बैलगाड़ी का इतिहास || History Of Bullock cart
बैलगाड़ी (Bullock cart) आवागमन का सबसे प्राचीन साधन माना जाता हैं। बैलगाड़ी का इतिहास बहुत पुराना है। बैलगाड़ी का अर्थ (Bullock cart) होता है बैलों द्वारा चलाई जाने वाली गाड़ी। ना सिर्फ भारत बल्कि विश्व का सबसे प्राचीन यातायात का साधन होने के साथ साथ यह सामान ढोने का भी सबसे पुराना साधन है। बैलगाड़ी का इतिहास उठाकर देखा जाए तो इसका निर्माण स्थानीय कारीगरों द्वारा किया जाता रहा हैं।
ऐसी बात नहीं है कि अब बैलगाड़ी (Bullock cart) प्रचलन से बाहर हो गई हैं। विश्व के आज भी ऐसे कई लोग हैं जो कि बहुत दूर दराज के इलाकों में होने की वजह से और आधुनिक साधनों की पहुंच नहीं होने से, वहां के लोग बैलगाड़ी का प्रयोग करते हैं।
बैलगाड़ी का ज्यादातर प्रयोग ग्रामीण इलाकों में और विशेषतया किसान समुदाय द्वारा किया जाता है। बैलगाड़ी को कई नामों से जाना जाता हैं या फिर यह कहें कि बैलगाड़ी के पर्यायवाची शब्द हैं – रहड़ा, गंत्रिका, शकट और छकड़ा।

बैलगाड़ी का इतिहास (History Of Bullock cart)
बैलगाड़ी के पर्यायवाची या अन्य नाम | रहड़ा, गंत्रिका, शकट और छकड़ा। |
बैलगाड़ी का इतिहास | ईसा से 3000 वर्ष पूर्व। |
किससे बनाई जाती हैं | लकड़ी से। |
सर्वप्रथम किसने बनाई | भगवान शिव ने (नंदी महाराज को जोता था). |
बैलगाड़ी का इतिहास ईसा से 3000 वर्ष पूर्व माना जाता है। बैलगाड़ी के इतिहास के साथ कई सांस्कृतिक रीति रिवाज भी जुड़े हुए थे जो धीरे-धीरे खत्म हो गए। प्राचीन समय में बैलगाड़ी (Bullock cart) का उपयोग परिवहन, सामान ढोने, शादी के समय बरात और भी अन्य कार्यों में इसका उपयोग किया जाता रहा है।
बैलगाड़ी के इतिहास को भगवान शिव से जोड़कर भी देखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने बैलगाड़ी का निर्माण किया था और सर्वप्रथम नंदी को जोतकर इसकी शुरुआत की थी। बैलगाड़ी के इतिहास को भगवान विश्वकर्मा से भी जोड़कर देखा जाता है, ऐसा कहा जाता है कि विश्वकर्मा ने शिव के आशीर्वाद से और गौमाता द्वारा अपने दो पुत्रों को सेवा के रूप में प्रस्तुत किया था,जिन्हें जोत कर बैलगाड़ी (Bullock cart) चलाई गई।
जब हम छोटे थे तब गांव में देखा जाता था कि सुबह के समय किसान और हमारे आसपास रहने वाले लोग अपने पशुओं को लेकर खेतों की तरफ जाते थे ताकि खेती भी कर सकें साथ-साथ पशुपालन भी कर सके और उनके लिए चारा पानी की व्यवस्था कर सकें। बुजुर्ग और बच्चे ज्यादातर बैलगाड़ी में बैठ कर खेत पर जाते थे साथ ही बैलगाड़ी में जरूरी सामान भी रखा जाता था। यह एक बहुत ही विहंगम दृश्य था जो आज के समय में देखने को नहीं मिलता है। बैलों के गले में बजते घुंघरू, बैलगाड़ी के चर चर करते पहिए मन मोह लेते थे।
गांव में लोग बैलगाड़ियों (Bullock cart) पर बैठकर मेला देखने के लिए जाते थे, शहर में फसलें बेचने जाते थे, शादी ब्याह में बारात बैलगाड़ी में जाती थी आप सोच सकते हैं कि कितना साफ सुथरा और विहंगम इतिहास बैलगाड़ी का रहा होगा।
बैलगाड़ी कैसे बनाते हैं या बैलगाड़ी बनाने की प्रक्रिया
बैलगाड़ी (Bullock cart) बनाते समय ज्यादातर कीकर की लकड़ी का उपयोग किया जाता है क्योंकि यह बहुत ही मजबूत और सख्त मानी जाती है। बैलगाड़ी का आकार अलग अलग हो सकता है।बैलगाड़ी की दो बाजू जिन्हें फड़ कहा जाता है साल की लकड़ी से बनी हुई होती हैं।
कीकर की लकड़ी से सबसे पहले एक आयतनुमा ढांचा तैयार किया जाता है जो कि बैलगाड़ी (Bullock cart) का मुख्य भाग होता है। बैलगाड़ी के पहिए प्राचीन समय में लकड़ी के बने होते थे। लेकिन धीरे-धीरे उनके ऊपर लोहे की परत चढ़ाई जाने लगी जिसे धूरी कहा जाता हैं।
