शिशुनाग वंश का इतिहास || History Of Shishunaga Vansh

“शिशुनाग वंश” भारत के अत्यंत प्राचीन राजवंशों में से एक हैं। shishunaga dynasty के शासकों ने भारत में 413 ईसा पूर्व से 345 ईसा पूर्व तक शासन किया। हर्यक वंश के पतन के साथ ही शिशुनाग वंश अस्तित्व में आया। पुराणों का अध्ययन करने से पता चलता है कि शिशुनाग क्षत्रीय थे।

शिशुनाग के बारे में कहा जाता हैं कि वह लिच्छवी अर्थात् ईसा पूर्व 6वीं सदी में वैशाली में निवास करने वाली एक जाति में इनका जन्म हुआ था। लिच्छवी राजा (लिच्छवी जाति में उत्पन्न) के पुत्र शिशुनाग ने एक वैश्या की कोख से जन्म लिया था।

राजा शिशुनाग ने ही “शिशुनाग वंश” की स्थापना की थी। ये मुख्यतया मगध के राजा थे और इनकी राजधानी गिरिव्रज थी। इस लेख में हम “शिशुनाग वंश का इतिहास“, शिशुनाग वंश के संस्थापक कौन था,”शिशुनाग वंश की वंशावली और शिशुनाग वंश का अंतिम शासक कौन था?

तो चलिए पढ़ते हैं शिशुनाग राजवंश के बारे में विस्तृत जानकारी साथ ही कोशिश करेंगे कि “शिशुनाग वंश का इतिहास pdf” में भी आपको मिल सके।

शिशुनाग वंश का इतिहास (History Of Shishunaga Vansh)

शिशुनाग वंश का संस्थापक- राजा शिशुनाग.
कार्यकाल- 413 ईसा पूर्व से 345 तक.
शिशुनाग वंश के अंतिम राजा- नंदीवर्धन।

शिशुनाग वंश भारतीय इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता हैं। इस वंश के संस्थापक शिशुनाग ने कार्यभाल संभालते ही सबसे पहले साम्राज्य विस्तार और आसपास के क्षेत्र पर विजय हासिल करना प्रारंभ किया। इस समय “अवंती” नामक राज्य मगध का चिरप्रतिद्वंदी था, शिशुनाग ने अवंती के सम्राट अवंतिवर्धन को युद्ध में पराजीत कर दिया। इस विजय के साथ ही अवंती राज्य अब सम्राट शिशुनाग के राज्य का हिस्सा बन गया।

इस तरह धीरे धीरे मगध साम्राज्य की सीमा बढ़ते हुए पश्चिम मालवा तक हो गई। लेकीन राजा शिशुनाग यहीं रुक नहीं और अपने राज्य विस्तार पर निरंतर कार्य करते रहे। अवंती राज्य जीतने के बाद शिशुनाग ने वत्स को भी मगध का हिस्सा बना दिया। वत्स और अवंती राज्य जीतने से मगध साम्राज्य को व्यापारिक रूप से बहुत बड़ा फ़ायदा हुआ।

पाटलिपुत्र के लिए पश्चिमी देशों से होने वाला व्यापार आसान हो गया। कई इतिहासकार शिशुनाग वंश को मौर्य कालीन राजाओं बिंबिसार और अजातशत्रु के समकालीन मानते हैं, लेकिन यह सत्य नहीं है। मौर्य वंश का शासन काल 321 ईसा पूर्व से 184 ईसा पूर्व का था जबकि शिशुनाग वंश का कार्यकाल 412 ईसा पूर्व से 345 ईसा पूर्व रहा।

शिशुनाग ने बंगाल से लेकर मालवा तक अपने साम्राज्य को फैला दिया। गिरिव्रज के साथ साथ वैशाली भी मगध की राजधानी बना। शिशुनाग वंश के संस्थापक राजा से सुना की मृत्यु के पश्चात उनके वंशजों ने मगध की प्राचीन राजधानी को पुनः अपनी राजधानी बनाया।

