राजा बिंदुसार का इतिहास || History Of Raja Bindusar
राजा बिंदुसार मौर्य साम्राज्य के द्वितीय शासक और मौर्य साम्राज्य के संस्थापक राजा चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र थे। भारतवर्ष हमेशा से ही देवी-देवताओं और राजा-महाराजाओं की भूमि रहा है। इस देश में समय-समय पर ऐसे महान राजाओं का जन्म हुआ, जिनकी वजह से आज भी हम अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं।
साथ ही इनका जीवन इतना प्रेरणादायक था कि, हम अपने आज के जीवन को इनके मूल्यों के आधार पर सफल बना सकते हैं। जब भारतवर्ष के महान राजाओं की बात होती है तो चक्रवर्ती सम्राट बिंदुसार मौर्य का नाम भी बड़े गर्व के साथ लिया जाता है। चक्रवर्ती सम्राट बिंदुसार मौर्य कुशल प्रबंधक, वीर, दूरदर्शी, महान, विजेता और सबसे महत्वपूर्ण एक प्रतापी राजा थे।मौर्य साम्राज्य की कुछ चुनिंदा शासकों में चक्रवर्ती सम्राट बिंदुसार मौर्य का नाम भी शामिल है।
चक्रवर्ती सम्राट बिंदुसार मौर्य इतने भाग्यशाली थे कि उनके पिता का नाम चंद्रगुप्त मौर्य था जो कि मौर्य साम्राज्य के संस्थापक थे। इसके अलावा चक्रवर्ती सम्राट बिंदुसार मौर्य ने सम्राट अशोक महान जैसे वीर और युगो युगो तक याद किए जाने वाले पुत्र को जन्म दिया था। राजा बिंदुसार के बारे में कहा जाता है कि वह बहुत ही मृदुभाषी अर्थात अपनी मीठी वाणी के लिए जाने जाते थे, इतना ही नहीं वह बात करने में बहुत चतुर और एक साहसी राजा थे।
राजा बिंदुसार का इतिहास (History Of Raja Bindusar)
“राजा बिंदुसार का इतिहास”(Raja Bindusar History in Hindi) और “राजा बिंदुसार की कथा” की शुरुआत करने से पहले राजा बिंदुसार के जीवन परिचय के बारे में संक्षिप्त जानकारी –
राजा बिंदुसार का पूरा नाम | चक्रवर्ती सम्राट राजा बिंदुसार मौर्य |
राजा बिंदुसार के अन्य नाम | अमित्रकेटे (अमित्रघात और अमित्रखाद), विष्णुपुराण में बिंदुसार, जैन ग्रंथ राजावलीकथ में सिंहसेन, वायुपुराण में यामद्रसार, ब्रह्मांड पुराण में भद्रसार, चीनी ग्रंथ “का यू एन चू लिन” में बिंदुपाल, स्ट्रैबो ने एलिट्रोचेडिज या अलीत्रोकेड्स, अजातशत्रु और यूनानी लेखक एथेनिओस के अनुसार अमित्रोचेइस |
राजा बिंदुसार की जन्म तिथि | 320 ई.पू. |
राजा बिंदुसार का जन्म स्थान | पाटलिपुत्र |
राजा बिंदुसार कि मृत्यु तिथि | 272 ई.पू. |
राजा बिंदुसार का मृत्यु स्थान | पाटलिपुत्र (बिहार). |
राजा बिंदुसार की मृत्यु के समय आयु | 52 वर्ष |
राजा बिंदुसार के पिता का नाम | चन्द्रगुप्त मौर्य |
राजा बिंदुसार की माता का नाम | दुर्धरा (जैन परम्परा के अनुसार), धम्मा ( महावंशटीका नामक ग्रंथ के अनुसार) और सुभद्रागी ( अशोकावदान के अनुसार) लेकिन ज्यादातर इतिहासकार “सुभद्रा” नाम पर एकमत हैं। |
राजा बिंदुसार की पत्नियों के नाम | चारुमित्रा और सुभद्रांग |
राजा बिंदुसार के पुत्र | सुसीम, सम्राट अशोक महान और विगताशोका (तिष्य). |
शासन अवधि | 298 ई.पू. से 272 ई.पू. |
पूर्ववर्ती शासक | मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य. |
उत्तरवर्ती शासक | सम्राट अशोक महान. |
प्राचीन ग्रंथों और महाकाव्यों के आधार पर देखा जाए तो मौर्य साम्राज्य में सिर्फ चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक के इतिहास को ही विस्तृत रूप में दर्शाया गया है जबकि चक्रवर्ती सम्राट बिंदुसार मौर्य को किसी भी ग्रंथ या महाकाव्य में ज्यादा जगह नहीं मिली है लेकिन कई विदेशी लेखकों इतिहासकारों और विदेशी दूतों के भारत आगमन पर लिखित पुस्तकों के आधार पर बिंदुसार के इतिहास का वर्णन मिलता है।
