जौहर किसे कहते हैं? भारत का प्रथम जौहर कब हुआ था, जानें जौहर का इतिहास
(भारत का प्रथम जौहर) जौहर का शाब्दिक अर्थ होता है “सबका कल्याण करने वाली प्रकृति की जय” हैं। प्रकृति के प्रति संपूर्ण समर्पण का भाव ही सही मायने में जौहर का अर्थ है। इस लेख के द्वारा आप भारत का प्रथम जौहर, जौहर का अर्थ ,जौहर किसे कहते हैं और जौहर का इतिहास जान सकेंगे।
जौहर किसे कहते हैं? (History Of Jauhar)
जौहर का शाब्दिक अर्थ आप जान चुके हैं, अब जानते हैं जौहर किसे कहते हैं?
जौहर पुराने समय में स्त्रियों द्वारा की जाने वाली वह क्रिया थी, जिसके माध्यम से वह अपनी देह को प्रकृति के हवाले कर देती थी। जौहर की परंपरा खास तौर पर राजस्थान में ज्यादा प्रसिद्ध थी। राजस्थान की स्त्रियों को जान से ज्यादा प्यारी उनकी इज्जत थी।
जब युद्ध में हार निश्चित हो जाती थी, उसके बाद राजा अंतिम युद्ध के लिए सब कुछ त्याग कर युद्ध मैदान में लड़ाई करने के लिए जाते और यदि वह वीरगति को प्राप्त हो जाते तो उनकी रानियां और साथ रहने वाली स्त्रियां जौहर कर लेती। बड़े-बड़े कुंड बने हुए थे जिसमें लकड़ियां डालकर आग लगा दी जाती थी और उसमें छलांग लगाकर जौहर कर लेती थी, इसी को जौहर कहते हैं।
भारत का प्रथम जौहर से लेकर अंतिम जौहर तक की कहानी इस वीरांगनाओं की गाथा गाती हैं।
जौहर की वजह क्या होती थी?
चाहे भारत का प्रथम जौहर हो या अन्य जोहर करने की मुख्य वजह युद्ध मैदान में राजा की हार के पश्चात दुश्मनों द्वारा स्त्रियों का हरण कर लिया जाता और स्त्रियों की अस्मिता के खिलाफ काम करते थे। इसी डर के मारे और अपनी आन बान और शान बनाए रखने के लिए वीर स्त्रियां जौहर को चुनती थी.
भारत में ज्यादातर जगह मुग़ल और मुस्लिम आक्रमणकारियों ने स्त्रियों को लूट कर उनका शीलभंग करने का काम किया था।
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जौहर का इतिहास
जौहर का इतिहास बहुत पुराना है। 336 और 323 ईसा पूर्व के बीच में ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि उस समय भी जौहर पता था। संभवतया यह भारत का प्रथम जौहर माना जाता हैं। यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है कि अपनी अस्मत बचाने के लिए स्त्रियां अपनी जान तक की बाजी लगा देती थी, ऐसी वीर नारियों को सत सत नमन हैं।
राजस्थान के चित्तौड़ का पहला जौहर सन 1301 ईस्वी में हुआ, जब दिल्ली के अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया। इस युद्ध में राणा रतन सिंह को पराजित होना पड़ा, तब महारानी पद्मिनी ने जौहर किया था।
चित्तौड़ का दूसरा जौहर 8 मार्च 1535 के दिन हुआ। चित्तौड़ की महारानी कर्णावती ने 13000 नारियों के साथ जौहर किया था।
चित्तौड़ का तीसरा जौहर 1568 ईस्वी में हुआ था जिसमें फतेह सिंह चुंडावत की पत्नी फुलकवर मेड़तानी के नेतृत्व में हजारों महिलाओं ने जौहर किया था।
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भारत का प्रथम जौहर कब हुआ?
भारत का प्रथम जौहर कब हुआ इसकी सटीक जानकारी तो उपलब्ध नहीं है लेकिन ऐसा कहा जाता है कि भारत का प्रथम जौहर Alexander (अलेक्जेंडर) के समय हुआ था। भारत के प्रथम जौहर की बात करें तो यह करीब 336 ईसा पूर्व और 323 ईसा पूर्व के बीच हुआ था।
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