Madhavrao Peshwa II का इतिहास

पेशवा माधवराव द्वितीय,madhavrao Peshwa II अर्थात माधवराव नारायण मराठा साम्राज्य के 12वें पेशवा बने। जब इनके पिता नारायण राव की मृत्यु हुई तब इनकी आयु मात्र 40 दिन थी।

पेशवा माधवराव द्वितीय का इतिहास (Madhavrao Peshwa II)

  • पूरा नाम full name of madhavrao 2 – श्रीमंत पेशवा माधव राव भट II (Madhavrao Peshwa II).
  • अन्य नाम- माधवराव द्वितीय अर्थात “माधवराव नारायण” पेशवा, सवाई माधवराव पेशवा
  • जन्म Peshwa madhavrao II date of birth- 18 अप्रैल 1774 ईस्वी।
  • मृत्यु Peshwa madhavrao II died- 27 अक्टूबर 1795 , शनिवार वाड़ा पुणे।
  • माता का नाम peshwa Madhavrao II mother’s name- गंगाबाई।
  • पत्नी का नाम madhavrao peshwa 2 wife name-NA
  • माधवराव द्वितीय के पुत्र का नाम madhavrao ii son- NA
  • धर्म religion- हिंदू सनातन।
  • इनके समय मराठा साम्राज्य के छत्रपति(monarch)- राजाराम द्वितीय.
  • इनसे पहले मराठा साम्राज्य के पेशवा preceded by – रघुनाथ राव.
  • इनके बाद मराठा साम्राज्य के पेशवा succeeded by – बाजीराव द्वितीय.

पेशवा माधवराव द्वितीय अर्थात माधवराव नारायण मराठा साम्राज्य के 12वें पेशवा बने। जब इनके पिता नारायण राव की मृत्यु हुई तब इनकी आयु मात्र 40 दिन थी। पिता की मृत्यु के बाद इन्हें मराठा साम्राज्य का पेशवा बनने का सौभाग्य मिला। 18 मई 1774 को इन्हें पेशवा बनाया गया।

श्रीमंत पेशवा माधव राव भट II (18 अप्रैल 1774 – 27 अक्टूबर 1795) ने लगभग 21 वर्षों तक पेशवा पद संभाला।शिशु होने की वजह से यह कामकाज नहीं देख सकते थे इसलिए इनकी जगह “नाना फडणवीस” ने समस्त कार्य को अपने हाथ में लिया।

Madhavrao Peshwa II का प्रारंभिक जीवन

नके जन्म से पहले ही इनके पिता नारायण राव की हत्या हो गई थी। 18 अप्रैल 1774 का दिन था। उगता हुआ सूरज मराठा साम्राज्य के लिए खुशियों की सौगात लेकर आ रहा था. जिसकी तनिक भी जानकारी किसी को नहीं थी।

विधवा गंगाबाई (पेशवा माधवराव द्वितीय की माता) ने जब पुत्र को जन्म दिया तो यह खबर पूरे क्षेत्र में आग की तरह फैल गई और लोग खुशी से झूम उठे। मराठा साम्राज्य के लिए 12वें पेशवा के रूप में माधवराव नारायण का जन्म हुआ।

माधवराव नारायण के पिता पेशवा माधवराव की हत्या उनके चाचा रघुनाथ राव के द्वारा की गई थी। रघुनाथरव को कोई भी पसंद नहीं करता था इसलिए इनके जन्म के समय बहुत खुशियां मनाई गई।

माधवराव नारायण (Madhavrao Peshwa II) का जन्म मराठा साम्राज्य के लिए उम्मीद की किरण थी। मराठा साम्राज्य के समस्त कामकाज देखने वाले और प्रगाढ़ राजनीतिज्ञ श्रीमंत नाना फडणवीस ने सभी बड़े सेनापतियों को बुलाया विद्वानों और क्षेत्र के मुख्य लोगों से मुलाकात की, और निर्णय लिया कि अब मराठा साम्राज्य के भविष्य को देखते हुए रघुनाथराव को पद से हटाना पड़ेगा।

Madhavrao Peshwa II पेशवा कैसे बनें

1773 ईस्वी में नारायण राव की हत्या उनके चाचा रघुनाथ राव के समर्थक सुमेर सिंह गर्दी द्वारा कर दी गई थी। नारायणराव पेशवा की मृत्यु के समय उनकी पत्नी गर्भवती थी। नारायण राव की हत्या करवा कर रघुनाथ राव मराठा साम्राज्य का 11वा पेशवा बना।

नारायण राव की पत्नी गंगाबाई ने 18 अप्रैल 1774 में बच्चे को जन्म दिया। यह समाचार सुनकर राज्य के सभी लोग बहुत खुश हुए। बच्चे के जन्म का समाचार सुनकर रघुनाथ राव अर्थात राघोबा कुछ नहीं कर पाया क्योंकि इस समय रघुनाथ राव से अधिक प्रभाव नाना फडणवीस का था।

बच्चे का नामकरण “सवाई माधवराव द्वितीय” (madhavrao 2) किया गया, नाना फडणवीस के सानिध्य में सभी पदाधिकारियों ने मिलकर मराठा साम्राज्य के नए पेशवा के रूप में “सवाई माधवराव द्वितीय”(Madhavrao Peshwa II) के नाम की घोषणा की। इस तरह माधवराव द्वितीय अर्थात माधवराव नारायण को मराठा साम्राज्य का 12 वां पेशवा नियुक्त किया गया।

