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Shivaji Maharaj Ki Talwar शिवाजी महाराज की 3 तलवारें

Maratha Talwar या Maratha sword या फिर यह कह ले कि शिवाजी महाराज की तलवार (Shivaji Maharaj Ki Talwar) इसका इतिहास छत्रपति शिवाजी महाराज की देन हैं।

छत्रपति शिवाजी महाराज अपनी सेना और सैनिकों को अधिक सक्षम बनाने के लिए तरह-तरह के उपाय और प्रयोग करते रहते थे। मराठा तलवार की खोज भी इसी का नतीजा थी। मराठा तलवार का जब भी जिक्र होता है तो वह “भवानी तलवार” का जिक्र होता है।

छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी सोचा कि उनकी सेना को एक ऐसी तलवार मिले जिसे दुश्मन देखते ही कांप उठे। मराठा तलवार (maratha talwar) बनाने के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज ने कई आयामों को ध्यान में रखते हुए वर्षों तक अध्ययन किया।

अनुसंधान पूरा होने के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज इस हथियार को बड़ी संख्या में बनाना चाहते थे ताकि प्रत्येक मराठी सैनिक के हाथ में अद्भुत तलवार (Maratha Talwar) हो।

Shivaji Maharaj Ki Talwar का संक्षिप्त परिचय

इस समय छत्रपति शिवाजी महाराज के सामने जो सबसे बड़ी समस्या थी वह थी निपुण कारीगरों की कमी, जो कि भारत में नहीं थे। भारतीय कारीगर पतले और हल्के ब्लेड बनाने की कारीगरी नहीं जानते थे।

इसलिए शिवाजी महाराज ने यह अनुबंध विदेशियों को देने का फैसला किया। सबसे पहले यह काम अंग्रेजों को सौंपा गया लेकिन उन्होंने मना कर दिया। पुर्तगाली भी छत्रपति शिवाजी महाराज के डर की वजह से इस अनुबंध को अपने हाथ में नहीं लेना चाहते थे।

अंत में यह जिम्मेदारी स्पेन के व्यापारियों को मिली। स्पेन के मैड्रिड (गांव टोलेडो) में यह काम शुरू हुआ। जहां लगभग एक लाख से भी अधिक संख्या में ब्लेड बनकर तैयार हुए।

स्पेन के व्यापारियों को सिर्फ पतले ब्लेड बनाने का काम दिया गया था, इसकी मुट्ठी बांधने का पूरा काम मराठों की देखरेख में महाराष्ट्र में ही किया गया था।

अगर बनाई गई तलवार/जगदम्बा तलवार (Jagdamba Sword) के वजन की बात की जाए तो ब्लेड का वजन 800 ग्राम, मुट्ठी का वजन 400 ग्राम था। इस तरह इस तलवार (Jagdamba Sword) का वजन मात्र 1200 ग्राम अर्थात शिवाजी महाराज की तलवार का वजन (Shivaji Maharaj ki talwar ka vajan या Maratha sword weight) 1.20 किलो था। अगर इसकी लंबाई की बात की जाए तो यह साढ़े चार फीट लंबी थी।

छत्रपति शिवाजी महाराज की तलवारों के नाम

छत्रपति शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaj Ki Talwar or maratha talwar) के पास 3 तलवारें थी।

1. भवानी तलवार (Bhavani sword).

2. जगदम्बा तलवार (Jagdamba Sword).

3. तुलजा तलवार (Tulja Sword).

शिवाजी महाराज की तलवार (वीडियो)

इतिहासकारों की मानें तो जगदम्बा तलवार (Jagdamba Sword) आज भी इंग्लैंड के म्यूजियम में मौजूद हैं, जबकि भवानी तलवार और तुलजा तलवार 200 से अधिक वर्षों से लापता है।

छत्रपति शिवाजी महाराज की तलवार (Shivaji Maharaj ki talwar or Jagdamba Sword ) भवानी को लेकर भारत में यह भ्रम था कि यह इंग्लैंड के संग्रहालय में रखी हुई है। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वह तलवार भवानी नहीं जगदंबा है।

7 मार्च 1659 की बात है छत्रपति शिवाजी महाराज कोकण के दौरे पर थे। अंबाजी सावंत नामक उनके सिपाही ने एक स्पैनिश जहाज पर आक्रमण कर दिया। विजय प्राप्त करने के बाद उन्हें उस जहाज के समीप एक बहुत खूबसूरत और चमचमाती तलवार (Maratha sword) मिली।

महाशिवरात्रि के अवसर पर छत्रपति शिवाजी महाराज सप्तकोटेश्वर मंदिर गए। इस मंदिर में उनकी मुलाकात अंबाजी सावंत के पुत्र कृष्णजी से हुई। कृष्णाजी ने अंबाजी सावंत को जहाज पर मिली तलवार को छत्रपति शिवाजी महाराज को भेंट कर दी।

इस तलवार को देखकर छत्रपति शिवाजी महाराज बहुत प्रसन्न हुए क्योंकि इस तलवार की अच्छी खासी लंबाई थी और वजन में भी कम थी।
“तुलजा तलवार” (Shivaji Maharaj Ki Talwar) की बात कि जाए तो यह छत्रपति शिवाजी महाराज को जेजुरी से भेंट में मिली थी।

मराठों के ज्यादातर युद्ध मुगलों के साथ हो गए मुगल सैनिक कद और काठी में मराठों से ज्यादा लंबाई वाले थे इसका फायदा युद्ध में निश्चित रूप से मुगलों को मिलता था।

मराठी सैनिकों के पास मौजूद तलवारों का वो ठीक से प्रयोग नहीं कर पाते थे। इस समस्या का समाधान करने के लिए उन्होंने भवानी तलवार की संख्या बढ़ाने की योजना बनाई लेकिन भारत में ऐसे मंजे हुए कारीगर नहीं थे जो हजारों की तादाद में भवानी तलवार (maratha talwar) का निर्माण कर सकें।

भवानी तलवार बनाने का टेंडर स्पेन के राजा को मिला तो इस पेन के राजा बहुत खुश हुए और उन्होंने इस टेंडर के बदले छत्रपति शिवाजी महाराज को रत्नों से जुड़ी हुई एक अनोखी तलवार भेंट की, इस तलवार (maratha talwar) में मानिक के बीच जुड हुए थे.

इसी तलवार को छत्रपति शिवाजी महाराज ने जगदम्बा तलवार (Jagdamba Sword) का नाम दिया था (Shivaji Maharaj Ki Talwar) जो आज भी इंग्लैंड के संग्रहालय में मौजूद है।

भवानी तलवार को लेकर लोगों में यह अफवाह है कि इसका वजन 66 किलो था, जबकि यह सत्य नहीं है. “छत्रपति शिवाजी महाराज का वजन 72 किलो था” तो सोचने वाली यह बात है कि 66 किलो की तलवार उठा कर चलना इतना आसान नहीं होता है। वास्तविक रूप में इस तलवार का वजन मात्र 1200 ग्राम था।

साथ ही भवानी तलवार से संबंधित अफवाह यह थी कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजल खान का वध इस तलवार से किया था यह भी गलत है क्योंकि कभी भी सही तलवारों का प्रयोग युद्ध में नहीं किया जाता था आपकी जानकारी के लिए बता दें कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजल खान का वध “बघनखे” से किया था।

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