मणिपुर का इतिहास || History Of Manipur
मणिपुर का इतिहास बहुत गौरवपूर्ण रहा हैं, इस राज्य ने प्राचीनकाल से लेकर आज तक अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचा कर रखा हैं. मणिपुर एक पूर्वी राज्य हैं जो भारत के नार्थ-ईस्ट में स्थित हैं. यह राज्य अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्ता के लिए विश्विख्यात हैं. आधुनिक मणिपुरी साम्राज्य की स्थापना का श्रेय राजा बोधचन्द्र सिंह को जाता हैं.
मणिपुर का इतिहास भारत के इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, इस राज्य ने पुरे विश्व को “पोलो खेल” दिया हैं अर्थात पुरे विश्व में पोलो खेल का प्रारंभ सबसे पहले मणिपुर में हुआ था. मणिपुर का इतिहास सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं. मणिपुर की राजधानी वर्ष 1972 में इम्फाल को बनाया गया.
इस लेख में हम संक्षिप्त में मणिपुर का इतिहास जानेंगे.
मणिपुर का इतिहास (History Of Manipur)

मणिपुर का इतिहास ईस्वी युग के शुरू होने से पहले का हैं. इस राज्य के राजवंशों का लिखित इतिहास 33 ईस्वी से प्रारंभ होता हैं जब पखंगबा नामक राजा का राज्याभिषेक हुआ था. मणिपुर राज्य की मुख्य भाषा मेइतिलोन हैं जिसे मणिपुरी भाषा के नाम से भी जाना जाता हैं. मणिपुर का शाब्दिक अर्थ हैं “आभूषणों की भूमि”. मणि का अर्थ रत्नों से हैं जबकि पुर का अर्थ नगर से हैं. यह राज्य अपने आप में विशिष्ट इतिहास को समेटे हुए हैं.
नागा, कुकी और मैतेई समुदाय की लगभग 60 से भी अधिक जनजातियाँ यहाँ निवास करती हैं. मणिपुर का इतिहास देखा जाए इसे प्राचीन समय में कलैपाक नाम से जाना जाता था. मणिपुर को मैत्रबक, कंलैपुं,कथै, मोगली, मिक्ली और पोथोंकल्म नाम से भी जाना जाता था. पखंगबा नामक राजा ने यहाँ लगभग 120 वर्षों तक शासन किया था.
मणिपुर का इतिहास (History Of Manipur) पौराणिक कथाओं, पुरातात्विक अनुसंधानों और लिखित इतिहास द्वारा ज्ञात हैं.
मणिपुर का इतिहास (History Of Manipur In Hindi) दर्शाती यह 15 लाइन्स बहुत महत्वपूर्ण हैं-
[1] मणिपुर भारत का उत्तर-पूर्वी (North-East) का एक प्रमुख राज्य है जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है.
[2] मणिपुर का इतिहास प्राचीन काल से ही प्रारंभ हुआ है, एक समय था जब यह “काब्रा नदी” के किनारे वास करने वाले मानस के नाम से जाना जाता था.
[3] आधुनिक मणिपुर राज्य की स्थापना का श्रेय 18वीं सदी में जन्में चक्रवर्ती सम्राट बोधचन्द्र सिंह नामक राजा को जाता हैं.
[4] 19वीं और 20वीं सदी में ब्रिटिश शासन के दौरान मणिपुर ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य का हिस्सा बना और राज्य से राजा-महाराजाओं के शासन का अंत हुआ था.
[5] जब 1947 में भारत स्वतंत्रता अंग्रेजी शासन से स्वतंत्र हुआ तब मणिपुर राज्य का भारत में विलय हो गया. वर्ष 1972 में मणिपुर को भारतीय राज्य घोषित किया गया.
[6] मणिपुर की धरती पर विविध जातियों और संस्कृतियों का मिश्रण है, जैसे मैतेई, कुकी, नागा, तिब्बती, खासी और असमियाआदि. मैतेई यहाँ के मूलनिवासी हैं.
[7] मणिपुर की सांस्कृतिक विरासत में मणिपुरी नृत्य, संगीत, शिल्पकारी और पुरानी मंदिरों की सुंदरता शामिल है जो प्राचीनकाल से ही इस राज्य की मुख्य पहचान रही हैं.
[8] मणिपुर को प्राचीन समय में “मणिपुरी” नाम से जाना जाता था.
[9] मणिपुर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में कंपोंग तांगजोई खजाइला, केबुल लामजोई खजाइला, लोकताक झील (Loktak Lake), इम्फाल नेशनल पार्क और केरेल पाट जैसे स्थान शामिल हैं जो इसकी ऐतिहासिकता को दर्शाते हैं.
[10] मणिपुर का इतिहास (History Of Manipur In Hindi) एक समृद्ध और रोमांचकारी यात्रा है जो इसके प्राचीन और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करती है. इस राज्य की ऐतिहासिक झलक अन्य भारतीय राज्यों से भिन्न और महत्वपूर्ण हैं.
[11] मणिपुर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, उद्योग और पर्यटन पर आधारित है.
[12] वर्ष 1891 के आंग्ल-मणिपुर युद्ध ने मणिपुर के इतिहास में घटित एक महत्वपूर्ण घटना हैं, इस युद्ध के परिणामस्वरूप राजा के शासन का अंत मणिपुर राज्य अंग्रेजी शासनाधीन हो गया.
[13] मणिपुर ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई, हिजाम इराबोत और रानी गाइदिन्ल्यू जैसे प्रमुख नेताओं ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिसके परिणामस्वरूप ही यह राज्य अंग्रेजी शासन का अंत करने में सफल रहा.
[14] मणिपुर में प्राचीन “कंगला फोर्ट” स्थित हैं जो राजा-महाराजाओं का निवास स्थान हुआ करता था.
[15] मणिपुर में आदिवासी जनजातियाँ अधिक हैं.
ये15 पंक्तियाँ मणिपुर का इतिहास (History Of Manipur In Hindi) संक्षिप्त में प्रस्तुत करती हैं, यह लाइन्स मणिपुर के प्राचीन मूल, ब्रिटिश शासन, स्वतंत्रता आंदोलन, सांस्कृतिक विरासत और भारतीय संघ के भीतर एक राज्य में परिवर्तन पर प्रकाश डालती हैं.
मणिपुर के मुख्य राजा और उनकी शासनावधि
राजा का नाम | शासनावधि |
लोइयुम्बा | 1074-1112 |
सेनबी कियांबा | 1467-1508 |
कोइरेंगबा | 1508-1512 |
खगेम्बा | 1597-1652 |
पीताम्बर चरैरोंगबा | 1697–1709 |
पम्हीबा | 1720–1751 |
गौरीसियाम | 1752-1754 |
चितसाई | 1754-1756 |
चिंग-थांग खोम्बा | 1769–1798 |
रोहिंचंद्र | 1798-1801 |
मधुचंद्र सिंह | 1801-1806 |
चौरजीत सिंह | 1806-1812 |
मरजीत सिंह | 1812-1819 |
गंभीर सिंह | 1825-1834 |
राजा नारा सिंह | 1844-1850 |
देबिन्द्रो सिंह | 1850-1850 |
चंद्रकीर्ति सिंह | 1850-1886 |
सुरचंद्र सिंह | 1886-1890 |
कुलचंद्र सिंह | 1890-1891 |
चुराचंद्र सिंह | 1891-1941 |
बोधचंद्र सिंह | 1941-1949 |
यह भी पढ़ें-
राजा दशरथ की कहानी.
सूर्यवंश का इतिहास.
महाराणा कुम्भा का इतिहास.
Post a Comment