काम में लेते समय बैलगाड़ी (Bullock cart) के पहियों पर पानी डाला जाता था, जिससे की लकड़ी फुल जाती। धूरी व लकड़ी की पकड़ और अधिक मजबूत हो जाती थी। जहां पर बैल जोते जाते थे उस स्थान को जुड़ी कहा जाता था। धीरे-धीरे लकड़ी के पहियों की परंपरा समाप्त हो गई और उनके स्थान पर आधुनिक टायर वाले पहिए आ गए।
बैलगाड़ी के लुप्त होने की वजह
जैसे-जैसे आधुनिक मशीनों का उपयोग बढ़ने लगा जैसे कि ट्रैक्टर और टेंपो। वैसे वैसे बैलगाड़ी (Bullock cart) का उपयोग कम होने लगा। किसान बैलगाड़ी से होने वाले सभी कामों को अब ट्रैक्टर से करने लग गए।
बैलगाड़ी (Bullock cart) की गति बहुत धीमी थी, इस वजह से भी लोगों ने इसको उपयोग से बाहर कर दिया। धीरे-धीरे लोग कृषि पर आश्रित नहीं रहकर नौकरी और व्यवसाय पर ध्यान देने लगे, जिससे गांव में पशु पालन करने वाले लोगों की संख्या में कमी हुई है। पशुपालन कम होने से बैलों की संख्या में भी कमी आई।
साथ ही ट्रैक्टर जिस काम को 1 घंटे में कर देता है, बैलगाड़ी द्वारा उस काम को करने में लगभग पूरा दिन लग जाता था। यही वजह मुख्य मानी जाती है कि बैलगाड़ी लुप्त हो गई।
प्राचीन समय में बैलगाड़ी का उपयोग कहां पर किया जाता था
1. बैलगाड़ी का मुख्य उपयोग कृषि कार्यों हेतु सामान लाने एवं ले जाने के लिए किया जाता था।
2. बैलगाड़ी द्वारा प्राचीन समय में लोग व्यापार करते थे। शहर से सामान लाने एवं ले जाने के लिए बैलगाड़ी ही एकमात्र साधन था।
3. प्राचीन समय में शादी ब्याह में बारात के लिए बैलगाड़ी का उपयोग किया जाता था, साथ ही शादी ब्याह से कई रस्में भी जुड़ी हुई थी जैसे की लड़की पक्ष वालों द्वारा बेल गाड़ी के पहियों पर पानी छिड़कना। यह इसलिए किया जाता था कि लकड़ी फूल जाए और लोहे की धूरी के साथ मजबूत पकड़ हो जाए।
4. कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने एवं मेला देखने जाते समय ग्रामीण लोग बैलगाड़ी का उपयोग करते थे।
5. बैलगाड़ी का उपयोग ना सिर्फ किसानों द्वारा बल्कि बड़े बड़े व्यापारियों द्वारा भी किया जाता था। व्यापारी जब व्यापार के लिए बड़े शहरों में जाते तब झुंड बनाकर बैलगाड़ीयां ले जाते। जहां पर रात हो जाती वहां पर सब एक साथ रुकते , जिससे उनके बीच में भाईचारा भी बना रहता साथ ही वह अपने सामान की रक्षा स्वयं ही करते थे।
बैलगाड़ी के फायदे
1. बैलगाड़ी सबसे मितव्ययी साधन माना जाता हैं। एक बार बैलगाड़ी बनाने के बाद इसमें किसी भी तरह का खर्चा नहीं करना पड़ता है।
2. बैलगाड़ी का दूसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसका उपयोग होने से हमारी सांस्कृतिक झलक दिखाई देती रहती है।
3. बैलगाड़ी यातायात का प्रदूषण रहित साधन है।
4. आज के समय में बैलगाड़ी का उपयोग करके यातायात पर होने वाले पैसे की बर्बादी को कम किया जा सकता है।
5. बैलगाड़ी का उपयोग करने से प्रदूषण में कमी आती है, यह भी बैलगाड़ी का बहुत बड़ा फायदा है।
बैलगाड़ी के नुकसान
1. बैलगाड़ी यातायात का एक बहुत धीमा साधन है। आज के समय में ऐसे कई साधन मौजूद हैं जो कि बहुत तीव्र गति से चलते हैं एवं किसी भी व्यक्ति या वस्तु को कम समय में इधर से उधर पहुंचाने में सक्षम है।
2. बढ़ते हुए शहरीकरण की वजह से बैलगाड़ी बनाने वाले कारीगरों में कमी आई है, इसलिए बैलगाड़ी बनाने वाले कारीगर आसानी से नहीं मिलते हैं।
3. बैलगाड़ी बेलो द्वारा खींचकर चलाई जाती है, इस वजह से इसमें एक निश्चित मात्रा से अधिक भार ढोने की क्षमता नहीं होती है।
4. बैलगाड़ी का उपयोग करने से कार्यों में अधिक समय लगता है।
5. अगर आप आधुनिक युग के साथ चलना चाहते हैं तो यातायात के साधन के रूप में बैलगाड़ी का उपयोग कतई नहीं किया जा सकता है।
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