केरल में खून की बरसात कब हुई थी?
एक ऐसी घटना जिसको लेकर संपूर्ण विश्व के वैज्ञानिक संशय में पड़े हुए हैं और जब आप इस घटना को जानेंगे तो निश्चित तौर पर आप भी संशय में पड़ जाएंगे। क्या यह एलियन का काम था या फिर प्रकृति द्वारा कोई संकेत? जिस किसी ने भी यह सीन देख आश्चर्य के साथ देखता ही रह गया। अगर आप जानना चाहते हैं कि खून की वर्षा कहाँ होती हैं तो यह लेख पूरा पढ़ें।

केरल में खून की बरसात कब हुई
इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा था। 5 जुलाई 2001, दोपहर का समय, गर्मी से आहत लोगों ने जब आसमान में मंडराते काले बादलों को देखा तो हर किसी के चेहरे पर मुस्कान थी, लेकिन सब इस बात से अनजान थे कि ऐसी रहस्यमई घटना घटेगी जो आने वाले वर्षों में मात्र एक अनसुलझी पहेली बन जाएगी।
यह घटना केरल की है जो कि भारत के दक्षिण में स्थित हैं। आसमान में जोरदार बिजली कड़की और वहां पर मौजूद लोगों की खुशी आश्चर्य में बदल गई। आसमान से पानी की जगह खून बरसने लगा अर्थात खून की बारिश होने लग गई।
सिर्फ लाल रंग ही नहीं, कुछ लोगों ने तो ब्लू, येलो और काले रंग की बारिश देखी। कुछ समय बाद बारिश बंद हो गई लेकिन प्रश्न खड़े हो गए। ऐसे प्रश्न जिनका जवाब हर कोई जानना चाहता था। बरसात का सैंपल एकत्रित किया गया, जांच से पहले वैज्ञानिकों को लगा कि यह प्रदूषण की वजह से हुआ होगा।
वैज्ञानिक पड़े संशय में
शायद यह डस्ट की थी जो हवा में घुली हुई थी और बरसात के पानी में मिलकर लाल रंग में बदल गई होगी, लेकिन यह पहेली सुलझी नहीं थी। सैंपल को लैब में ले जाकर “इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप” की सहायता से जांच में पाया कि यह मेटेओर की पार्टीकल नहीं होकर जिंदा पार्टीकल थी।
उसमें जीवन का संचार हो रहा था, यह इंसानी खून की तरह रेड ब्लड सेल थी।
वैज्ञानिकों ने यह पता लगाने के लिए कि वह जिंदा है या नहीं उन्होंने डीएनए की स्ट्रक्चर पर परीक्षण करना शुरू किया लेकिन उन्होंने पाया कि उस पार्टिकल में कोई डीएनए नहीं था। लेकिन साथ ही यह भी पता चला कि उस पार्टिकल की गतिविधियां जिंदा सेल के समान थी या फिर ऐसा कहें कि “लाइफ विदाउट लाइफ” वाला पार्टिकल था जो जिंदा था मगर डीएनए नहीं था। Khoon Ki barish में ज़िंदा पार्टिकल कैसे हो सकता हैं।
जब भारत के वैज्ञानिक इस पहेली को नहीं सुलझा सके, तो उन्होंने इंटरनेशनल स्तर पर इसकी जांच शुरू की, जिससे कि एडवांस टेक्नोलॉजी और मशीनों की सहायता से सच्चाई का पता लगाया जा सके।यह पार्टी कल इतने रहस्यमई थे कि वैज्ञानिकों ने कई सालों तक लेब में रखा।
2010 में यह बात सामने आई कि इनमें कोई DNA नहीं था, वहीं दूसरी तरफ 2012 में “यूनिवर्सिटी ऑफ गेलमोर्गन” का रिसर्च सामने आया जो आश्चर्यजनक था। इस रिसर्च में राजकुमार गंगाप्पा और स्टुअर्ट हॉग ने बताया कि इस आर्टिकल में डीएनए मौजूद था।
धीरे-धीरे लोगों ने यह कयास लगाना शुरू कर दिया कि यह एलियन का काम होगा। धरती पर जीवन की खोज में एलियन ने यह पार्टीकल भेजा गया होगा। हालांकि इस तरह की बातों पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन वैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो आप सोचिए एक अननोन पार्टिकल जिसे कभी नहीं देखा गया वह अचानक रहस्यमई रूप से धरती पर कैसे आया।
दोस्तों केरल में हुई खून की बारिश के सम्बन्ध में अगर आपके पास कोई जानकारी हैं तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताए। साथ ही यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें,धन्यवाद।
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