महाराणा सांगा की छतरी कहां है?

महाराणा सांगा की छतरी कहां स्थित हैं, यह जानने से पहले आपको बता दें कि जब खानवा के युद्ध में महाराणा सांगा घायल हो गए, तब अपनी सेना के साथ वह मेवाड़ की तरफ़ लौट पड़े।

खानवा के युद्ध में महाराणा सांगा के शरीर पर 80 घाव लगे, जिसके चलते उन्होंने अपने साथियों से कहा कि यदि मेरी मृत्यु हो जाती हैं तो मेरा अंतिम संस्कार मेवाड़ की धरा पर ही किया जाना चाहिए। प्राचीन समय में अजमेर से मेवाड़ जाने के लिए मांडलगढ़ से रास्ता होकर निकलता था। 30 जनवरी 1528 के दिन महाराणा सांगा ने कालपी नामक स्थान पर अंतिम सास ली।

जब महाराणा सांगा के शरीर को मेवाड़ में लाया जा रहा था, तब मांडलगढ़ नामक स्थान आया जो मेवाड़ का हिस्सा था। मांडलगढ़ में ही महाराणा सांगा की पार्थिव देह का अंतिम संस्कार किया गया। मांडलगढ़ में महाराणा सांगा की छतरी बनी हुई हैं, इसको देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता हैं कि शायद इसी स्थान पर उनका अंतिम संस्कार हुआ होगा।

महाराणा सांगा की छतरी मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) में स्थित हैं जिसका निर्माण भरतपुर के अशोक परमार द्वारा करवाया गया था। महाराणा सांगा की छतरी के निर्माण में आठ खम्भों का इस्तेमाल किया गया है।

महाराणा सांगा की छतरी की मुख्य विशेषताएं

1. यह छतरी मांडलगढ़ भीलवाड़ा में स्थित हैं।

2. महाराणा सांगा की छतरी में 8 खंभे हैं।

3. इसका निर्माण महाराणा सांगा के अंतिम संस्कार वाले स्थान पर किया गया है।

4. राजस्थान की ऐतिहासिक छतरियों में में यह शामिल हैं।

5. इसका निर्माण भरतपुर के राजा अशोक परमार द्वारा करवाया गया था।

महाराणा सांगा की छतरी कहां है? (Maharana Sanga ki Chhatri).

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