु के पश्चात परंपरा अनुसार रघुनाथ राव अर्थात राघोबा का पुत्र बाजीराव द्वितीय मराठा साम्राज्य का पेशवा बना जो कि प्रारंभ से ही नाना फडणवीस का धुर विरोधी था।

बाजीराव द्वितीय अंग्रेजों के साथ मिल गए और मराठा साम्राज्य के खिलाफ हो गए इस तरह से मराठा साम्राज्य के विघटन में बाजीराव द्वितीय का अहम रोल था। मराठा साम्राज्य को जीवन पर्यंत प्रेम के एकसूत्र में बांधने का श्रेय नाना फडणवीस को जाता है।

नाना फडणवीस की मृत्यु (nana fadnavis death)

आजीवन मराठा संघ को एक सूत्र में बांधे रखने वाले नाना फडणवीस ने 13 मार्च 1800 के दिन देह त्याग दी। यह सिर्फ nana fadnavis की मृत्यु नहीं थी, यहीं से मराठा साम्राज्य का पतन हुआ।

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