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जानकोजी राव सिंधिया द्वितीय का इतिहास

जानकोजी राव सिंधिया द्वितीय को ग्वालियर रियासत के आठवें महाराजा के रूप में जाना जाता हैं। इन्होंने वर्ष 21मार्च 1827 से लेकर 7 फरवरी 1843 तक लगभग 16 वर्षों तक शासन किया था। जानकोजी राव सिंधिया द्वितीय के पिता का नाम पटलोजी राव सिंधिया था।

इनसे पहले ग्वालियर रियासत के महाराजा दौलतराव सिंधिया थे उनके बाद उनकी पत्नी भेजा भाई सिंधिया ने भी कुछ समय के लिए शासन किया लेकिन इनके बाद में जयाजीराव सिंधिया ने शासन व्यवस्था को संभाला था। जानकोजी राव सिंधिया द्वितीय का कार्यकाल बहुत लंबा रहा। इन्होंने लगभग 38 वर्षों तक ग्वालियर रियासत और मराठा साम्राज्य के बीच तालमेल बिठाकर ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन कार्य किया था।

पूरा नाममहाराजाधिराज महाराजा श्रीमंत जानकोजी राव सिंधिया द्वितीय बहादुर
जन्म वर्ष1805
मृत्यु तिथि7 फरवरी 1843
पिता का नामपटलोजी राव सिंधिया
पत्नी का नामताराबाई
पुत्र का नामजयाजीराव सिंधिया (गोद लिया हुआ पुत्र)
शासन अवधि21 मार्च 1827 से लेकर 7 फरवरी 1843 तक
History of jankojirao scindia

महाराजाधिराज महाराजा श्रीमंत “जानकोजी राव सिंधिया द्वितीय” बहादुर की माता सरदार कृष्ण राव कदम ( मामा साहिब) की बहिन थी। इनका प्रारंभिक नाम मुगत राव सिंधिया था।
शुरू से ही इनकी रूचि माता-पिता चाचा ताऊ जैसे लोगों के साथ रहने से अपने राज्य की उन्नति में थी, बचपन से ही इनमें कई विशिष्ट योग्यताओं का समावेश था। इतिहास गवाह है कि सिंधिया परिवार के प्रत्येक व्यक्ति ने ग्वालियर रियासत की तरक्की और उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

अगर बात की जाए तो सिंधिया वंश के संस्थापक रानोजी राव सिंधिया से लेकर जयप्पाजी राव सिंधिया, जानकोजी राव सिंधिया प्रथम, कादरजी राव सिंधिया, मानाजी राव सिंधिया, महादाजी शिंदे, दौलत राव सिंधिया, बैजाबाई सिंधिया, महाराणी ताराबाई, जयाजी राव सिंधिया, चिंकू बाई, गजरा बाई, और जीवाजीराव सिंधिया सभी ने अपना सब कुछ ग्वालियर रियासत की सेवा में समर्पित कर दिया था।

दौलत राव सिंधिया का निधन 21 मार्च 1827 के दिन हो गया था इनका कोई भी वारिश नहीं था। लेकिन यह कम लोग ही जानते हैं कि दौलत राव सिंधिया के 1 पुत्र भी था जिनका जन्म होने के 8 महीने पश्चात देहांत हो गया था। इनके पुत्र का नाम युवराज महाराजे साहिब महाराज श्रीमंत माधो राव सिंधिया था। दौलत राव सिंधिया ने मृत्यु के समय शासन व्यवस्था को ब्रिटिश सरकार के हाथों में सौंप दिया था, लेकिन उनकी इच्छा को ध्यान में रखते हुए उनकी पत्नी महारानी बैजाबाई सिंधिया को सम्मान मिला और प्रत्येक राज्य कार्य में उनसे सलाह मशवरा ली जाने लगी।

महारानी बैजाबाई सिंधिया 21 मार्च 1827 से लेकर 17 जून 1827 तक रिजेंसी थी। महारानी बैजाबाई सिंधिया ने जानकोजी राव सिंधिया द्वितीय को गोद लिया और 18 जून 1827 के दिन ग्वालियर रियासत के सिंहासन पर विराजमान किया। जब तक जानकोजी राव सिंधिया द्वितीय बड़े नहीं हो गए तब तक उनकी तरफ से महारानी बैजाबाई सिंधिया ने शासन व्यवस्था को संभाला था।
दिसंबर 1832 ईस्वी में जानकोजी राव सिंधिया द्वितीय को पूर्ण रूप से सत्ता हस्तांतरित की गई।

जानकोजी राव सिंधिया द्वितीय ने लगभग 16 वर्षों तक शासन किया और 7 फरवरी 1843 के दिन लश्कर में उनकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के समय इनकी आयु 38 वर्ष थी। इनकी मृत्यु के पश्चात 7 फरवरी 1843 के दिन ही ग्वालियर रियासत के नौवें महाराजा के रूप में श्रीमंत जयाजीरव शिंदे को चुना गया।

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