भीकाजी कामा का इतिहास || History Of Bhikaiji Cama
भीकाजी कामा को मदर ऑफ इंडियन रेवोलुशन कहा जाता हैं। भीकाजी कामा को भारतीय क्रांति की माता भी कहा जाता हैं। थोर पारसी सशस्त्र क्रांतिकारी महिला भीकाजी कामा का जन्म मुंबई में हुआ था। वैसे इनके पास भारत और फ्रांस दोनों जगह की नागरिकता थी। भीकाजी रुस्तम कामा अथवा मैडम कामा ने विदेश में रहते हुए भारतीय क्रांतिकारियों की बहुत मदद की।
मैडम भीकाजी कामा ने भारत का पहला झण्डा फहराया था जिसमें हरा, केसरिया और लाल रंग मौजुद था। वंदे मातरम् और मदन तलवार नामक क्रांतिकारी पत्रों का प्रकाशन भी मैडम कामा द्वारा किया गया।
भीकाजी कामा का इतिहास, भीकाजी कामा का जीवन परिचय या फिर भीकाजी कामा कौन थी? अगर आप यह जानना चाहते हैं तो इस लेख को पुरा पढ़ें।
भिकाजी कामा कौन थी? जीवन परिचय
- नाम- भीकाजी रुस्तम कामा।
- अन्य नाम- मैडम कामा,मदर ऑफ इंडियन रेवोलुशन,थोर पारसी सशस्त्र क्रांतिकारी महिला भीकाजी कामा।
- पिता का नाम- सोराबजी फ्रैमजी पटेल।
- माता का नाम- जैजीबाई सोराबजी पटेल।
- जन्म तिथि- 24 सितम्बर, 1861.
- जन्मस्थान- बम्बई।
- मृत्यु तिथि- 13 अगस्त,1936.
- पति का नाम- रूस्तम के. आर. कामा।
- नागरिकता- भारत और फ्रांस।
- आंदोलन- भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन।
भीकाजी कामा का जन्म 24 सितम्बर 1861 ईस्वी में बम्बई के एक पारसी परिवार में हुआ था। मैडम कामा ने अपना पुरा जीवन लोगों की सेवा और मदद करने में निकाला।
1896 ईस्वी की बात हैं, जब बम्बई में प्लेग रोग फैल गया तब भीकाजी रुस्तम कामा ने बढ़चढ़ कर लोगों की सेवा की। तन मन और धन से आम लोगों की सेवा करते हुए भीकाजी कामा भी प्लेग रोग की चपेट में आ गई। धीरे धीरे उनका स्वास्थ्य ठीक हो गया लेकिन डॉक्टर्स ने इन्हें आराम करने की सलाह देते हुए कहा कि आपको बेहतर ईलाज के लिए यूरोप जाना चाहिए।
1892 ईस्वी में भीकाजी रुस्तम कामा भारत से लंदन के लिए रवाना हुई। लंदन पहुंचने के बाद भी मैडम कामा ने भारत की स्वतंत्रता और स्वाधीनता के लिए कार्य करना प्रारंभ कर दिया।
22 अगस्त 1907 के दिन जर्मनी में आयोजित इंटरनेशनल सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस में भारत के प्रथम राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को लोगों के सामने रखा था। इस सम्मेलन में मैडम भीकाजी रुस्तम कामा ने भारतीय स्वतंत्रता ( अंग्रेजी शासन से) के लिए आवाज उठाई।
मैडम कामा द्वारा बनाए गए झण्डे से मिलते जुलते रूप को बाद में भारतीय झण्डा के रूप में अपनाया गया। सरदार सिंह राणा और मैडम कामा जी द्वारा निर्मित भारत का प्रथम तिंरगा राष्ट्रध्वज भावनगर (गुजरात) में आज भी राजेंद्र सिंह राणा के घर में रखा गया हैं।
मैडम भीकाजी रुस्तम कामा के समाचार पत्र
मैडम भीकाजी कामा दो समाचार पत्रों में उनके विचारों को प्रकट करती और आम जनता तक पहुंचाती थी। उन समाचार पत्रों के नाम क्रमशः “वंदे मातरम” और ” मदन तलवार” था।
ना सिर्फ भारत बल्कि संपूर्ण विश्व में साम्राज्यवाद के खिलाफ मैडम भीकाजी कामा खड़ी थी। उनका मानना था कि विश्व को साम्राज्यवाद से स्वतंत्रता मिलने चाहिए। भारत भी अंग्रेजी शासन के अधीन था, मैडम कामा भारत के स्वाधीनता आंदोलन के महत्व को समझती थी।
“भारतीय क्रांति की माता” के नाम से मशहूर मैडम भीकाजी रुस्तम कामा को अंग्रेजी शासन द्वारा खतरनाक क्रांतिकारी, अराजकतावादी क्रांतिकारी, ब्रिटिश विरोधी, असंगत तथा कुख्यात महिला के नाम से संबोधित करते थे। फ्रांस में रहकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में जिस तरह से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष योगदान मैडम कामा ने दिया, इससे अंग्रेजी शासन में भय था।
यूरोपीय देशों के समाजवादी समुदायों में श्रीमती भीकाजी कामा अच्छा प्रभाव रखती थी। और यही वजह थी कि भीकाजी कामा को “भारतीय राष्ट्रीयता की महान पुजारिन” के नाम से जाना जाता था।
फ्रांस में एक संत जिनका नाम “संत जोन आर्क अथवा ऑरलियंस की कन्या था। इन्होंने भी फ्रांस से अंग्रेजों को बाहर का रास्ता दिखाया था। उस समय मैडम भीकाजी कामा का फोटो अखबार में संत जॉन आर्क के साथ छपा जो कि एक बहुत बड़ी बात थी। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है भीकाजी कामा का यूरोप के राष्ट्रीय तथा लोकतांत्रिक समाज में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान था।
