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राजस्थान एकीकरण का प्रथम चरण

राजस्थान एकीकरण का प्रथम चरण 18 मार्च 1948 को पुरा हुआ था. वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता के उपरांत कई देशी रियासतों का भारत में विलय किया गया, जिसमें राजस्थान की भी कई विरासतें शामिल थी.

राजस्थान एकीकरण का प्रथम चरण थोड़ा मुश्किल था. जब भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 की धारा 8 के अनुसार देशी रियासतों से ब्रिटिश सरकार का अधिकार खत्म हो गया तो उनके पास 2 ऑप्शन थे. सभी देशी रियासतें स्वतंत्र रूप से यह अधिकार रखती थी कि वह अपनी इच्छा अनुसार भारत या पाकिस्तान में शामिल हो सकती है.

ऐसे समय में भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी इन रियासतों का भारत में विलय. विभिन्न रियासतों के एकीकरण की जिम्मेदारी सरदार वल्लभभाई पटेल को सौंपी गई. सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में एक रियासती विभाग का गठन किया गया और वी. पी. मेनन को उसका सचिव नियुक्त किया गया. राजस्थान एकीकरण का प्रथम चरण इतना आसान नहीं था.

राजस्थान एकीकरण का प्रथम चरण और भारत सरकार

पहला चरण18 मार्च 1948 को
नाममत्स्य संघ
शामिल रियासतेंअलवर, भरतपुर, करौली और धौलपुर
ठिकानानीमराणा (अलवर)
राजधानीअलवर
उद्घाटनलौहागढ़ दुर्ग (भरतपुर)
उद्घाटनकर्तानरहरि विष्णु गोडगिल
राजप्रमुख उदयभान सिंह (धौलपुर के राजा)
उपराजप्रमुखगणेशपाल (करौली के महारावल)
प्रधानमंत्री शोभाराम कुमावत (अलवर)
उपप्रधानमंत्रीयुगलकिशोर चर्तुवेदी
मत्स्य संघ नाम किसने दियाकन्हैयालाल माणिक्यलाल मुंशी
राजस्थान एकीकरण का प्रथम चरण और स्थिति।

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत सरकार ने यह नियम बनाया कि केवल वही रियासत अपना स्वतंत्र अस्तित्व रख सकती हैं जिनकी सालाना आय 1करोड़ रुपए या उस रियासत की जनसंख्या 10 लाख से अधिक हो.

भारत सरकार द्वारा बनाए गए इस मापदंड में राजस्थान की 4 रियासतें शामिल थी जिसमें उदयपुर, जयपुर, जोधपुर और बीकानेर का नाम शामिल है. यह रियासतें चाहती तो अपना स्वतंत्र अस्तित्व रख सकती थी.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्वतंत्रता प्राप्ति के समय राजस्थान में कुल 19 रियासतें और 3 ठिकाने थे.

इन तीन ठिकानों में लावा, कुशलगढ़ और नीमराणा शामिल थे. राजस्थान एकीकरण का प्रथम चरण 18 मार्च 1948 को पूरा हुआ था जिसमें राजस्थान एकीकरण के प्रथम चरण में अलवर ,करौली ,धौलपुर और भरतपुर रियासतों का एकीकरण हुआ था.

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रियासतों के एकीकरण की निति क्या थी?

[1] स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत सरकार ने यह नियम बनाया कि केवल वही रियासत अपना स्वतंत्र अस्तित्व रख सकती हैं जिनकी सालाना आय 1करोड़ रुपए या उस रियासत की जनसंख्या 10 लाख से अधिक हो.

[2] भारत सरकार द्वारा बनाए गए इस मापदंड में राजस्थान की 4 रियासतें शामिल थी जिसमें उदयपुर, जयपुर, जोधपुर और बीकानेर का नाम शामिल है.

[3] भारतीय संघ देशी राज्यों के आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी नहीं करेगा।

[4] किसी भी राजा को 10 लाख रुपये प्रतिवर्ष से अधिक राशि निजी व्यय के रूप में नहीं दी जाएगी।

[5] रियासतों का एकीकरण करने वाले संगठन का अध्यक्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल और सचिव वीपी मेनन को नियुक्त किया गया था.

परिणाम स्वरुप 18 मार्च 1948 को राजस्थान एकीकरण का प्रथम चरण सफलतापूर्वक पूरा हुआ.

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