History Of Parvatibai Peshwa || पार्वतीबाई पेशवे का इतिहास।

“पार्वतीबाई पेशवे”( parvatibai peshwa history ) अथवा “पार्वतीबाई पेशवे माहिती” सदाशिवराव भाऊ की दूसरी पत्नी थी। Sadashivrao Bhau की पहली पत्नी उमाबई के आकस्मिक निधन के बाद उन्होंने पार्वतीबाई के साथ दूसरा विवाह किया था।

इस विवाह के साथ ही पार्वतीबाई को पेशवा परिवार के सदस्य के रुप में मान्यता मिली। “parvatibai peshwa history in marathi” ज्यादातर लोग सर्च करते हैं लेकिन इस विषय पर हिन्दी में जानकारी (History in Hindi) बहुत कम उपलब्ध हैं। इसको ध्यान में रखते हुए यह लेख लिखा गया है।

पार्वतीबाई पेशवे का इतिहास (parvatibai peshwa history in hindi)

परिचय बिंदुपरिचय
पूरा नामपार्वतीबाई पेशवे माहिती/मराठी
जन्मतिथि6 अप्रैल 1734 ईस्वी
जन्म स्थानफलतान (महाराष्ट्र)
मृत्यु तिथि23 सितंबर 1763 ईस्वी
पति का नामसदाशिवराव भाऊ
पुत्र/पुत्रीअज्ञात
साम्राज्यमराठा साम्राज्य
धर्महिंदू सनातन
Biography Of Parvatibai Peshwa

अपने अदम्य साहस, दूरदर्शिता और युद्ध कला की बारीकियां जानने की वजह से छत्रपति शाहूजी महाराज की विश्वासपात्र थी। पार्वतीबाई पेशवे माहिती (Parvatibai Peshwa) की भतीजी राधाबाई का विवाह आगे चलकर विश्वासराव के साथ हुआ था।

साम्राज्य विस्तार और दक्षिण विजय के लिए जब मराठी सेना निकली तो पार्वतीबाई पेशवे माहिती ने अपने पति सदाशिवराव भाऊ का बचाव किया।

धार्मिक प्रवृत्ति की होने की वजह से पार्वतीबाई पेशवे ने रास्ते में पड़ने वाले मथुरा और वृंदावन की तीर्थ यात्रा की, इस समय उनके साथ नाना फडणवीस और मराठा कैंप की अन्य महिलाएं भी मौजूद थी।

चंबल नदी के सबसे सुरक्षित रास्ते पर पार्वतीबाई पेशवे की मुलाकात मल्हार राव होलकर से भी हुई।

पानीपत का तीसरा युद्ध जो कि मराठी सेना और अब्दुल शाह अब्दाली की सेनाओं के बीच लड़ा गया था। यह युद्ध मराठा साम्राज्य के लिए बुरे सपने की तरह था।

इस युद्ध में मराठा साम्राज्य के साथ-साथ, व्यक्तिगत रूप से पार्वतीबाई पेशवे माहिती (Parvatibai Peshwa) को भी बड़ा नुकसान हुआ और उनके पति सदाशिव राव भाऊ की मृत्यु हो गई।

पार्वतीबाई पेशवे के जीवन से संबंधित मुख्य बातें (parvatibai peshwa history)

(1) पार्वतीबाई पेशवे “कोल्हाटकर परिवार” (Kolhatkar) से थी, जोकि महाराष्ट्र के पेन क्षेत्र के रहने वाले थे।

(2) पार्वतीबाई पेशवे का विवाह सदाशिवराव भाऊ (चिमाजी अप्पा के पुत्र) के साथ हुआ था। और जैसा कि आप जानते हैं चिमाजी अप्पा बाजीराव पेशवा के छोटे भाई थे।

(3) पार्वतीबाई पेशवे (Parvatibai Peshwa) के पति सदाशिवराव भाऊ के पास मराठा साम्राज्य के दीवान होने के साथ-साथ सेनापति की भी जिम्मेदारी थी।

(4) पानीपत के मैदान में मराठों और अब्दुल शाह अब्दाली की सेना के बीच “पानीपत का तीसरा युद्ध” लड़ा गया था, उसमें सदाशिवराव भाऊ का सामना अहमद शाह दुर्रानी से हुआ।

(5) पानीपत के तीसरे युद्ध में पति सदाशिवराव भाऊ की मृत्यु का दुःखद समाचार सुनकर पार्वतीबाई पेशवे स्तब्ध रह गई। लेकिन उन्होंने उनकी मृत्यु को स्वीकार नहीं किया और उन्होंने कभी भी स्वयं को विधवा नहीं माना।

(6) मराठा साम्राज्य के “पेशवा बालाजी बाजीराव” के पुत्र विश्वासराव के साथ उनकी भतीजी राधाबाई का विवाह संपन्न करवाया गया।

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पार्वतीबाई पेशवे की मृत्यु (how did parvatibai peshwa died)

पार्वतीबाई पेशवे ने पूरा जीवन मराठा साम्राज्य की सेवा में समर्पित कर दिया था। पति सदाशिवराव भाऊ की मृत्यु के पश्चात विधवा होने के बाद भी वह मराठा साम्राज्य की प्रशासनिक कार्य देखती रही और मराठा सरदारों की सहायता करती रही।

इस समय माधवराव के हाथ में मराठा साम्राज्य की कमान थी। 23 सितंबर 1763 के दिन महाराष्ट्र के सतारा में रानी “पार्वतीबाई पेशवे” का अंतिम दिन होगा यह किसी ने नहीं सोचा था। निमोनिया नामक बीमारी के चलते पार्वतीबाई पेशवे (Parvatibai Peshwa) ने दम तोड़ दिया।

पुणे में उनका अंतिम संस्कार किया गया। मराठी सरदार नहीं चाहते थे कि पार्वतीबाई (Parvatibai Peshwa) का कोई भी स्मारक बने। अंततः पार्वतीबाई पेशवा के अंतिम संस्कार से संबंधित समस्त रशमें उनके गृह नगर पेन में हिंदू रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुई। parvatibai peshwa in swamini serial में पार्वतीबाई पेशवे की महिमा और parvatibai peshwa history का मंडन किया जा चूका हैं।

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