राजा मानसिंह और मृगनयनी की प्रेम कहानी
राजा मानसिंह ग्वालियर के तोमर वंश के राजा थे। संपूर्ण विश्व में ग्वालियर का गुजरी महल प्रसिद्ध है। इस महल का निर्माण कैसे हुआ यह जानने के लिए इसके पीछे छिपी हुई एक बहुत ही सुंदर प्रेम कहानी है। यह प्रेम कहानी ना सिर्फ अथाह प्रेम का प्रतीक है, बल्कि भारत के गौरवशाली इतिहास को भी बयां करती है। साथ ही ऊंच-नीच और भेदभाव को मिटाने के लिए प्रेरणा देती राजा मानसिंह और मृगनयनी की प्रेम कहानी 600 साल बीत जाने के बाद भी अजर अमर है।
राजा मानसिंह और मृगनयनी की प्रेम कहानी की गाथा सुनाता “गुजरी महल” आज भी खड़ा है और इस महल का प्रत्येक स्तंभ प्रेम की बुनियाद पर खड़ा है। गुजरी महल को ग्वालियर के किले पर ना बनाकर शहर के बाहर बनाया गया है जो यहां के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक हैं।
राजा मानसिंह और मृगनयनी की प्रेम कहानी
गुर्जर परिवार से संबंध रखने की वजह से मृगनयनी बचपन से ही तीर कमान और भाले चलाने में माहिर थी। शिकार करना इन्हें अच्छी तरह से आता था। मुगल शासक गयासुद्दीन उस समय चारों तरफ अपना आतंक फैला रहा था। उसका काम ना सिर्फ लूटपाट करना था बल्कि सुंदर स्त्रियों को उठाकर साथ ले जाना और अय्याशी करना इनका मुख्य कार्य था।
गयासुद्दीन तिघरा के पास राई गांव की रहने वाली गुर्जर परिवार से संबंध रखने वाली बहुत ही मासूम और बड़ी बड़ी आंखों वाली लड़की थी। मृगनयनी का अर्थ होता है हिरण के समान आंखों वाली। मुगल शासक गयासुद्दीन को उसके सैनिकों ने जानकारी दी कि ग्वालियर के समीप राई गांव की रहने वाली निन्नी (मृगनयनी) बहुत ही सुंदर हैं जिसकी चर्चा पूरे क्षेत्र में है।
यह सुनकर मुगल शासक गयासुद्दीन खुशी के मारे झूम उठे और उसने अपने सिपाहियों को आदेश दिया कि कैसे भी करके मृगनयनी को उनके महल में लेकर आए। 2 सैनिक राई गांव की ओर चल पड़े उस समय मृगनयनी गुज्जर शिकार करने के लिए जंगल में गई हुई थी उसके साथ उसकी बचपन की सहेली लाखी भी थी।
जब दोनों मुगल सैनिकों का सामना मृगनयनी से हुआ तो उन सैनिकों ने कहा कि उसे मुगल शासक गयासुद्दीन ने अपने महल में बुलाया है, हम तुम्हें लेने आए हैं। यह सुनकर मृगनयनी गुस्से से आगबबूला हो उठी और दोनों सैनिकों को अपने बाण के दम पर मौत के घाट उतार दिया।
दूसरे ही दिन आसपास के क्षेत्र में यह घटना आग की तरह फैल गई। राजामान सिंह ने भी यह खबर सुनी तो उनकी लालसा मृगनयनी से मिलने की हुई क्योंकि राजा मानसिंह राई गांव की तरफ अक्सर शिकार करने के लिए आया करते थे तो उनके लिए मृगनयनी से मिलना ज्यादा मुश्किल भी नहीं था।
राई गांव के पुजारी ने राजा मानसिंह तोमर के लिए संदेश पहुंचाया कि गांव में मंदिर निर्माण के लिए आर्थिक मदद की जरूरत है। राजा मानसिंह के लिए यह एक पंथ दो काज के समान हो गया। स्वयं राजा मानसिंह तोमर राई गांव आने के लिए जल्दी राजी हो गए और यह खबर गांव वालों में पहुंचगई। गांव वालों ने जोर-शोर से उनके स्वागत की तैयारियां करने लगे।
दूसरे दिन जैसे ही राजा मानसिंह तोमर राई गांव पहुंचे लोग पहले से पलके बिछाए उनका इंतजार कर रहे थे। सबसे पहले पुजारी जी खड़े थे, उनके पास ही मृगनयनी भी हाथ में तिलक लगाने के लिए आवश्यक सामग्री लेकर खड़ी थी। पुष्प वर्षा से राजा मानसिंह तोमर का स्वागत हुआ उनके ललाट पर तिलक लगाया गया, इस दौरान उनकी नजर मृगनयनी पर पड़ी।
