History Of Ashok Stambh || अशोक स्तम्भ का इतिहास और जानकारी

अशोक स्तम्भ (Ashok Stambh) सम्राट अशोक द्वारा निर्मित कला के क्षेत्र में सबसे अद्भुत कलाकृति माने जाते हैं। मौर्य साम्राज्य के तृतीय सम्राट अशोक महान को कला प्रिय माना जाता है। सम्राट अशोक द्वारा कला के क्षेत्र में किए गए अद्भुत कार्य भी उसकी महानता में चार चांद लगाते हैं। कला प्रेमी सम्राट अशोक ने 3 वर्षों के भीतर 84000 स्तूपों का निर्माण करवाया था। सम्राट अशोक ने मूर्तिकला और धार्मिक स्थापत्य का अभूतपूर्व विकास किया था।

सम्राट अशोक द्वारा निर्मित अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) और धर्म लेखों का अंकन करने में ब्राम्ही और खरोष्ठी नामक दो लिपियों सहारा लिया था। अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) की बात की जाए तो सम्राट अशोक द्वारा सारनाथ का स्तंभ, इलाहाबाद का स्तंभ, वैशाली का स्तंभ और सांची का स्तंभ का निर्माण करवाया था।

कलिंग युद्ध सम्राट अशोक के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन लेकर आया। इस युद्ध के पश्चात सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया और उसके प्रचार एवं प्रसार हेतु कई स्थापत्य कला का निर्माण करवाया जिनमें अशोक स्तंभ मुख्य हैं।

भारत में सम्राट अशोक द्वारा बनवाए गए इस स्तूप और स्तंभ आज भी सीना तान कर खड़े हैं। इतना ही नहीं सम्राट अशोक ने उसके पुत्र और पुत्री (महेंद्र और संघमित्रा) को भी श्रीलंका में बौद्ध धर्म के प्रचार एवं प्रसार के लिए भेजा था। सम्राट अशोक ने 84000 स्तूपों का निर्माण करवाया था। यह स्तूप किसी एक जगह पर नहीं बनाकर भारत के अलग-अलग हिस्सों में बनवाए गए।

अशोक स्तंभ में मूर्तिकला की विशिष्टता अशोक स्तंभ को बहुत ही सुंदर और आकर्षक बनाती हैं। सम्राट अशोक द्वारा धर्म संघ की अक्षुण्णता बनाए रखने के लिए सारनाथ स्तंभ (Sarnath Stambh) का निर्माण करवाया था। आइए सम्राट अशोक द्वारा निर्मित करवाए गए विभिन्न “अशोक स्तंभ” के बारे में विस्तार से पढ़ते हैं –

सबसे पहले बात करते हैं, सारनाथ स्तंभ (Sarnath Stambh) की जोकि सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था। सारनाथ स्तंभ की बनावट अन्य स्तंभों से अलग है।

सारनाथ स्तंभ (Sarnath Stambh) के अलावा बाकी स्तंभ गोलाकार है। जैसे-जैसे 45 फीट लंबे अशोक स्तंभ के ऊपर की तरफ जाते हैं यह पतला होता जाता है। सारनाथ का स्तंभ (Sarnath Stambh) धर्म चक्र प्रवर्तन की घटना का स्मारक था और धर्म संघ की अक्षुण्णता बनाए रखने के लिए इसकी स्थापना की गई थी।

दंड के ऊपर इसका कंठ है और कंठ के ऊपर शीर्ष हैं। कंठ के नीचे प्रलंबित दलोंवाला उल्टा कमल दिखाई देता है। इसका गोलाकार कंठ चार भागों में विभाजित है जिनमें हाथी, घोड़ा, सांढ तथा सिंह की मुंह बोलती मूर्तियां है।

कंठ के ऊपरी भाग में सिंह की 4 मूर्तियां हैं, जो पीछे से एक दूसरे से जुड़ी हुई है। इनका सिर चारों दिशाओं में है, इन चारों के बीच में एक छोटा सा दंड हैं जो 32 तीलियों वाले धर्मचक्र को दर्शाता है। यह 32 तीलियां भगवान बुद्ध के 32 महापुरुष लक्षणों के प्रतिक स्वरूप है।