बौद्ध लेखों में राजा बिंदुसार के जीवन की झलक देखने को मिलती हैं। बिंदुसार के जीवन के बारे में बुद्ध महामानवों ने अपने लेखों में विस्तृत रूप से बताया गया है। चक्रवर्ती राजा बिंदुसार मौर्य का नाम भारत के कुछ चुनिंदा महान शासकों में शामिल हैं। राजा बिंदुसार महान सेनानायक, कुशल राजनीतिज्ञ और प्रजा पालक होने के साथ-साथ एक सफल शासक भी थे।
जब राजा बिंदुसार की अल्पायु थी, तब इनकी माता का देहांत हो गया। माता के देहांत के पश्चात इनका बचपन बड़ी कठिनाइयों में बीता क्योंकि मां की जगह कोई नहीं ले सकता है। राजा बिंदुसार का नाम चंद्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री आचार्य चाणक्य ने रखा था। राजा बिंदुसार का नाम बिंदुसार रखने के पीछे एक कहानी है। कुछ जैन ग्रंथों में यह वर्णन मिलता है कि कौटिल्यअर्थात् विष्णुगप्त, चंद्रगुप्त मौर्य को जहर खाने का अभ्यास करवाते थे ताकि भविष्य में इस तरह की परिस्थिति आने पर आसानी के साथ सामना किया जा सके।
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दिन की बात है विष के प्रभाव से चंद्रगुप्त मौर्य की रानी और राजा बिंदुसार की माता का निधन हो गया। इस समय राजा बिंदुसार गर्भ में थे, तभी आचार्य चाणक्य के आदेशानुसार चंद्रगुप्त मौर्य की पत्नी के पेट को फाड़ कर बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाल दिया गया, उस बच्चे के सर पर एक बिंदु सा निशान (लासन) था। इसी आधार पर आचार्य चाणक्य के द्वारा उसका नामकरण बिंदुसार किया गया।
चक्रवर्ती सम्राट राजा बिंदुसार मौर्य महत्वकांक्षी शासक भी थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी बिंदुसार का जीवन बहुत ही शान शौकत और खुशी के साथ व्यतीत हुआ, विलासिता पूर्ण जीवन उन्हें बहुत पसंद था।
राजा बिंदुसार मौर्य का शासन और प्रशासन
विश्व के सबसे बड़े साम्राज्य में शामिल मौर्य साम्राज्य का शासन करना और कानून व्यवस्था को संभालना इतना आसान नहीं होता है, लेकिन राजा बिंदुसार (Raja Bindusar History in Hindi) जैसे महान सम्राट ने ना सिर्फ कुशल नेतृत्व किया बल्कि आम जनता और प्रजा का दिल भी जीत लिया। राजा बिंदुसार के बारे में कहा जाता है कि यह प्रजा को बहुत प्रिय थे।
अपार और सर्वशक्तिमान राजा बिंदुसार उदार और निरंकुशवाद पर चलने वाले शासक थे। राजा बिंदुसार का इतिहास दर्शाता है कि वह संपूर्ण साम्राज्य की शक्ति को अपने हाथ में ना रख कर सब पदाधिकारियों में आवश्यकता अनुसार कार्यों का विभाजन कर रखा था। राजा बिंदुसार के साम्राज्य में राजा को परामर्श देने के लिए भी एक अलग से मंत्री परिषद बनाई गई थी। राजा बिंदुसार के मंत्री परिषद का प्रधान “खल्लटक” था।
अगर बात राजा बिंदुसार के न्याय व्यवस्था की की जाए तो राजा बिंदुसार ने प्रत्येक स्तर पर अलग-अलग न्यायालय बना रखे थे, जो वहां के मुकदमों को देखते थे ताकी छोटे-बड़े झगड़े उच्च स्तर तक ना आ पाए।
चक्रवर्ती सम्राट राजा बिंदुसार मौर्य की सेना में जल सेना, थल सेना, रथ सेना, घुड़सवार, हाथी आदि शामिल थे। सिर्फ दुश्मनों के लिए ही नहीं मौर्य साम्राज्य के अधिकारियों और जनता के बीच में राजा बिंदुसार ने कई गुप्त चरों को छोड़ रखा था, जो प्रत्येक घटना से राजा बिंदुसार को अवगत कराते थे।
राजा बिंदुसार द्वारा साम्राज्य विस्तार
किसी भी देश या स्थान के राजा कि यह महत्वकांक्षा होती है कि वह अपने साम्राज्य का विस्तार करें। चक्रवर्ती सम्राट राजा बिंदुसार मोरबी ऐसे ही महत्वकांक्षी राजा थे। पिता चंद्रगुप्त मौर्य से विशाल और सुव्यवस्थित साम्राज्य इन्हें मिला था, जिसकी देखरेख और विस्तार का जिम्मा चक्रवर्ती सम्राट राजा बिंदुसार की मौर्य ने अपने कंधों पर लिया।
