माया सभ्यता का इतिहास || History Of Maya Civilization

माया सभ्यता” विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में शामिल एक ऐसी सभ्यता हैं जिसके बारे में वैज्ञानिक वर्षों से जांच पड़ताल कर रहें हैं लेकीन अभी तक यह पता नहीं लगा पाए कि आखिर कैसे इतनी बड़ी माया सभ्यता का अंत हो गया।

माया सभ्यता का इतिहास अतिप्राचीन है। लगभग 1500 ईसा पूर्व की यह सभ्यता 16वीं शताब्दी में पूर्ण रूप से विलुप्त हो गई।

इस लेख में हम माया सभ्यता का इतिहास माया की भविष्यवाणी और माया सभ्यता की विशेषताओं का अध्ययन करेंगे।

माया सभ्यता का इतिहास (History Of Maya Civilization)

माया सभ्यता कहां की हैं- अमरीका और मैक्सिको.
माया सभ्यता का उद्भव-1500 ईसा पूर्व
माया सभ्यता का अंत- 16 वीं शताब्दी में.

माया सभ्यता का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसके खत्म होने की वजह का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक कई वर्षों से लगे हुए हैं लेकीन अभी तक सफलता नहीं मिली है।

प्राचीन अमेरिका और मैक्सिको में इस सभ्यता का विस्तार था। माया सभ्यता के मुख्य केंद्र मैक्सिको, अल सेलवाडोर, होंडुरास, ग्वाटेमाला, यूकाटन थे। मैक्सिको की सबसे बड़ी सभ्यताओं में माया सभ्यता शामिल थी। 1500 ईसा पूर्व से प्रारंभ होकर यह सभ्यता 300 ई. और 900 ई. फलीफुली थी, इसके विकास का यह चरम समय था।

माया सभ्यता की बात की जाए तो यह सभ्यता मुख्यतया कृषि पर आधारित थी जिसमें कई भारतीय सभ्यताओं की झलक देखने को मिलती हैं। माया सभ्यता के लोग बहुत ही चतुर, बुद्धिमान और कई कलाओं में पारंगत थे। लेखन, ज्योतिष शास्त्र, वास्तु शास्त्र, लोक कला और गणित जैसे क्षेत्रों में अग्रणीय थे। साथ ही धर्म का भी विशेष महत्व था। इस सभ्यता में बने पिरामिड आगे चलकर धार्मिक केंद्रों के रुप में विकसित हुए।

माया सभ्यता वैसे तो मुख्य रूप से कृषि पर आधारित थी लेकीन शहरीकरण भी इस दौर में शुरु हुआ। भारतीय इतिहासकार चमनलाल जी द्वारा लिखित “हिन्दू अमरीका” नामक किताब में माया सभ्यता और समकालीन भारतीय सभ्यताओं का वर्णन किया गया है। मैक्सिको में कई जगह खुदाई में भगवान श्री गणेश जी और भगवान श्री सूर्यदेव की प्रतिमाएं मिली है।

माया सभ्यता में यह भी पाया गया कि वहां पर पारंपरिक गीतों में विवाह पश्चात् कन्या को विदा करते समय कन्या की माता द्वारा गाए जाने वाले भावनात्मक के गीत भारतीय संस्कृति के समकक्ष नजर आते हैं।

मुखाकृति की दृष्टि से भारत के उत्तर पूर्व में रहने वाले लोग उसी समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं जो उस समय मैक्सिको के लोग थे। भारतीय शब्दावलियों का अध्ययन किया जाए तो अमरीका महाद्वीप का उत्तरी गोलार्द्ध को पाताल लोक नाम दिया गया है। इससे भारतीय संस्कृति और सभ्यता का मिला जुला रूप ही माया सभ्यता रही होंगी।

माया सभ्यता की शासन व्यवस्था कैसे थी?

प्राचीन सभ्यताओं की शासन व्यवस्था ज्यादातर समान देखी गई हैं। माया सभ्यता की शासन व्यवस्था की बात जाए तो यह पुरुष प्रधान थी। राज व्यवस्था पारंपरिक रूप से चलती थी। राजा का बेटा ही राजा बनता था लेकिन इसमें एक शर्त यह भी थी कि राजा का प्रतापी और पराक्रमी होना जरूरी था।

इसके पीछे मुख्य वजह यह थी कि एक सशक्त राजा ही राज्य की सीमा की सुरक्षा और विस्तार कर सकता हैं। माया सभ्यता में एक पुरुष ही राजा हो यह अनिवार्य नहीं था था। कई बार राजकुमारी के हाथ में भी सत्ता रहती थी। विभिन्न मंत्रियों और अभिजातों के सहयोग से शासन चलता था।

राजा का एक महल होता था जो ज्यादातर ऊपरी इलाकों में स्थित होता था। राजा की सुरक्षा में सैंकड़ों सिपाही और सेवा के लिए दासियां हर समय मौजुद रहती थी।

चिचेन इट्जा और एल. कैस्टिलो पिरामिड

चिचेन इट्जा मैक्सिको में स्थित हैं जो माया सभ्यता का सबसे बड़ा शहर और केंद्र था। यूनेस्को की विश्व धरोहर में इसे स्थान मिला है। एल कैस्टिलो पिरामिड, चिचेन इट्जा में सबसे आकर्षण का केंद्र माना जाता हैं।

मोहच मूल नामक पिरामिड जो की 42 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं, यहां पर आम लोग ऊपर चढ़ सकते हैं।

माया सभ्यता का कैलेंडर क्या होता हैं?

विभिन्न खगोलीय घटनाओं और धार्मिक त्योहारों पर आधारित माया सभ्यता में एक कैलेंडर निकाला जो माया सभ्यता का कैलेंडर नाम से प्रसिद्ध हुआ। वर्ष 2012 में दुनियां खत्म होने की भविष्यवाणी भी माया कैलेंडर में ही की गई थी।

माया कैलेंडर की कुछ गणनाएं सही साबित होती हैं तो कुछ घटनाएं गलत साबित हुई हैं।

माया कैलेंडर की भविष्यवाणी

माया सभ्यता का माया कैलेंडर अपनी भविष्यवाणी को लेकर कई वर्षों तक सुर्खियों में रहा। हजारों वर्ष पूर्व इस कैलेंडर में यह भविष्यवाणी की गई थी वर्ष 2012 में पूरी दुनिया किसी प्राकृतिक आपदा की वजह से समाप्त हो जाएगी।

लेकिन माया कैलेंडर का यह दावा पूरी तरह झूठ साबित हुआ। हालांकि माया कैलेंडर द्वारा की गई भविष्यवाणियां कई बार सही साबित भी हुई है।

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