बयाना का युद्ध || History Of Bayana War

बयाना का युद्ध महाराणा सांगा और बाबर का युद्ध नाम से मशहूर हैं। बयाना का युद्ध महाराणा सांगा और बाबर के बीच लड़ा गया पहला युद्ध था। बयाना का युद्ध 21 व 22 फ़रवरी 1527 ईस्वी में लड़ा गया एक ऐतिहासिक युद्ध था। इस युद्ध में महाराणा सांगा ने बाबर को बुरी तरह पराजित कर दिया।

बयाना का युद्ध का इतिहास

बयाना का युद्ध कब हुआ- 21 व 22 फरवरी 1527 ईस्वी में।
बयाना का युद्ध किसके मध्य हुआ- महाराणा सांगा और बाबर के बीच।
बयाना का युद्ध किसने जीता- महाराणा सांगा ने।

1526 ईस्वी में पानीपत के मैदान में बाबर और इब्राहिम लोदी के मध्य सत्ता को लेकर एक भीषण युद्ध हुआ इस युद्ध में इब्राहिम लोधी की हार होगी और दिल्ली का साम्राज्य बाबर के नाम हो गया। यह पानीपत का प्रथम युद्ध था।

पानीपत के प्रथम युद्ध के बाद मेवाड़ नरेश महाराणा सांगा को लगा कि बाबर सिर्फ लूटपाट के इरादे से भारत में आया है और लूटपाट करके पुनः लौट जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।पानीपत के प्रथम युद्ध में जीत से गदगद बाबर ने भारत पर राज करने का इरादा बनाया और अपने जेष्ठ पुत्र हुमायूं को आगरा पर अधिकार करने के लिए सेना सहित भेजा।

इस घटना के पश्चात महाराणा सांगा समझ गए कि बाबर के इरादे भारत पर अधिकार करना है जो उन्हें तथापि मंजूर नहीं था। बाबर को सबक सिखाने के लिए महाराणा सांगा ने सेना सहित बयाना की तरफ रुख किया क्योंकि उस समय बयाना पूर्वी राजस्थान के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता था।

मुगल आक्रांता बाबर ने अपने साम्राज्य विस्तार के लिए आसपास के राजाओं और जागीरदारों को यह संदेश भिजवाया कि वह बाबर की अधीनता स्वीकार कर ले अन्यथा उन्हें पराजित करके पदच्युत कर दिया जाएगा। इसी मद्देनजर बाबर ने बयाना, मेवात, धौलपुर, ग्वालियर और रापरी के किलेदारों को अधीनता स्वीकार करने के लिए संदेश भेजें।

इब्राहिम लोदी की हार के बाद इन छोटे-छोटे राजाओं को लगा कि अब इन्हें किसी के भी अधीन रहकर काम करने की जरूरत नहीं है, इसलिए सभी स्वतंत्रता पूर्वक अपने राज्य का संचालक कर रहे थे।

इस समय बयाना के किलेदार थे “निज़ाम खान” जो कि मूल तैयार अफगानी था, निजाम खान ने बाबर की अधीनता स्वीकार कर ली इस तरह अब बयाना भी बाबर के साम्राज्य में शामिल हो गया।

दूसरी तरफ हसन खा मेवाती जोकि मेवात के सूबेदार थे। उन्होंने मुगल आक्रांता बाबर की अधीनता स्वीकार करने से स्पष्ट मना कर दिया। इस तरह बाबर और इब्राहिम लोदी के मध्य हुए युद्ध में बाबर की जीत से कुछ राजाओं ने उसकी अधीनता स्वीकार कर ली जबकि कुछ राजाओं ने साफ तौर पर मना कर दिया।
बाबर के विस्तार वाली नीति ने बयाना के युद्ध को जन्म दिया। जैसा कि आपने ऊपर पड़ा बयाना का युद्ध महाराणा सांगा और बाबर के मध्य लड़ा गया था। अब हम चर्चा करेंगे कि बयाना के युद्ध में किसकी जीत हुई।

बयाना का युद्ध किसने जीता?

जब महाराणा सांगा तक यह संदेश पहुंचा की बयाना का किला और जागीरदारी बाबर के साम्राज्य के अधीनस्थ हो चुकी है, तो उन्होंने सेना सहित बयाना की तरफ कूच किया। दुसरी तरफ बाबर भी अपनी सेना सहित आगे बढ़ रहा था।

फ़रवरी, 1527 के दिन महाराणा सांगा और बाबर को सेना में एक भीषण युद्ध हुआ। किसी ने सोचा नहीं था कि एक नया इतिहास रचेगा। हालांकि मेवाड़ की सेना संख्या में कम थी लेकिन हौंसला दोगुना था।

माना कि बाबर की सेना में दम था लेकिन महाराणा सांगा की सेना के सीने में दम था। अनुमान के विपरित महाराणा सांगा की सेना ने इस युद्ध में बाबर की सेना की धज्जियां उड़ा दी। इतिहास के पन्नों में बयाना का युद्ध सुनहरे अक्षरों में लिखा गया जो आज भी अमिट हैं। बाबर की सम्राज्य विस्तार निति को जोरदार धक्का लगा।

महाराणा सांगा और बाबर के मध्य हुए इस युद्ध में महाराणा सांगा की मेवाड़ी सेना ने ऐतिहासिक जीत हासिल की। इस युद्ध के बाद भारत में महाराणा सांगा की ख्याति में कई गुना इजाफा कर दिया। बयाना का युद्ध एक ऐसा निर्णायक युद्ध साबित हुआ जिससे बयाना पर महाराणा सांगा का अधिकार हो गया।

“बयाना का युद्ध” में महाराणा सांगा के साथी

बयाना के युद्ध में महाराणा सांगा के साथ राजस्थान के कई वीर राजा महाराजाओं ने साथ दिया जिनमें निम्नलिखित शामिल थे-
1. रावल उदयसिंह (डूंगरपुर).

2. राजा नरदेव सिंह.

3. राय दिलीप सिंह.

4. चन्द्रभान सिंह.

5. मेदिनी राय (चंदेरी नरेश).

6. ब्रह्मदेव जी.

7. महमूद खां (गुजरात).

8. मानकचंद जी चौहान.

9. पृथ्वीराज सिंह कछावा (आमेर).

10. राव गंगा जी (मारवाड़).

बयाना का युद्ध में महाराणा सांगा की सेना के 80 सैनिक मारे गए, जबकि बाबर की सेना को जन और धन की बड़ी हानि हुई।

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