सारनाथ स्तंभ (Sarnath Stambh) का निचला भाग अपने मूल स्थान पर अभी भी मौजूद है लेकिन ऊपरी भाग को संग्रहालय में सुरक्षित रखवाया गया है। सिंह के सिर आज भी भारत गणतंत्र का राज्य चिन्ह है।

बौद्ध धर्म में शेर को भगवान बुद्ध के समान माना जाता है। भगवान बुद्ध के पर्यायवाची शब्दों में शाक्यसिंह और नरसिंह भी शामिल हैं जिसके सबूत या साक्ष्य पालि गाथाओं में मिलते हैं।और यही वजह रही कि “धम्मचक्कप्पवत्तन” सुत्त को भगवान बुद्ध की सिंहगर्जना के नाम से जाना जाता है। भगवान बुद्ध ने उनके भिक्षुओं को चारों दिशा में जाकर लोक कल्याण करने हेतु और लोगों के हित और सुख को बढ़ाने के लिए जो आदेश दिया था, उसी को चारों दिशाओं में मुंह कर सारनाथ स्तंभ (Ashok Stambh) पर बैठे शेर दर्शाते हैं।

और यही वजह रही कि मौर्य साम्राज्य के तृतीय चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान ने सारनाथ स्तंभ (Sarnath Stambh) पर चारों दिशाओं में सिंह गर्जना करते हुए शेरों को बनवाया। सारनाथ स्तंभ पर चारों दिशाओं में सिंहगर्जना करते हुए इन शेरों को भारत गणराज्य द्वारा भारत के राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में शामिल किया गया है।

सम्राट अशोक का इलाहाबाद स्थित अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) ब्राह्मी लिपि में लिखा गया है। इतिहासकारों के अनुसार 200 ईस्वी में समुद्रगुप्त द्वारा अशोक स्तंभ को कौशांबी से प्रयागराज लेकर आया था और उसके दरबारी कवि हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति को इस पर उत्कीर्ण किया गया है।मुगल सम्राट जहांगीर के सिंहासन पर बैठने की कहानी भी इलाहाबाद स्थित अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) पर लिखी हुई है जो संभवतया 1605 ईसवी में लिखी गई।सन 1800 ईस्वी में इस अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) को गिरा दिया गया था लेकिन भारत में अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान 1838 ईसवी में इसे पुनः खड़ा किया गया।

वैशाली बिहार राज्य में है और यहां पर अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) स्थित हैं। भीषण “कलिंग युद्ध” में विजय प्राप्त करने के बाद जब सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया था, उसके बाद उसने वैशाली में एक स्तंभ का निर्माण करवाया जिसे वैशाली का अशोक स्तंभ कहा जाता है।
भगवान बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश वैशाली में दिया था, इसी बात को ध्यान में रखकर सम्राट अशोक ने वैशाली में अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) का निर्माण करवाया था।

भगवान बुद्ध की अंतिम यात्रा को दर्शाता वैशाली स्थित अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) अन्य स्तंभों से काफी अलग हैं। इस स्तंभ के शीर्ष पर त्रुटिपूर्ण तरीके से एक आकृति बनी है, जिसका मुंह उत्तर दिशा में है, यह आकृति सिंह की है।

वैशाली के अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) के समीप एक तालाब है और उसके पास में एक स्तूप भी बना हुआ है, इस तालाब को रामकुंड के नाम से जाना जाता है। इस पूरे परिसर को बौद्ध धर्म के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता है।