डियोडोरस नामक है इतिहासकार लिखते हैं कि उस समय पाटलिपुत्र के राजा बिंदुसार ने आयंबुलस (एक यूनानी लेखक) का स्वागत और सत्कार किया था।
चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के पश्चात भी उनके समय प्रधानमंत्री रहे आचार्य चाणक्य ने राजा बिंदुसार का पूरा सहयोग किया और 16 राज्यों के सामंतों और राजाओं का विनाश करते हुए बिंदुसार को वहां का सम्राट घोषित किया।
राजा बिंदुसार की मृत्यु कैसे हुई?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चक्रवर्ती सम्राट राजा बिंदुसार (Raja Bindusar History in Hindi) ने 24 वर्षों तक पाटलिपुत्र पर राज किया था, किंतु अन्य ग्रंथ “महावंश” का अध्ययन किया जाए तो उसके अनुसार उन्होंने लगभग 27 वर्षों तक राज्य किया था।महज 52 वर्ष की आयु में 272 ई.पू. में चक्रवर्ती सम्राट राजा बिंदुसार की मृत्यु हो गई।
राजा बिंदुसार के जीवन से संबंधित प्रश्नावली FAQ
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1. राजा बिंदुसार का खजाना कहाँ हैं ? (Raja Bindusar History in Hindi)
उत्तर -मौर्य साम्राज्य के राजा बिंदुसार का खजाना बिहार के राजगीर में आज भी मौजूद हैं। राजा बिंदुसार का खजाना राजगीर में इसलिए हैं क्योंकि यह उस समय मगध की राजधानी था। राजगीर में सोन भण्डार नामक एक गुफा हैं जहाँ राजा बिंदुसार का खजाना छुपा हुआ हैं। लेकिन आज तक कोई भी राजा बिंदुसार का खजाना को नहीं खोज पाया हैं। सोन भंडार गुफा जहां राजा बिंदुसार का खजाना छुपा हुआ हैं वहां प्रवेश करते समय 10.4 मीटर लम्बा , 5.2 मीटर चौड़ा और 1.5 मीटर ऊँचा एक कमरा बना हुआ हैं ,कहते हैं की यह कमरा राजा बिंदुसार का खजाना की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए बनाया गया था। यह एक बड़े पत्थर के द्वारा अवरुद्ध किया गया हैं ,जिसे आज तक खोल पाना मुश्किल हैं। गुफा की एक दीवार पर शंख लिपि में लिखा हुआ सन्देश आज तक कोई नहीं पढ़ पाया हैं। ऐसा कहा जाता हैं की राजा बिंदुसार का खजाना खोलने की विधि लिखी गई हैं।
2. बिंदुसार के समय आए यूनानी राजदूत का क्या नाम था?
उत्तर- एथिनियस।
3. बिंदुसार की हत्या किसने की?
उत्तर- कई इतिहासकारों का मानना हैं कि सम्राट अशोक से लड़ाई करते समय राजा बिंदुसार की हत्या कर दी गई थी लेकिन कुछ इतिहासकार मानते हैं कि युद्ध से पूर्व ही उनकी मृत्यु (Raja Bindusar History in Hindi) हो गई। बिंदुसार की हत्या किसने की इस बारे में कोई स्पष्ट राय नहीं हैं।
4. बिंदुसार की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर- कई इतिहासकारों का मानना हैं कि सम्राट अशोक से लड़ाई करते समय राजा बिंदुसार की हत्या कर दी गई थी लेकिन कुछ इतिहासकार मानते हैं कि युद्ध से पूर्व ही उनकी मृत्यु हो गई। बिंदुसार की हत्या किसने की इस बारे में कोई स्पष्ट राय नहीं हैं लेकिन यह कहा जा सकता हैं कि उनकी मृत्यु सामान्य रूप से हुई थी।
5. बिंदुसार के कितने पुत्र थे?
उत्तर- बिंदुसार के 3 पुत्र थे, सुसीम , सम्राट अशोक महान और विगताशोका (तिष्य).
6. बिंदुसार की कितनी पत्नियां थी?
उत्तर– बिन्दुसार के दो पत्नियाँ थी, पहली पत्नी का नाम चारुमित्रा और बिन्दुसार की दूसरी पत्नी का नाम सुभद्रांग।
7. सुसीमा बिन्दुसार कौन था?
उत्तर- सुसीमा बिन्दुसार मौर्य साम्राज्य का राजकुमार और द्वितीय मौर्य सम्राट राजा बिन्दुसार का ज्येष्ठ पुत्र था।
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