शिशुनाग वंश के संस्थापक राजा शिशुनाग की 394 ईसा पूर्व में मृत्यु हो गई। राजा शिशुनाग की मृत्यु के पश्चात इनका पुत्र कालाशोक शिशुनाग वंश के अगले राजा बने। पौराणिक इतिहास उठाकर देखा जाए तो शिशुनाग के पुत्र कालाशोक का नाम का नाम काकवर्ण मिलता हैं।काकवर्ण (कालाशोक) ने शिशुनाग वंश के राजा के रूप में 28 वर्षों तक राज किया।

शिशुनाग वंश के लिए राजा काकवर्ण (कालाशोक) के 2 मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं -. राजा काकवर्ण अर्थात कालाशोक ने अपने कार्यकाल में वैशाली नगर में द्वितीय बौद्ध संगति का आयोजन करवाया था, वर्तमान में यह पटना शहर में स्थित है।. काकवर्ण अर्थात कालाशोक के कार्यकाल का दूसरा मुख्य कार्य मगध की राजधानी को बदलना रहा। इन्होंने मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में स्थापित की।

366 ईसा पूर्व की बात है महापद्मनंद नामक एक व्यक्ति ने शिशुनाग वंश के राजा कालाशोक की उस समय हत्या कर दी जब वो प्रशासनिक कार्यों की देखरेख के लिए पाटलिपुत्र का दौरा कर रहे थे। इस घटना के संबंध में इतिहास के साक्ष्यों को खंगाला जाए तो बाणभट्ट द्वारा रचित हर्षचरित्र में इसका उल्लेख मिलता है।

शिशुनाग वंश के राजा कालाशोक की मृत्यु के पश्चात उनके पुत्रों ने लगभग 22 वर्षों तक मगध पर राज किया था।

शिशुनाग वंश का अंत कैसे हुआ?

शिशुनाग वंश में राजा शिशुनाग परमवीर थे, उनके पश्चात भी उनके पुत्रों और वंशजों ने कई वर्षों तक मगध पर राज किया लेकिन धीरे-धीरे इनकी शक्ति क्षीण होती गई और 345 ईसा पूर्व में शिशुनाग वंश का अंत हो गया।

नंदीवर्धन को शिशुनाग वंश का अंतिम राजा माना जाता है। शिशुनाग वंश के राजा के रूप में नंदीवर्धन ने लगभग 22 वर्षों तक राज किया था इनका कार्यकाल 367 ईसा पूर्व से 345 ईसा पूर्व तक माना जाता है।

इस तरह शिशुनाग वंश के अंतिम राजा नंदीवर्धन की मृत्यु के साथ ही शिशुनाग वंश का अंत हो गया। शिशुनाग वंश के अंतिम राजा नंदीवर्धन को मौत के घाट उतार कर महापद्मनंद ने नंद साम्राज्य की स्थापना की।

इस लेख में हमने शिशुनाग वंश का इतिहास और शिशुनाग वंश के राजाओं के बारे में संक्षिप्त में पढ़ा।

यह भी पढ़ें- नन्द वंश का इतिहास- भारत का प्रथम शुद्र राजवंश।

FAQ

1. शिशुनाग वंश का संस्थापक कौन था?.

उत्तर- राजा शिशुनाग शिशुनाग वंश के संस्थापक थे।

2. शिशुनाग वंश का अंतिम शासक कौन था?.

उत्तर- नंदीवर्धन को शिशुनाग वंश का अंतिम राजा माना जाता है।

3. शिशुनाग वंश की राजधानी क्या थी?

उत्तर- शिशुनाग वंश की राजधानी अगल अलग समय में गिरिव्रज, वैशाली और पाटलिपुत्र रही।

4. कालाशोक किस वंश का था?

उत्तर- कालाशोक शिशुनाग वंश का था।

5. शिशुनाग वंश की स्थापना कब हुई?

उत्तर- शिशुनाग वंश की स्थापना 413 ईसा पूर्व हुई थी।

6. शिशुनाग वंश का कार्यकाल क्या रहा?

उत्तर- शिशुनाग वंश का कार्यकाल 413 ईसा पूर्व से 345 ईसा पूर्व तक माना जाता है।

7. शिशुनाग वंश कब से कब तक रहा?

उत्तर- 413 ईसा पूर्व से 345 ईसा पूर्व तक.

8. नंदिवर्धन कौन था?

उत्तर- शिशुनाग वंश का अंतिम शासक था।

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