चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास जीवन परिचय || History Of Chandragupta Maurya

चन्द्रगुप्त मौर्य, मौर्य वंश और मौर्य साम्राज्य के संस्थापक थे। क्षत्रिय वंश से संबंध रखने वाले चंद्रगुप्त मौर्य भारत के सबसे महानतम सम्राटों में से एक थे। चंद्रगुप्त मौर्य का साथ उनका प्रधानमंत्री आचार्य चाणक्य/कौटिल्य (विष्णुगुप्त) दिया था, उन्हीं के सिद्धांतों पर चलकर चंद्रगुप्त मौर्य ने संपूर्ण भारतवर्ष को एक साम्राज्य के अधीन लाकर खड़ा कर दिया था।

चन्द्रगुप्त मौर्य ने लगभग 24 वर्षों तक शासन किया। मौर्य साम्राज्य से पहले भारत में नंद वंश का राज था, लेकिन प्रधानमंत्री विष्णुगुप्त के सानिध्य में चंद्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल सेना का निर्माण किया और मौर्य साम्राज्य की सीमाओं को लगभग संपूर्ण भारत में विस्तारित कर दिया।

पूरा नाममौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य.
अन्य नामसैंड्रोकोट्स, एंडोकोट्स.
जन्म340 ईसा पूर्व.
जन्म स्थान पिपलीवान (बिहार).
मृत्यु297 ईसा पूर्व.
पिता का नामचंद्रवर्धन मौर्य या सूर्यगुप्त स्वार्थसिद्धि मौर्य था.
माता का नाममुरा
पत्नी का नामदुर्धरा और हेलेना
बच्चेचक्रवर्ती सम्राट बिंदुसार मौर्य.
पूर्वाधिकारीधनानंद (नंद साम्राज्य).
उत्तराधिकारीसम्राट बिंदुसार मौर्य.
शासन अवधि24 वर्ष
Biography Of Chandragupta Maurya

चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास शुरू होने से पहले या उसके द्वारा साम्राज्य संभालने से पहले उत्तर पश्चिमी भारतीय उपमहाद्वीप पर सिकंदर ने आक्रमण किया था, लेकिन 324 ईसा पूर्व में सिकंदर की सेना में विद्रोह पैदा हो गया। इस वजह से उसने भारत पर और आक्रमण करने का ख्वाब छोड़ दिया और पुनः लौट गया।

चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री आचार्य चाणक्य को चंद्रगुप्त मौर्य का गुरु भी कहा जा सकता है, क्योंकि उन्हीं के सानिध्य में उन्होंने संपूर्ण साम्राज्य विस्तार किया और उनकी नीतियों को अपनाया था।

सिकंदर के आक्रमण से पूर्व और चन्द्रगुप्त मौर्य के सम्राट बनने से पहले नंद वंश के धनानंद का लगभग समस्त उत्तर भारत पर अधिकार था।
कहते हैं कि एक बार किसी बात को लेकर नंद वंश के राजा धनानंद और आचार्य चाणक्य के बीच में झगड़ा हो गया। इसी बात के चलते आचार्य चाणक्य ने ठान लिया कि कैसे भी करके नंद वंश का विनाश किया जाए और मौर्य साम्राज्य भारत में स्थापित किया जाए।

मगध पर राज करने वाले नंद वंश के शासक के यहां पर आचार्य चाणक्य उच्च पद पर आसीन थे, लेकिन किसी बात को लेकर राजा ने उन्हें अपमानित किया और इसी अपमान का बदला लेने के लिए आचार्य चाणक्य ने पद त्याग दिया। उन्होंने प्रतिज्ञा की की वह नंद वंश को समाप्त करेंगे, तक्षशिला के रहने वाले आचार्य चाणक्य बचपन से ही चंद्रगुप्त मौर्य के संपर्क में थे और उन दोनों का मिलना जुलना होता रहता था।