रघुनाथ राव के खिलाफ कार्यवाही

जिस तरह निर्मम रूप से नारायण राव की मात्र 18 वर्ष की आयु में हत्या की गई, उससे उस क्षेत्र के लोगों में काफी आक्रोश था और सभी लोग चाहते थे कि नारायणराव को न्याय मिले और रघुनाथराव को सजा। “राम शास्त्री प्रभु”( Ram Shastri Prabhu) के नेतृत्व में नारायण राव की हत्या की जांच हुई जिसमें रघुनाथ राव दोषी पाया गया।

मराठा साम्राज्य के सभी मंत्रियों ने मिलकर एक समिति बनाई जिसका नाम “बारा भाई” रखा।क्योंकि इस समिति में कुल मिलाकर 12 सदस्य थे इसलिए इसका नाम “बारा भाई” रखा गया।
नाबालिक होने की वजह से “माधवराव द्वितीय”(Madhavrao Peshwa II) की जगह समस्त कार्य इस समिति के द्वारा किए जाने लगे।

First Anglo-Maratha war जोकि 1782 ईस्वी में हुआ था इस युद्ध में अंग्रेजो की बुरी तरह से हार हुई और उन्होंने माधवराव द्वितीय को पेशवा के रूप में स्वीकार कर लिया। माधवराव द्वितीय के साथ-साथ रघुनाथ राव की भी हार थी। लेकिन अब भी माधवराव द्वितीय के हाथ में मराठा साम्राज्य की सभी शक्तियां नहीं थी वह सिर्फ नाम मात्र के पेशवा थे जबकि नाना फडणवीस और महादजी शिंदे सर्वे सर्वा थे।

Anglo Mysore war जोकि 1761 ईस्वी से लगातार चला आ रहा था। मैसूर के हैदर अली और टीपू सुल्तान का सामना करने के लिए अंग्रेजों का साथ इस बार मराठों ने दिया।

अंग्रेजों और मैसूर के बीच में हुए तीसरे युद्ध के बाद अंग्रेज लगातार ताकतवर होते जा रहे थे। ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रभाव और ताकत सिर्फ मैसूर में ही नहीं बल्कि संपूर्ण भारत में मराठों के समर्थन से बढ़ रही थी जो भारत के लिए एक बहुत बड़ी चिंता का विषय था।

सन 1788 ईस्वी में गुलाम कादिर ने दिल्ली में मुगलों पर आक्रमण कर दिया। मुगल सुल्तान द्वारा इस युद्ध में मराठों की सहायता मांगी गई। महादजी शिंदे के नेतृत्व में मराठा सेना की टुकड़ी दिल्ली गई और मुगलों की तरफ से लड़ी। गुलाम कादिर को मार भगाया, इस तरह से पेशवा माधवराव द्वितीय (Madhavrao Peshwa II) की मराठी सेना ने मुगलों की रक्षा की। सन 1790 ईसवी में मराठों ने राजपूतों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों पर धावा बोल दिया और राजपूतों के राज्य को जीत लिया।

1794 ईस्वी में मराठों को एक बहुत बड़ा झटका लगा और बड़े मंत्री और राजनीतिज्ञ महादजी शिंदे का देहांत हो गया। महादजी शिंदे की मृत्यु के पश्चात सारा कामकाज और ताकत नाना फडणवीस के हाथों में आ गई और एक जगह केंद्रित हो गई।

पशु और पक्षियों से प्रेम को लेकर भी मराठा साम्राज्य के 12 वें “पेशवा माधवराव नारायण द्वितीय” (Madhavrao Peshwa II) को याद किया जाता है। माधवराव को पशुओं से विशेष प्रेम था यह राज्य के बाहर जंगलों में टहलने के लिए जाया करते थे।

विदेशी जानवरों की बात करें तो शेर और गैंडे बहुत अधिक संख्या में इनके पास मौजूद थे। इतना ही नहीं माधवराव द्वितीय को प्रशिक्षित और नाचने वाली हिरणों के झुंड रखने का बहुत शौक था। पुणे के जिस क्षेत्र में यह ज्यादातर शिकार करते थे उसी क्षेत्र में इन्होंने “पेशवे पार्क” का निर्माण करवाया जो कि वर्तमान में पुणे में स्थित है। बाद में यह एक चिड़िया घर बन गया।

माधवराव द्वितीय की मृत्यु कैसे हुई

मात्र 21 वर्ष की आयु में 27 अक्टूबर 1795 के दिन शनिवार वाडा में ही ऊंची दीवार से कूदकर माधवराव द्वितीय (Madhavrao Peshwa II) ने आत्महत्या कर ली। नाना फडणवीस की ज्यादती और अधीनता उनको स्वीकार नहीं थी यह भी उनकी आत्महत्या की एक वजह हो सकती है।

दूसरी वजह की बात की जाए तो अपमान और तिरस्कार जेल रहे, एक पुलिस आयुक्त घासीराम कोतवाल को फांसी की सजा देते समय माधवराव द्वितीय ( Madhavrao Peshwa II) नाना फडणवीस के समक्ष अपने विचार रखने में सक्षम नहीं थे।

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