ग्रीको बौद्ध शैली से निर्मित निर्मित सांची का स्तूप या सांची का स्तंभ (Ashok Stambh) मध्यप्रदेश के सांची में स्थित हैं, जिसे तीसरी शताब्दी में बनाया गया था।
सदियों पुराना होने के बाद भी सांची के प्राचीन इतिहास की गवाही देता यह स्तंभ आज भी अच्छी स्थिति में है। इसकी बनावट और संरचना सारनाथ स्तंभ से मिलती है, सांची के अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) पर भी सिर्फ पर 4 शेर बैठे हैं।

सम्राट अशोक का मेरठ में निर्मित अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) जिसे बाद में फिरोज़ शाह तुगलक द्वारा दिल्ली लाया गया था। यह स्तंभ (Ashok Stambh) बलुआ पत्थर से बना हुआ है और इसकी ऊंचाई 13.1 मीटर है।

1. अशोक स्तंभ में कितने जानवर हैं?

उत्तर – मूल रूप से अशोक स्तंभ में चार शेर हैं जो चारों दिशाओं में मुंह किए खड़े हैं, लेकिन इसके जस्ट नीचे एक गोल आधार हैं जिस पर हाथी, घोड़ा, सांड और एक सिंह का चित्र बना हुआ है।

2. अशोक स्तंभ कहां स्थित है?

उत्तर -अशोक स्तंभ उत्तर प्रदेश के सारनाथ में स्थित है। सारनाथ के स्तंभ को ही अशोक स्तंभ के नाम से जाना जाता है, इस स्तंभ में चार शेर चारों दिशाओं में मुंह करके बैठे हैं।

3. अशोक के कितने स्तंभ हैं?

उत्तर – मुख्य रूप से अशोक के पांच स्तंभ हैं जिनमें सारनाथ स्तंभ, सांची स्तंभ, इलाहाबाद स्तंभ, वैशाली स्तंभ और दिल्ली स्थित स्तंभ मुख्य है जबकि सम्राट अशोक ने अपने कार्यकाल में 84 हजार छोटे-बड़े स्तंभों और स्तूपों का निर्माण करवाया था।

4. अशोक चिन्ह में कितने शेर हैं?

उत्तर– अशोक चिन्ह में चार शेर हैं।

5. अशोक चिन्ह किसका प्रतीक है?

उत्तर – अशोक चक्र धर्मचक्र का प्रतीक है।

6. अशोक के सारनाथ स्तंभ में कितनी तीलियां थी?

उत्तर – अशोक के सारनाथ स्तंभ में 32 तीलियां थी।

7. अशोक के स्तंभ लेखों की संख्या कितनी थी?

उत्तर – मौर्य सम्राट अशोक के स्तंभ लेखों की संख्या 33 थी।

8. अशोक के सीन सिर्फ को आज क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है?

उत्तर – क्योंकि यह भारत सरकार का राज चिह्न है।

9. भारतीय इतिहास के आलोक स्तंभ किसकी कृति है?

उत्तर- इसकी रचना समुद्रगुप्त के दरबारी कवि हरिषेण ने की थी।

10. अशोक चक्र क्या संदेश देता है?

उत्तर – अशोक चक्र में विद्यमान चौबीस तीलियां देश और समाज के चहुमुखी विकास के प्रति देशवासियों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकारी देती है।

11. भारत का राष्ट्रीय चिन्ह कौन सा है?

उत्तर – भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ है।

12. अशोक स्तंभ पर सांड किसका प्रतीक है?

उत्तर – सांड को भगवान बुद्ध के जन्म का प्रतीक माना जाता है।

13. सारनाथ स्तंभ की ऊंचाई कितनी है?

उत्तर – इसकी ऊंचाई 15.25 मीटर है।

14. धम्म चक्र में कितनी तीलियां होती थी?

उत्तर – 24 तीलियां।

15. अभिलेख और शिलालेख में क्या अंतर है?

उत्तर – शिलालेख पत्थरों पर लिखे जाते थे जबकि अभिलेख कागजों पर लिखे जाते थे।

16. अशोक का सबसे बड़ा अभिलेख कौन सा है?

उत्तर – कलिंग युद्ध से वर्णित अशोक का 13 वा शिलालेख सबसे बड़ा है।

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