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महाराणा सांगा की पराजय के कारण

महाराणा सांगा की पराजय के कारण भारतवर्ष में राजपूतों के वर्चस्व पर सवाल खड़े हो गए। महाराणा सांगा को सैनिकों का भग्नावशेष कहा जाता है, इसकी मुख्य वजह निरंतर युद्ध और उनके शरीर पर होने वाले घावों की वजह से कहा जाता है। खानवा का युद्ध जोकि 1527 ईस्वी में खानवा (भरतपुर) में लड़ा गया था, इस युद्ध में महाराणा सांगा की पराजय हुई।

इस लेख के माध्यम से हम चर्चा करेंगे कि वह कौन से मुख्य कारण थे जिसकी वजह से महाराणा सांगा को हार का सामना करना पड़ा या फिर महाराणा सांगा की पराजय के कारण क्या थे?

महाराणा सांगा की पराजय के कारण

1 बयाना में महाराणा सांगा युद्ध के लिए पहुंचा इस समय मेहंदी ख़्वाजा जो कि क़िले का रक्षक था, उसकी रक्षा के लिए बाबर ने “मोहम्मद सुल्तान मिर्ज़ा” को सेनापति बनाकर भेजा। लेकिन महाराणा सांगा ने इनको बुरी तरह पराजित कर दिया। इस जीत के साथ ही महाराणा सांगा ने बाबर के साथ तत्काल युद्ध करने का निर्णय नहीं लिया। इसकी वजह से बाबर को पूरा समय मिल गया, यह महाराणा सांगा की बड़ी भूल थी। परिणामस्वरूप महाराणा सांगा को पराजय का सामना करना पड़ा।

2 महाराणा सांगा का साथ देने वाले ज्यादातर छोटी छोटी रियासतों के राजा अपने स्वार्थवश महाराणा सांगा का साथ दे रहे थे। उनके अंदर देश प्रेम का भाव बिल्कुल भी नहीं था। साथ ही महाराणा सांगा का साथ देने वाले सरदारों में कई ऐसे लोग थे जिनमें आपसी मतभेद थे या शत्रुता थी। इनको एक करने में ज्यादा समय लग गया, जिससे इनके अंदर जोश और जुनून खत्म हो गया जो कि बयाना युद्ध के समय था। इसको भी महाराणा सांगा की पराजय का कारण माना जा सकता है।

3 मुगल आक्रमणकारी और आक्रांता बाबर की सेना के पास तोपें और गोला-बारूद थे, जबकि महाराणा सांगा की सेना परंपरागत हथियारों के साथ युद्ध मैदान में उतरी थी। यही महाराणा सांगा की पराजय का मुख्य कारण था।

4 जब युद्ध मैदान में मूर्छित हो जाने की वजह से राणा सांगा को पालकी में युद्ध मैदान से दूर ले जाया गया, तब उनकी सेना का मनोबल टूट गया।

5 महाराणा सांगा की पराजय के कारणों में एक मुख्य कारण यह भी था कि मुगल आक्रांता बाबर की सेना एक व्यवस्थित सेनापति और राजा के नेतृत्व में युद्ध लड़ रही थी। जबकि मेवाड़ की राजपूती सेना में कई छोटी-छोटी रियासतों के राजा शामिल थे इसलिए अलग-अलग सेनाओं का नेतृत्व अलग-अलग व्यक्तियों के हाथ में था और यही वजह रही कि सेना में एकता और तालमेल नहीं देखने को मिला।

6 जब बाबर की सेना महाराणा सांगा की सेना के सामने थी तब दुश्मन सेनापति की सेना पर आक्रमण होता देखकर मेवाड़ी सेना के ही अन्य सेनापति उसका साथ नहीं दे रहे थे।

7 तोपों के प्रहार से जब मेवाड़ी सेना के हाथी मुड़ कर भाग रहे थे, तब उनके द्वारा अपनी ही सेना के सैनिकों को कुचला जा रहा था, जिससे सेना में हड़बड़ी फैल गई।

8 महाराणा सांगा की पराजय के कारणों पर नजर डाली जाए तो सबसे मुख्य कारण उनका युद्ध मैदान से बाहर जाना था। क्योंकि उनके बाहर जाते ही मेवाड़ी सेना में खलबली मच गई और उन्हें लगा कि अब हम नहीं जीत सकते हैं।

9 महाराणा सांगा मूर्छित होकर जब युद्ध मैदान से बाहर चले गए तब मेवाड़ी सेना का मनोबल टूट गया था।

10. महाराणा सांगा की पराजय के कारणों में यह भी एक बहुत बड़ा कारण था कि मेवाड़ी सेना की संख्या बाबर की सेना की संख्या की तुलना में बहुत कम थी।

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