राणा सांगा और इब्राहिम लोदी के युद्ध
महाराणा सांगा और इब्राहीम लोदी के मध्य 2 युद्ध हुए थे। दोनों ही बार महाराणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को धूल चटाई थी. राणा सांगा और इब्राहिम लोदी का युद्ध जो कि खातोली का युद्ध नाम से भी जाना जाता हैं, इसमें राणा सांगा की अद्वितीय जीत हुई। वही दूसरी तरफ बाड़ीघाटी का युद्ध या बाड़ी युद्ध राणा सांगा और इब्राहिम लोदी के बिच लड़ा गया दूसरा युद्ध था. इस लेख में आप पढ़ेंगे कि महाराणा सांगा और इब्राहिम लोदी के बिच लड़े गए युद्ध कौनसे थे और उनमें कौन विजयी रहा.
राणा सांगा और इब्राहिम लोदी का युद्ध या खातोली युद्ध
यह 1517 ईस्वी की बात हैं। दिल्ली में सिकंदर लोदी की मौत के बाद उसका बेटा इब्राहिम लोदी दिल्ली सल्तनत के शासक बने। इब्राहिम लोदी एक महत्वकांक्षी व्यक्ति था।
दूसरी तरफ महाराणा सांगा भी अपने साम्राज्य विस्तार में लगे हुए थे। जब इब्राहिम लोदी तक यह बात पहुंची कि राणा सांगा साम्राज्य विस्तार कर रहे हैं, तो वो इस बात को लेकर चिंतित हो गए कि कहीं उनके राज्य पर अधिकार ना कर लें।
इब्राहिम लोदी ने मुख्य सेनापतियों को बुलाया और सेना को एकजुट किया। इब्राहिम लोदी मेवाड़ की सेना से लोहा लेने के लिए तैयार था। इस तरह दिल्ली में हुई हलचल की ख़बर मेवाड़ तक पहुंच गई।
मेवाड़ नरेश महाराणा सांगा ने भी अपनी सेना को एकजुट किया और युद्ध के पूर्वाभास के चलते कमर कस ली। अपनी सेना के साथ इब्राहिम लोदी मेवाड़ की तरह निकल पड़ा। महाराणा सांगा की सेना भी आगे बढ़ गई। छोटी छोटी रियासतों के कई राजाओं ने इस युद्ध में महाराणा सांगा का साथ दिया।
खातोली युद्ध का परिणाम
दोनों सेनाओं की राजस्थान के खातोली नामक स्थान पर मुठभेड़ हुई, जो कि वर्तमान में लखेरी नामक स्थान पर था।खातोली का युद्ध लगभग 5 घंटों तक चला। मेवाड़ी सेना का अदम्य साहस और वीरता देखकर इब्राहिम लोदी दांतों तले उंगलियां दबाने लगा। पहली बार उसका सामना किसी शेर से हुआ।
नाम के सुल्तान युद्ध मैदान छोड़कर भागने लगे। जैसे तैसे इब्राहिम लोदी खुद की जान बचाकर भागने में कामयाब रहा लेकिन उसका पुत्र अर्थात शाहजादा को मेवाड़ी सेना ने पकड़ लिया।
महाराणा सांगा भी इस युद्ध में घायल हुए। उनका एक हाथ कट गया,एक आंख फूट गई साथ ही शरीर पर अनेक घाव हो गए। इसी वजह से महाराणा सांगा को एक सैनिक का भग्नावशेष कहा जाता हैं।
इब्राहिम लोदी के पुत्र को मेवाड़ लाया गया और छोटा सा दण्ड देकर छोड़ दिया। प्रारंभ से ही मेवाड़ी शासक दरियादिली दिखाते रहे हैं। महाराणा सांगा से हार के पश्चात् इब्राहिम लोदी बदले की आग में तपने लगा और अपनी सेना को पुनः संगठित किया और धौलपुर में भिडंत हुई लेकिन एक बार फिर महाराणा सांगा की सेना विजयी रही।
बाड़ीघाटी का युद्ध या बाड़ी युद्ध
सन 1509 ईसवी में मेवाड़ के महाराणा बनने के पश्चात महाराणा सांगा ने मेवाड़ की सीमाओं का विस्तार करने पर और अपने क्षेत्राधिकार को विस्तारित करने पर ध्यान दिया। इसके लिए सबसे पहले उन्होंने कई महत्वपूर्ण और पड़ोसी राजपूत राजाओं को एकत्रित किया।
जब इब्राहिम लोदी तक यह खबर पहुंची की महाराणा सांगा उसकी सीमा में घुस आया है तो वह घबरा गया और तुरंत महाराणा सांगा से युद्ध के लिए तैयार हो गया।
इब्राहिम लोदी, महाराणा सांगा को रोकने के लिए सन 1517 ईसवी में अपनी सेना के साथ मेवाड़ राज्य की तरफ कूच किया।
महाराणा सांगा को युद्ध का पहले से ही अंदेशा हो गया था इसलिए वह अपनी सेना के साथ युद्ध करने के लिए तैयार थे। महाराणा सांगा और इब्राहिम लोदी के मध्य युद्ध सबसे पहले खातोली नामक स्थान पर हुआ जिसमें महाराणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को बुरी तरह पराजित कर दिया।
लगातार बदले की आग में जल रहा इब्राहिम लोदी ने अपनी सेना को संगठित करना शुरू कर दिया। इस बार युद्ध में इब्राहिम लोदी स्वयं ना जाकर अपने सेनापति मियां माखन को महाराणा सांगा से लोहा लेने के लिए भेजा। इब्राहिम लोदी और महाराणा सांगा की सेना के बीच बाड़ी नामक स्थान पर चौकी पहाड़ी क्षेत्र है एक जोरदार लड़ाई लड़ी गई। बाड़ी का युद्ध महाराणा सांगा ने जीत लिया।
जैसा कि आपने ऊपर पड़ा बाड़ी का युद्ध महाराणा सांगा और इब्राहिम लोदी की सेनाओं के बीच में लड़ा गया था जिसमें महाराणा सांगा ने इब्राहिम लोदी की सेना को बुरी तरह पराजित कर दिया और ना सिर्फ राजस्थान में बल्कि पूरे भारत में अपना लोहा मनवाया। बाड़ी के युद्ध के अलावा भी महाराणा सांगा ने कई और युद्ध लड़े जिनमें खातोली का युद्ध, बयाना का युद्ध और खानवा का युद्ध इतिहास में प्रसिद्ध है।
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