खातोली का युद्ध कब और किसके मध्य हुआ था?

खातोली का युद्ध महाराणा सांगा और इब्राहिम लोदी के मध्य 1517 ईस्वी में खातोली नामक स्थान पर लड़ा गया था। खातोली पीपल्दा (कोटा) में स्थित हैं। इब्राहिम लोदी और महाराणा सांगा के बिच लड़ा गया खातोली का युद्ध इतिहास में आज भी स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। खातोली के युद्ध में महाराणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को पराजित किया था।

खातोली का युद्ध– इतिहास और कहानी

खातोली का युद्ध कब हुआ- 1517 ईस्वी में।
खातोली का युद्ध किसके मध्य हुआ- महाराणा सांगा और इब्राहिम लोदी के बीच।
खातोली का युद्ध कौन जीता- महाराणा सांगा ने।
खातोली कहां स्थित हैं- पीपल्दा तहसील ज़िला कोटा (राजस्थान).
परिणाम- मेवाड़ की जीत।

इस लेख में हम खातोली का युद्ध या घाटोली का युद्ध की विस्तृत चर्चा करेंगे। यह 1517 ईस्वी की बात हैं। दिल्ली में सिकंदर लोदी की मौत के बाद उसका बेटा इब्राहिम लोदी दिल्ली सल्तनत के शासक बने। इब्राहिम लोदी एक महत्वकांक्षी व्यक्ति था।

दूसरी तरफ महाराणा सांगा भी अपने साम्राज्य विस्तार में लगे हुए थे। जब इब्राहिम लोदी तक यह बात पहुंची कि राणा सांगा साम्राज्य विस्तार कर रहे हैं, तो वो इस बात को लेकर चिंतित हो गए कि कहीं उनके राज्य पर अधिकार ना कर लें।

इब्राहिम लोदी ने मुख्य सेनापतियों को बुलाया और सेना को एकजुट किया। इब्राहिम लोदी मेवाड़ की सेना से लोहा लेने के लिए तैयार था। इस तरह दिल्ली में हुई हलचल की ख़बर मेवाड़ तक पहुंच गई।

मेवाड़ नरेश महाराणा सांगा ने भी अपनी सेना को एकजुट किया और युद्ध के पूर्वाभास के चलते कमर कस ली। अपनी सेना के साथ इब्राहिम लोदी मेवाड़ की तरह निकल पड़ा। महाराणा सांगा की सेना भी आगे बढ़ गई। छोटी छोटी रियासतों के कई राजाओं ने इस युद्ध में महाराणा सांगा का साथ दिया।

खातोली युद्ध का परिणाम

दोनों सेनाओं की राजस्थान के खातोली नामक स्थान पर मुठभेड़ हुई, जो कि वर्तमान में लखेरी नामक स्थान पर था।खातोली का युद्ध लगभग 5 घंटों तक चला। मेवाड़ी सेना का अदम्य साहस और वीरता देखकर इब्राहिम लोदी दांतों तले उंगलियां दबाने लगा। पहली बार उसका सामना किसी शेर से हुआ।

नाम के सुल्तान युद्ध मैदान छोड़कर भागने लगे। जैसे तैसे इब्राहिम लोदी खुद की जान बचाकर भागने में कामयाब रहा लेकिन उसका पुत्र अर्थात शाहजादा को मेवाड़ी सेना ने पकड़ लिया।

महाराणा सांगा भी इस युद्ध में घायल हुए। उनका एक हाथ कट गया,एक आंख फूट गई साथ ही शरीर पर अनेक घाव हो गए। इसी वजह से महाराणा सांगा को एक सैनिक का भग्नावशेष कहा जाता हैं।

इब्राहिम लोदी के पुत्र को मेवाड़ लाया गया और छोटा सा दण्ड देकर छोड़ दिया। प्रारंभ से ही मेवाड़ी शासक दरियादिली दिखाते रहे हैं। महाराणा सांगा से हार के पश्चात् इब्राहिम लोदी बदले की आग में तपने लगा और अपनी सेना को पुनः संगठित किया और धौलपुर में भिडंत हुई लेकिन एक बार फिर महाराणा सांगा की सेना विजयी रही।

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