पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता का क्या हुआ?

भारत के स्वर्णिम इतिहास में शामिल पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के पश्चात पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता का क्या हुआ की कहानी आज विलुप्त हैं। पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता का प्रेम विवाह हुआ। संयोगिता राजा जयचंद की पुत्री थी और पृथ्वीराज चौहान, चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे जो दिल्ली और अजयमेरु पर राज्य करते थे। इन्हें अंतिम हिन्दू राजा भी माना जाता हैं।

आइए जानते हैं हिंदू हृदय सम्राट पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के पश्चात पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता का क्या हुआ। पृथ्वीराज चौहान की 13 रानियां थी, उनमें से संयोगिता पृथ्वीराज चौहान की प्रियतमा मानी जाती है। जब पृथ्वीराज चौहान महज 13 वर्ष के थे तब सिंहासन पर बैठे।

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 पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता का क्या हुआ

पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु की खबर सुनते ही पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता का क्या हुआ यह शब्दों में बयां करना मुश्किल है। वह पूरी तरह टूट गई क्योंकि उसके पिता भी उसके पक्ष में नहीं थे। ऐसे में संयोगिता को उसकी ननद प्रथा का साथ मिला।

पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी संयोगिता और प्रथा ने किले में जौहर करने का निर्णय लिया। पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के बाद संयोगिता के पास निर्णय पर अमल करने के लिए ज्यादा समय नहीं था।

दूसरी तरफ मोहम्मद गौरी का सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक रानी संयोगिता और अन्य हिंदू औरतों को अपने हरम में लेने के लिए उतावला हो रहा था। सशस्त्र सेना के साथ कुतुबुद्दीन ऐबक लाल किले के बाहर डेरा डाल कर बैठ गया। लाल किले के चारों तरफ यमुना नदी का बहता पानी और किले की विशाल दीवारें एबक को हताश कर रही थी।

वहीं दूसरी तरफ संयोगिता और साथियों ने मिलकर लाल किले में विशाल चिता की तैयारियां करने लगे। इससे पहले रानी संयोगिता ने किले में प्रवेश करने के लिए बने पुल को छुड़वा दिया था।

किले के बाहर जो खाई थी उसे भरने के लिए कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि, हिंदुओं को इसके अंदर डाला जाए और उनकी लाशों के ऊपर चढ़कर दीवार को पार किया जाए।

जिन हिंदुओं ने अपना धर्म और संस्कृति का साथ नहीं छोड़ा और तरह-तरह की यातनाएं सहते रहे, उन्हें उस खाई में डाला गया। जब खाई जिंदा शरीरों से भर गई तब, उन शरीर के ऊपर हाथियों को निकाला गया और दरवाजे तक पहुंचने का प्रयास किया गया। वहां पहुंचने के बाद भी हाथों से वह दरवाजा नहीं टूट रहा था क्योंकि दरवाजे के बाहर की तरफ मोटी मोटी और नुकीली किले लगी हुई थी, जिन्हें तोड़ना हाथीयों के बस का रोग नहीं लग रहा था।

अंत में कुतुबुद्दीन ऐबक ने आदेश दिया कि राजा जयचंद के पुत्र धीरचंद्र को दरवाजे के सामने खड़ा किया जाए और उसके शरीर पर हाथीयों से वार करवाया जाए। इनका दोगलापन देखिए राजा जयचंद ने मोहम्मद गौरी का साथ दिया लेकिन मोहम्मद गोरी के सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने उनके ही पुत्र धीरचंद्र को मौत के घाट उतार दिया।

दरवाजा तोड़ने के बाद जैसे तैसे कुतुबुद्दीन ऐबक दुर्ग के अंदर पहुंचा लेकिन वहां का दृश्य देखकर वह छटपटा गया। धक-धक ज्वाला धधक रही थी, महारानी संयोगिता उनकी ननद प्रथा और उनके साथ हजारों हिंदू वीरांगनाओं ने आन बान और शान के लिए अपने शरीर को अग्नि के हवाले कर दिया। पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के पश्चात पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता ने जौहर कर लिया। अब आप जान गए होंगे की पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता का क्या हुआ।

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