महाराजा सर माधो राव सिंधिया ऑफ़ ग्वालियर (20 जून 1886 से 5 जून 1925 तक) सिंधिया राजवंश से संबंध रखने वाले ग्वालियर रियासत के महाराजा थे। लगभग 40 वर्षों तक इस पद पर रहे।
माधो राव सिंधिया पहली बार 1886 में ग्वालियर के महाराजा बने। ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें ग्वालियर रियासत के प्रगतिशील शासक की संज्ञा दी गई थी। माधो राव सिंधिया ने दो शादियां की पहली पत्नी से उन्हें कोई भी संतान प्राप्त नहीं हुई जबकि दूसरी पत्नी ने एक पुत्र और एक पुत्री को जन्म दिया।
माधो राव सिंधिया का इतिहास
पूरा नाम | महाराजा सर माधो राव सिंधिया ऑफ़ ग्वालियर |
उपाधि | दी महाराजा सिंधिया ऑफ ग्वालियर |
जन्मतिथि | 20 अक्टूबर 1876 |
मृत्यु तिथि | 5 जून 1928 |
पिता का नाम | जयाजीराव सिंधिया |
माता का नाम | साख्याबाई राजे साहिब सिंधिया बहादुर |
पत्नियों के नाम | महारानी चिंकू बाई राजे और महारानी गजरा बाई राजे |
शासन अवधि | 20 जून 1886 से 5 जून 1925 |
ग्वालियर के महाराजा को बड़ौदा की राजकुमारी गायत्री देवी से शादी करनी थी लेकिन उनकी माता इंदिरा द्वारा अस्वीकार कर दिया गया, और उनकी सगाई टूट गई। महाराजा माधो राव सिंधीया ने गोवा के राजपरिवार की “राजकुमारी गजरा राजे” से शादी की जो कि राणे परिवार से ताल्लुक रखती थी।
महाराजा माधो राव सिंधीया को यूनाइटेड किंगडम और भारतीय राज्यों से सम्मान मिले। मई,1902 में में उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से मानद उपाधि एल.एल.डी. प्राप्त की।
ग्वालियर के महाराजा माधो राव सिंधीया ने टिमोलीग काउंटी कॉर्क आयरलैंड में चर्च ऑफ़ एसेंशन को पुरा करने में मदद की थी और बड़ी राशि दान में दी।
Mosaics की शुरुआत 1894 में रॉबर्ट अगस्टस द्वारा उनके परिवार के सदस्यों की याद में की गई। जो कि 1918 तक उनके पुत्र रॉबर्ट द्वारा जारी रखा गया। उनका भाई और पिता गैलीपोली में मारे गए थे।
मोजाइक का अंतिम चरण पूर्णतया माधो राव सिंधीय द्वारा उनके एक डॉक्टर मित्र की याद में बनाया गया था। क्योंकि इस डॉक्टर ने उनके पुत्र की जान बचाई थी।
डॉक्टर की मृत्यु के 10 वर्ष पश्चात इटालियन वर्कर द्वारा 1925 ईस्वी में यह मोजेक पूरा हुआ।
माधो राव सिंधिया की मृत्यु
5 जून 1925 के दिन महाराजा माधो राव सिंधिया ने पेरिस (फ्रांस) में दम तोड़ दिया।