सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

पेन का इतिहास क्या हैं? फाउंटेन पेन का आविष्कार किसने किया था?

क्या आप जानते हैं कि पेन का इतिहास क्या हैं? या फिर फाउंटेन पेन का आविष्कार किसने किया? या फिर यह कहे कि पेन का आविष्कार किसने किया? अगर आपका उत्तर हैं नहीं, तो यह लेख पुरा पढ़ें।

पेन एक ऐसा उपकरण होता हैं, जो स्याही को पेपर पर उतारने का काम करता हैं। पेन कई प्रकार के होते हैं जिनमें फाउंटेन पेन, रोलरबॉल पेन, जेल पेन,बॉलपॉइंट पेन, फेल्ट टिप पेन आदि शामिल हैं।

Pen History In Hindi
Pen History In Hindi

पेन का इतिहास (History Of Pen)

आज के समय में बॉलपॉइंट पेन का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता हैं। वैसे तो पेन का इतिहास बहुत पुराना है लेकिन आधुनिक पेन का आविष्कार हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है। साथ यह कहना उचित होगा कि पेंसिल और फाउंटेन पेन के आविष्कार से यह संभव हो पाया हैं।

पेन से पहले इसमें काम आने वाली स्याही का आविष्कार हुआ था। इसका इतिहास सदियों पुराना है। पक्षियों के पंखों से लेखन कार्य हुआ करता था।

पेन का इतिहास बहुत पुराना है। ऐसा माना जाता है कि पेन का सर्वप्रथम आविष्कार इराक में हुआ था। जो कि नुकीली धातु के रूप में था। सबसे पहले रीड पेन का आविष्कार मिश्र में हुआ। फाउंटेन पेन का आविष्कार भी मिश्र में हुआ था।भारत में पेन का उपयोग 5000 से भी अधिक वर्षों से माना जाता है।

बहुत प्राचीन समय का इतिहास देखा जाए तो हड्डियों के माध्यम से भी लेखन कार्य होता था। जैसे जैसे समय आगे बढ़ता गया आधुनिक पेन का आविष्कार हुआ। रामायण,महाभारत आदि मोर पंख के द्वारा लिखी गई थी। उस समय पक्षियों के पंख भी कलम का काम करते थे।

भारत में हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के लोगों को सबसे पहले पेन का आविष्कार का श्रेय दिया जाता है। मोहनजोदड़ो शहर से कई ऐसे लेख युक्त मोहरे प्राप्त हुई है, जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि भारत में पेन का आविष्कार मोहनजोदड़ो कालीन हैं।

अगर और गहराई से पेन के इतिहास का अध्ययन किया जाए तो आज से लगभग 40000 वर्ष पूर्व और ईसा से 25000 वर्ष पूर्व विश्व में नुकीले पत्थरों के माध्यम से लिखने का कार्य किया जाता था। यह वह समय था जब लोग जंगलों में और गुफाओं में रहते थे। साथ ही दीवारों पर नुकीले पत्थरों के माध्यम से पेंटिंग का कार्य करते थे। खुदाई में आज भी इसके प्रमाण प्राप्त होते हैं।

पक्षियों के पंखों को पेन के रूप में उपयोग

भारतवर्ष में गरीब 13 सौ वर्ष पूर्व पक्षियों के पंखों को रंग में डुबोकर लिखने की शुरुआत की गई थी, इस तरह के पेन को क्विल पेन (Quill Pen) के नाम से जाना जाता था। हंस, बतख और मोर पंख इनमें मुख्य थे।

फाउंटेन पेन का आविष्कार किसने किया

प्राचीन फाउंटेन पेन का आविष्कार भी मिश्र में हुआ था। पक्षियों के पंखों से लेखन कार्य करना बहुत मुश्किल था। इस तरह धीरे-धीरे इस चित्र में भी विकास हुआ आधुनिक पेन का आविष्कार फाउंटेन पेन के आविष्कार से माना जाता हैं। फाऊंटेन पेन का आविष्कार पेट्राचे पोएनारू द्वारा किया गया था। 1884 को अमेरिका में फाउंटेन  पेन का आविष्कार हुआ, यानी कि आज से लगभग 137 वर्षों पूर्व।

फाउंटेन  पेन को निप बहुत नुकीली होती हैं, इस पेन में उपर से स्याही भरी जाती हैं जो गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से निप में होते हुए कागज तक पहुंचती हैं। पेन का इतिहास देखा जाए तो बॉलपॉइंट पेन का आविष्कार इस क्षेत्र में क्रांति माना जाता हैं। बॉलपॉइंट पेन का आविष्कार का श्रेय जॉन जैकब लाउड और लासलो बीरो (Laszlo biro) को जाता हैं। लेकिन देखा जाए तो  जॉन जैकब लाउड को पूरा श्रेय जाता हैं।

जॉन जैकब लाउड लेदर की वस्तुओं का काम करते थे। ऐसा करते समय उनको लेदर पर बार बार निशान लगाने के लिए पेंसिल का सहारा लेना पड़ता था जो थोड़ा कठिन काम था।

पेन का आविष्कार कब हुआ था? Ballpoint pen History In Hindi

वर्तमान में 2 मुख्य पेन हैं जिसमें बॉलपॉइंट पेन और फाउंटेन पेन शामिल हैं। फाउंटेन पेन का आविष्कार का श्रेय पेट्राचे पोएनारू (Petrache poenaru) को जाता हैं। जबकि बॉलपॉइंट पेन का आविष्कार का श्रेय जॉन जैकब लाउड को जाता हैं। बॉलपॉइंट पेन का आविष्कार  1988 में हुआ था।

दुसरी तरफ फाउंटेन पेन का आविष्कार  की बात की जाए तो इसका श्रेय पेट्राचे पोएनारू को जाता हैं जिन्होंने 25 मई 1857 को इसका आविष्कार किया था। पेन का मुख्य कार्य विचारों, घटनाओं और कथाओं को कागज पर उतारना हैं।

यह भी पढ़ें-

क्या आप जानते हैं हवाई जहाज का इतिहास क्या हैं और यह कैसे उड़ती हैं?