वो मृगनयनी से अपनी नजर हटा नहीं पा रहे थे यह घटना मृगनयनी का भाई अटल भी बड़े ध्यान से देख रहा था। साथ ही उसकी सहेली लाखी भी इस घटना को प्रत्यक्ष देख रही थी। मृगनयनी का अर्थ होता है मृग के समान आंखों वाली। राजा मानसिंह ने उस गांव के लिए मंदिर निर्माण हेतु, गांव में सड़क निर्माण हेतु और सामाजिक कार्यक्रमों के लिए आर्थिक मदद की।राजा मानसिंह के वहां से चले जाने के बाद मृगनयनी की सहेली लाखी उसे बार-बार यह कहकर चिढ़ा रही थी कि तू तो ग्वालियर की महारानी बनेगी। राजा को पहली नजर में ही प्यार हो गया था।
मृगनयनी के भाई अतुल ने भी पुजारी जी से इस संबंध में बात की।कुछ समय पश्चात राजा मानसिंह का शिकार के लिए राई गांव की तरफ आना हुआ, जहां पर उसकी मुलाकात मृगनयनी से हुई। इस बार उसके साथ में उसका भाई और उसकी सहेली लाखी भी थी।राजा के समक्ष मृगनयनी ने दो हिरणों का शिकार किया। यह देखकर राजा मानसिंह पूरी तरह मदहोश हो गए और उन्होंने अपना दिल मृगनयनी को दे दिया।
मृगनयनी के सामने शादी का प्रस्ताव और मृगनयनी की शर्तें
राजा मानसिंह ने मृगनयनी के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। अपने भाई अतुल और सखी लाखी से बात करने के बाद मृगनयनी ने शादी का प्रस्ताव मान लिया लेकिन इसके लिए राजा के सामने तीन शर्ते रखी। पहली शर्त यह थी कि वह पानी इस गांव का ही पिएगी।
दूसरी शर्त यह थी कि उसे गांव का माहौल पसंद है इसलिए वह यहां पर आती जाती रहेगी। और तीसरी शर्त यह थी कि राज महल में उसे अन्य रानियां नहीं अपनाएगी, इसलिए वह उन सब से अलग रहेंगी। इन सभी को राजा मान सिंह ने हंसते-हंसते मान लिया।
शादी की तैयारियां
राजा मानसिंह और मृगनयनी की प्रेम कहानी परवान चढ़ने जा रही थी। मृगनयनी की शादी की तैयारियां पूरा गांव कर रहा था। उसका भाई अटल भी चाहता था कि वह अपने दम पर सभी काम करें।
जब राजा मानसिंह ने उसके भाई के सामने यह प्रस्ताव रखा है कि वह ग्वालियर में शादी कर लेगा और लड़की का खर्चा भी वह उठा लेगा, इस पर अटल बहुत नाराज हुआ। तब राजा मानसिंह मान गए और उन्होंने कहा कि जैसे चाहो तुम अपनी बहन की शादी कर सकते हो, हम तुम्हारे रीति रिवाज के अनुसार ही शादी करेंगे।
फिर क्या था अटल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, वह रात भर नहीं सोया और खुद ने मंडप तैयार किया। दूसरे दिन शादी हुई और उसकी बहन विदा हो गई। विदाई के समय अटल और मृगनयनी एक दूसरे के गले लग कर काफी देर तक रोए। साथ ही मृगनयनी ने उसकी सहेली लाखी और अटल को भी एक दूसरे से शादी करने के लिए राजी कर दिया।
राजा मानसिंह का विरोध
महारानी मृगनयनी गुर्जर परिवार से संबंध रखती थी जबकि राजा मानसिंह राजपूत परिवार से थेे। इसलिए इस विवाह का बहुत विरोध हुआ था। ग्वालियर महल में कोई भी रानी मृगनयन को अपनाने के लिए तैयार नहीं थी। ऐसे में ग्वालियर के बहार राजा मानसिंह तोमर ने मृगनयनी के लिए एक बहुत ही भव्य महल बनाया जिससे “गुजरी महल” के नाम से जाना जाता है।
मृगनयनी गुर्जर को यहां का पानी पसंद नहीं आया था इसलिए राजा मानसिंह तोमर ने मृगनयनी के गांव से लेकर इस महल तक एक पाइप लाइन बिछवा दी थी जो आज भी मौजूद है।
राजा मानसिंह तोमर और मृगनयनी गुज्जर के प्रेम की कहानी बयान करता यह प्रेम का प्रतीक गुजरी महल आज भी पर्यटकों के लिए सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र है।
राजा मानसिंह और मृगनयनी की प्रेम कहानी इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गई। जिसे आने वाले युगो युगो तक याद रखा जाएगा।
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