चन्द्रगुप्त मौर्य एक साधारण जीवन यापन कर रहे थे लेकिन जैसे ही आचार्य चाणक्य उनके संपर्क में आए उन्होंने अपनी नीतियों और विधियों के आधार पर चंद्रगुप्त मौर्य को एक आम आदमी से मौर्य साम्राज्य का राजा बना दिया और अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार नंद वंश को समूल नष्ट कर दिया।

आचार्य चाणक्य अथवा कौटिल्य जिसे विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, अस्त्र और शस्त्र विद्या में पूर्ण रूप से निपुण थे।चंद्रगुप्त मौर्य कौटिल्य द्वारा बताए गए रास्ते पर चलता गया और सबसे पहले मगध के राजा नंद को पराजित कर मगध पर अधिकार कर लिया।मगध पर अधिकार करने के पश्चात जो विदेशी यूनानी लोग यहां पर रहते थे उन्हें भारतवर्ष से बाहर निकाल दिया गया.

चन्द्रगुप्त मौर्य की उपलब्धियां– पंजाब प्रान्त से प्रारंभ होती हैं। चंद्रगुप्त मौर्य से पहले पंजाब और सिंध के क्षेत्र में यूनानी शासकों का राज था, जिनका मुखिया सिकंदर था। लेकिन 323 ईसा पूर्व में सिकंदर की मृत्यु के पश्चात ये लोग आपस में लड़ने झगड़ने लगे, जिससे यूनानीयों की शक्ति कमजोर पड़ गई, इसी का फायदा उठाकर चंद्रगुप्त मौर्य ने 317 ईसा पूर्व तक पंजाब को अपने कब्जे में ले लिया।

एक यूनानी इतिहासकार जस्टिन लिखते है, कि सिकंदर की मृत्यु के बाद बचे हुए यूनानी शासकों को मौत के घाट उतार दिया गया और यूनानीयों पर आक्रमण करने वालों में मुख्य था, चंद्रगुप्त मौर्य।

सेल्यूकस और एंटीगोनस नामक सिकंदर के 2 सेनापतियों के मध्य युद्ध आरंभ हो गया। यह युद्ध सिकंदर की मृत्यु के पश्चात उसके राज्य पर एकाधिकार स्थापित करने के लिए था, इस युद्ध में सेल्यूकस की जीत हुई। 306 ईसा पूर्व सेल्यूकस का राज्याभिषेक हुआ था।

महत्वकांक्षी सेल्यूकस अपने साम्राज्य विस्तार हेतु भारत पर आक्रमण करने की योजना बनाई और चंद्रगुप्त मौर्य के साथ युद्ध किया, जिसमें आचार्य चाणक्य की कूटनीतिज्ञ और चंद्रगुप्त मौर्य के युद्ध कौशल ने सेल्यूकस को पराजित कर दिया। इस युद्ध में हार के साथ सेल्यूकस और मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त के मध्य में एक संधि हुई जिसके अनुसार हेरात, कंधार, काबुल और बलूचिस्तान आदि राज्य सेल्यूकस ने मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य को दिए।

चंद्रगुप्त मौर्य के साथ अपने रिश्तो को और अधिक मजबूत बनाने के लिए सेल्यूकस ने उसकी बेटी हेलेना का विवाह भी चंद्रगुप्त मौर्य के साथ कर दिया जो चंद्रगुप्त मौर्य की दूसरी पत्नी थी।इसके बदले में मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य सेल्यूकस के राजदूत मेगास्थनीज को उसके दरबार में जगह दी।

धीरे-धीरे चंद्रगुप्त मौर्य के अधिकार में संपूर्ण पश्चिमी भारत भी आ गया। रुद्रदामन शिलालेख के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य के शासक पुष्यगुप्त ने सौराष्ट्र में “सुदर्शन झील” का निर्माण करवाया था।सम्राट अशोक महान के प्राप्त शिलालेखों से ज्ञात होता है कि सोपारा भी चंद्रगुप्त मौर्य के क्षेत्राधिकार में था।