साइकिल का इतिहास और आविष्कार?

कागज का इतिहास और कहानी।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंगों के नाम, स्थान, स्तुति मंत्र || List Of 12 Jyotirlinga

List Of 12 Jyotirlinga- भारत में 12 ज्योतिर्लिंग हैं. भगवान शिव को मानने वाले 12 ज्योतिर्लिंगो के दर्शन करना अपना सौभाग्य समझते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता हैं कि इन स्थानों पर भगवान शिव ज्योति स्वररूप में विराजमान हैं इसी वजह से इनको ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता हैं. 12 ज्योतिर्लिंग अलग-अलग स्थानों पर स्थित हैं. इस लेख में हम जानेंगे कि 12 ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई? 12 ज्योतिर्लिंग कहाँ-कहाँ स्थित हैं? 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान. यहाँ पर निचे List Of 12 Jyotirlinga दी गई हैं जिससे आप इनके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर पाएंगे. 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान सूचि ( List Of 12 Jyotirlinga ) 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान सूचि (List Of 12 Jyotirlinga) निम्नलिखित हैं- क्र. सं. ज्योतिर्लिंग का नाम ज्योतिर्लिंग का स्थान 1. सोमनाथ (Somnath) सौराष्ट्र (गुजरात). 2. मल्लिकार्जुन श्रीशैल पर्वत जिला कृष्णा (आँध्रप्रदेश). 3. महाकालेश्वर उज्जैन (मध्य प्रदेश). 4. ओंकारेश्वर खंडवा (मध्य प्रदेश). 5. केदारनाथ रूद्र प्रयाग (उत्तराखंड). 6. भीमाशंकर पुणे (महाराष्ट्र). 7...

महाराणा प्रताप का इतिहास || History Of Maharana Pratap

प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) का नाम सुनते ही हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के एकमात्र ऐसे योद्धा थे जिन्हें शीश कटाना मंजूर था लेकिन किसी के सामने झुकाना नहीं. चित्तौड़गढ़ के सिसोदिया वंश में जन्म लेने वाले महाराणा प्रताप का नाम इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में हमेशा के लिए अंकित रहेगा. सभी देश प्रेमी आज भी प्रातः उठकर महाराणा प्रताप की वंदना करते हैं. देशप्रेम, स्वाधीनता, दृढ़ प्रतिज्ञा, निर्भिकता और वीरता महाराणा प्रताप की रग-रग में मौजूद थी. मुगल आक्रांता अकबर ने महाराणा प्रताप को झुकाने के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया लेकिन दृढ़ प्रतिज्ञा के धनी महाराणा प्रताप तनिक भी ना झुके. महाराणा प्रताप का पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया था. स्वाधीनता और स्वाभिमान का दूसरा नाम थे महाराणा प्रताप जो कभी किसी के सामने झुके नहीं चाहे परिस्थितियाँ कुछ भी हो, मुग़ल आक्रांता अबकर भी शोकाकुल हो उठा जब उसने वीर महाराणा प्रताप की मृत्यु की खबर सुनी. महाराणा प्रताप का इतिहास, जन्म और माता-पिता (Maharana Pratap History In Hindi) महा...

नीलकंठ वर्णी (Nilkanth varni) का इतिहास व कहानी

Nilkanth varni अथवा स्वामीनारायण (nilkanth varni history in hindi) का जन्म उत्तरप्रदेश में हुआ था। नीलकंठ वर्णी को स्वामीनारायण का अवतार भी माना जाता हैं. इनके जन्म के पश्चात्  ज्योतिषियों ने देखा कि इनके हाथ और पैर पर “ब्रज उर्धव रेखा” और “कमल के फ़ूल” का निशान बना हुआ हैं। इसी समय भविष्यवाणी हुई कि ये बच्चा सामान्य नहीं है , आने वाले समय में करोड़ों लोगों के जीवन परिवर्तन में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहेगा इनके कई भक्त होंगे और उनके जीवन की दिशा और दशा तय करने में नीलकंठ वर्णी अथवा स्वामीनारायण का बड़ा योगदान रहेगा। हालाँकि भारत में महाराणा प्रताप , छत्रपति शिवाजी महाराज और पृथ्वीराज चौहान जैसे योद्धा पैदा हुए ,मगर नीलकंठ वर्णी का इतिहास सबसे अलग हैं। मात्र 11 वर्ष कि आयु में घर त्याग कर ये भारत भ्रमण के लिए निकल पड़े। यहीं से “नीलकंठ वर्णी की कहानी ” या फिर “ नीलकंठ वर्णी की कथा ” या फिर “ नीलकंठ वर्णी का जीवन चरित्र” का शुभारम्भ हुआ। नीलकंठ वर्णी कौन थे, स्वामीनारायण का इतिहास परिचय बिंदु परिचय नीलकंठ वर्णी का असली न...