कई विदेशी आक्रांताओं ने समय-समय पर भारत पर आक्रमण किया और इसकी एकता और अखंडता को तोड़ने की कोशिश की उनमें से एक था मुगल शासक अकबर. इतिहास के पन्नों को पलटते समय जब भी अकबर का नाम आता है, तो लोगों के जहन में यह बात जरूर आती है कि अकबर महान था या शैतान।
उम्मीद करते हैं कि यह लेख पढ़ने के पश्चात आप समझ जाएंगे कि अकबर महान था या अकबर शैतान था.
अकबर महान था या शैतान?
विश्व विख्यात इतिहासकार “विसेंट स्मिथ” ने भी अकबर के बारे में लिखा है। विसेंट स्मिथ लिखते हैं कि मुगल शासक अकबर एक बलात्कारी, क्रूर, निर्दयी और हवस तथा वासना से भरा हुआ था। अकबर से संबंधित इतिहास के बारे में ज्यादातर इतिहासकार उनकी तारीफों के पुल बांधे हैं लेकिन कुछ नीडर इतिहासकार भी हुए हैं, जिन्होंने सच्चाई बताने का काम किया है जिनमें इतिहासकार विसेंट स्मिथ भी शामिल है।
निम्नलिखित बिंदुओं को बढ़ने के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा कि मुगल बादशाह अकबर शैतान था या महान-
[1] अकबर के काल में एक बहुत बड़ा महिलाओं का बाजार लगता था जिसे “मीना बाजार” के नाम से जाना जाता है. अकबर भी महिलाओं की वेशभूषा धारण करके नियमित रूप से उस बाजार में जाता था. वहां पर उसे जो भी महिला पसंद आती वह अपने सैनिकों को इशारा कर देता और अकबर के सैनिक उस महिला को उठाकर अकबर के हरम में ले आते।
[2] बैरम खान का नाम आप सब नहीं सुना होगा। यह अकबर के सबसे विश्वस्त और करीबी सेनापति थे, जिन्होंने कई मौकों पर अकबर की जान बचाई। बैरम खान की पत्नी बहुत ही सुंदर थी उसे पाने के लिए अकबर ने झूठे मुकदमे में बैरम खान को फंसाया और बचा हुआ जीवन मक्का मदीना में बिताने की सजा दी थी।
[3] कई कुंठित मानसिकता के इतिहासकार लिखते हैं कि अकबर ने सती प्रथा को बंद किया था। लेकिन इसके पीछे की वजह जानकर आप समझ जाएंगे कि अकबर शैतान था या महान. जब युद्ध में हिंदू राजा और सैनिक मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर देते, उसके बाद उनकी पत्नियों और बहन बेटियों को अपने हरम तक ले जाने के लिए अकबर ने सती प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया था।
[4] एक राजा से मिलने के लिए प्रजा को सिर्फ अनुमति लेने की जरूरत होती है लेकिन सन 1586 ईस्वी में मुगल बादशाह अकबर ने एक नया नियम बनाया कि जो भी व्यक्ति उनसे मिलना चाहता है, वह अपनी उम्र के समान मुद्रा राजकोष में जमा करवाएगा। उसके पश्चात ही उसकी अकबर के दरबार में एंट्री हो पाएगी।
[5] इस्लाम कबूल नहीं करने पर अकबर ने 2 ईसाइयों की बेरहमी से हत्या कर दी थी।
[6] अकबर उसके दरबार में मौजूद सभी मंत्रियों और वरिष्ठ लोगों के मनोरंजन के लिए हरम में 5000 से भी अधिक महिलाओं और लड़कियों को रखता था, इससे यह साबित होता है कि वह पूर्ण रुप से हवस से भरा हुआ था।
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