पहली बार भारत का राष्ट्रीय ध्वज फ्रांस में मैडम भीकाजी कामा द्वारा फहराया गया था। मैडम कामा ने भारत के तिरंगे स्वतंत्रता ध्वज को फ्रांस में हराकर संपूर्ण विश्व को यह संदेश दे दिया था कि भारत की स्वतंत्रता के लिए काम करती रहेगी। भारत का प्रथम ध्वज मैडम कामा ने तैयार किया था।
भारत में विभिन्न धर्मों की मान्यताओं और भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मैडम भीकाजी कामा ने भारत के झंडे को तैयार किया था। इसमें संपूर्ण भारत की संस्कृति को समेटने की कोशिश की गई। ना सिर्फ हिंदुत्व बल्कि बौद्ध और इस्लाम को भी इस झंडे में स्थान दिया गया। इस झंडे के बीच में देवनागरी लिपि में “वंदे मातरम” लिखा हुआ था।
भीकाजी को सम्मान
मैडम भीकाजी कामा के साथ-साथ अन्य स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए अथक प्रयासों के बाद सन 1947 ईस्वी में भारत आजाद हो गया। भारत सरकार ने 1962 ईस्वी में भारत के टेलीग्राफ और पोस्ट विभाग ने 26 जनवरी 1962 के दिन मैडम भीकाजी कामा की याद में एक डाक टिकट जारी किया था।
ऐसी महान स्वतंत्रता सेनानी भीकाजी कामा (Bhikaiji Cama Biography) के नाम पर भारत में कई मार्ग और इमारतें हैं। लेकिन भारत की आजादी की लड़ाई में उनके योगदान के बारे में बहुत ही कम लोग जानकारी रखते हैं।
भीकाजी के बारे में रोचक तथ्य
1. मैडम कामा ने 1909 में पेरिस में “होम रूल लीग” की शुरुआत की थी।
2. मैडम बीकाजी कामा का लोकप्रिय नारा था “भारत आजाद होना चाहिएजेड भारत एक गणतंत्र होना चाहिए, भारत में एकता होनी चाहिए”।
3. भीकाजी कामा ने यूरोप और अमेरिका में अपने भाषण और क्रांतिकारी लेखों के जरिए देश की आजादी के लिए 30 सालों तक संघर्ष किया था।
4. भीकाजी ने V.D. सावरकर (वीर सावरकर), एमपीटी आचार्य और हरदयाल के साथ भी काम किया था।
5. प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान मैडम भीकाजी कामा को दो बार हिरासत में लिया गया, उनका भारत लौटना भी मुश्किल था।
6. सन 1935 में राष्ट्रवादी काम छोड़ने की शर्त पर उन्हें भारत में आने की इजाजत मिली।
7. श्यामजी कृष्ण वर्मा से प्रेरित होकर मैडम कामा को राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरणा मिली।
8. इनका जन्म एक समृद्ध पारसी परिवार में हुआ था।
9. सन 1885 में उनकी शादी विख्यात व्यापारी रुस्तम जी कामा से हुई थी।
10. रुस्तम जी कामा के बारे में कहा जाता है कि वह ब्रिटिश सरकार के हिमायती थे, जबकि दूसरी तरफ उनकी पत्नी भीकाजी कामा एक राष्ट्रवादी महिला थी।
11. भीकाजी कामा द्वारा भारत का प्रथम ध्वज तैयार करते समय, इस ध्वज में 8 कमल के फूल भी रखे, जो कि भारत के 8 प्रांतों को दर्शाते थे।
12. इस झण्डे पर लाल पट्टी पर सूरज और चांद बना था सूरज हिंदू धर्म और चांद इस्लाम का प्रतीक है।
13. भीकाजी कामा द्वारा तैयार किया गया झंडा आज भी पुणे की केसरी मराठा लाइब्रेरी में रखा हुआ है।
14. मैडम भीकाजी कामा जेनेवा से वंदे मातरम नामक एक क्रांतिकारी जर्नल भी छापा करती थी।
15. प्रो. बी.डी. यादव ने “मैडम भीकाजी कामा” नामक एक किताब लिखी जो बीकाजी कामा के जीवन से प्रेरित थी।
16. भारत की आजादी से 40 साल पूर्व ही सन 1907 में विदेशी धरती पर पहली बार भारत का झंडा मैडम भीकाजी कामा ने फहराया था।
17. मैडम भीकाजी कामा Bhikaiji Cama Biography द्वारा विदेशी धरती पर पहली बार भारत का झंडा जर्मनी के स्टुटगार्ट में हुई दूसरी “इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस” में फहराया था।
मैडम भीकाजी कामा की मृत्यु कैसे हुई?
मैडम भीकाजी कामा कई वर्षों तक विदेश में रही। सन 1935 में उन्हें राष्ट्रवादी गतिविधियां छोड़ने की शर्त पर भारत आने की इजाजत मिली।
भारत आने के 1 वर्ष पश्चात अर्थात 13 अगस्त 1936 में मैडम भीकाजी कामा की मृत्यु हो गई। मुंबई के पारसी जनरल अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली थी। मृत्यु के समय मैडम भीकाजी के मुंह से निकलने वाले आखिरी शब्द थे “वंदे मातरम“।
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