चंद्रगुप्त मौर्य ना कभी रुके, ना किसी के सामने कभी झुके। मौर्य साम्राज्य के विस्तार में उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन लगा दिया। लगभग 6 लाख सैनिकों के साथ चंद्रगुप्त मौर्य ने संपूर्ण भारत को एक छत्र राज्य के अंदर लाकर खड़ा कर दिया था। इन सभी कार्यों को चन्द्रगुप्त मौर्य की उपलब्धियां के तौर पर देखा जा सकता हैं।

चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास/चन्द्रगुप्त मौर्य का योगदान बताते हुए यूनानी राजदूत मेगास्थनीज द्वारा लिखित “इंडिका” नामक पुस्तक से मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य की शासन व्यवस्था का पता चलता है।

अधिकतर शक्तियां चंद्रगुप्त मौर्य के हाथ में थी, लेकिन शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए उन्होंने मंत्री परिषद का गठन किया। 18 मंत्रियों वाली इस परिषद को 27 भागों में बांटा गया था, प्रत्येक भाग/विभाग का अलग विभाग अध्यक्ष था, जिनकी नियुक्ति चंद्रगुप्त मौर्य करता था। 4 सदस्यों की एक सलाहकार समिति भी थी, जिन्हें मंत्रिणः नाम से जाना जाता था, प्रत्येक का वेतन 48 हजार पण था।

न्यायिक व्यवस्था को ग्राम पंचायत स्तर पर विभाजित कर रखा था। फौजदारी और दीवानी नामक दो प्रकार के न्यायालय उस समय प्रचलन में थे। आर्थिक से लेकर कठोर दंड तक के प्रावधान की व्यवस्था थी, जिससे अपराधों में कमी हो सके। इसका न्यायाधीश खुद चंद्रगुप्त मौर्य था। जैसा कि आपने ऊपर पड़ा चंद्रगुप्त मौर्य की सेना लगभग 6 लाख थी। 30,000 घुड़सवार, 9000 हाथी, 8000 रथ उस समय चंद्रगुप्त मौर्य की सेना में शामिल थे।

शासन व्यवस्था और राज्य की संपूर्ण व्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए चंद्रगुप्त मौर्य के समय गुप्तचर थे, जिसमें पुरुषों के साथ-साथ स्त्रियों को भी शामिल किया गया। यह गुप्त चर आम जनता और अधिकारियों के बीच में रहते थे जो महत्वपूर्ण जानकारी सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य तक पहुंचाते थे।

जो गुप्त चर संपूर्ण राज्य में भ्रमण करते रहते थे उन्हें संथारण के नाम से जाना जाता था जबकि वह गुप्तचर जो एक ही स्थान पर रहकर कार्य करते थे उन्हें संस्थिल नाम से जाना जाता था।

कई इतिहासकारों और पुस्तकों के विवरण से ज्ञात होता है कि चंद्रगुप्त मौर्य के साम्राज्य में आय का मुख्य स्त्रोत कृषि आयकर था। सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के साम्राज्य में विद्यालय, चिकित्सालय, अनाथालय, किसानों के लिए भवन निर्माण, सेना और अन्य विभागों के लिए अलग-अलग भवन बने हुए थे।

सुशासन की स्थापना करने के लिए सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने संपूर्ण मौर्य साम्राज्य को 6 भागों में विभाजित कर रखा था। जिसमें उत्तरापथ, सेल्यूकस से प्राप्त प्रदेश (काबुल ,बलूचिस्तान आदि ), सौराष्ट्र, दक्षिणापथ, अवंती और मगध मुख्य थे।

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24 वर्षों तक सफलतापूर्वक शासन करने के पश्चात 297 ईसा पूर्व में श्रवणबेलगोला, कर्नाटक नामक स्थान पर एक जैन भिक्षु के समान उपवास करते हुए उन्होंने अपने प्राणों का त्याग किया था।

मृत्यु के समय चंद्रगुप्त मौर्य की आयु 48 वर्ष थी। इस तरह आप भारतीय इतिहास में एक ऐसे महान राजा का इस तरह चले जाना ना सिर्फ मौर्य साम्राज्य के लिए क्षति था बल्कि संपूर्ण भारतवर्ष के लिए यह बहुत बड़ी क्षति थी। सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र बिंदुसार मौर्य साम्राज्य का द्वितीय शासक बना। चन्द्रगुप्त मौर्य को इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।

मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के इतिहास पर आधारित एक chandragupta maurya serial बन चुका हैं। chandragupta maurya पर बना सीरियल chandragupta maurya 2018 tv series के रूप में दिखाया गया था लेकिन किसी कारणवश इसे बंद कर दिया गया था।

chandragupta maurya serial के सभी एपिसोड पहले सोनी टीवी लाइव (chandragupta maurya on sony) पर मौजद थे लेकिन अब हटा दिया गया हैं। chandragupta maurya serial के एपिसोड यूट्यूब से भी हटा दिए गए हैं,जिसकी वजह अभी तक साफ नहीं हैं। chandragupta maurya on sony tv पर प्रसारण के समय किसी बात को लेकर विवाद खड़ा हुआ था और यही वजह रही की chandragupta maurya serial को अब सभी प्लेटफॉर्म से हटा दिया गया।

1. चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म कब हुआ था?

उत्तर- चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म 340 ईसा पूर्व में हुआ था।

2.चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म स्थान कौनसा हैं?

उत्तर – चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म स्थान पिपलीवान (बिहार) हैं।

3. चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु कब हुई थी?

उत्तर- चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु 297 ईसा पूर्व।

4. चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के समय आयु कितनी थी?
उत्तर- 48 वर्ष.

5. चन्द्रगुप्त मौर्य का मृत्यु स्थान कौनसा हैं?

उत्तर- श्रवणबेलगोला (कर्नाटक).

6. चन्द्रगुप्त मौर्य के पिता कौन थे?

उत्तर- चंद्रवर्धन मौर्य.

7. चन्द्रगुप्त मौर्य की माता का नाम क्या था?

उत्तर– मुरा.

8. चन्द्रगुप्त मौर्य की पत्नी का नाम क्या था?

उत्तर– दुर्धरा और हेलेना.

9. चन्द्रगुप्त मौर्य के पुत्रका नाम क्या था?

उत्तर– चक्रवर्ती सम्राट बिंदुसार मौर्य.

10. चन्द्रगुप्त मौर्य के पूर्व भारत का सम्राट कौन था?

उत्तर- धनानंद (नंद साम्राज्य).

11. चन्द्रगुप्त मौर्य के उत्तराधिकारी कौन था?

उत्तर– सम्राट बिंदुसार मौर्य.

12. चन्द्रगुप्त मौर्य किस साम्राज्य के राजा थे?

उत्तर- मौर्य साम्राज्य.

13. चन्द्रगुप्त मौर्य ने कितने वर्षों तक शासन किया था?

उत्तर- 24 वर्ष.

14. चन्द्रगुप्त मौर्य का प्रधानमंत्री कौन था?

उत्तर- चंद्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री विष्णुगुप्त चाणक्य थे, जिन्हें कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है।

15. चन्द्रगुप्त मौर्य का कार्यकाल कितना था?

उत्तर- चंद्रगुप्त मौर्य का कार्यकाल 322 ईसा पूर्व से 298 ईसा पूर्व अर्थात लगभग 24 वर्ष था।

16. चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु कौन थे?

उत्तर– चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु विष्णुगुप्त चाणक्य थे।

17. चन्द्रगुप्त मौर्य की दूसरी पत्नी हेलेना किसकी बेटी थी?

उत्तर– सेल्यूकस की।

18. चन्द्रगुप्त मौर्य के कितनी पत्नियां थी?

उत्तर- चंद्रगुप्त मौर्य की दो पत्नियां थी दुर्धरा और हेलेना।

19. मौर्य साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?

उत्तर- मौर्य साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने की थी।

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