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कागज का इतिहास और आविष्कार || History of Paper

कागज पर विश्व का सम्पूर्ण इतिहास लिखा जाता हैं लेकिन इस लेख में हम “कागज का इतिहास” जानेंगे, साथ ही यह भी पढ़ेंगे कि “कागज का आविष्कार” किसने और कब किया। आदिकाल से लिखने के लिए कागज का उपयोग किया जा रहा है। प्राचीनकाल से लेकर आज तक कागज का स्वरूप कई बार बदला है।

202 ईसा पूर्व हान वंश के शासनकाल में चीन में कागज़ का आविष्कार हुआ था। कागज का आविष्कार “त्साई-लुन” ने किया था। इस समय तक बांस और रेशम के कपड़े का उपयोग कागज के रूप में लिखने के लिए किया जाता रहा।

कागज के आविष्कार को लेकर इतिहासकार एकमत नहीं है, इतिहासकारों के एक तबके का कहना है कि कागज का आविष्कार सबसे पहले मिस्र में हुआ था। कागज का आविष्कार ईसा से लगभग 1400 वर्ष पूर्व मानते हैं। अब हम विस्तृत रूप से कागज का इतिहास जानेंगे कि कागज का आविष्कार कैसे हुआ, कागज कैसे बनता है, भारत में कागज का प्रचलन कब हुआ, कागज की लुगदी कैसे बनाई जाती है और कागज के क्या क्या उपयोग है।

कागज का इतिहास और आविष्कार (History of Paper)

कागज का आविष्कार कहां पर हुआ - चीन.
कागज का आविष्कार किसने किया- "त्साई-लुन"
कागज का आविष्कार कब हुआ- 202 ईसा पूर्व.
कागज के आविष्कार के समय किसका शासन था- हान राजवंश.
कागज किससे बनता हैं- सेल्यूलोज के रेशों से.
कागज का संत किसे कहते हैं- "त्साई-लुन" को.

इतिहासकारों की माने तो चीन में सबसे पहले कागज का आविष्कार कपड़ों के चिथड़ों से किया गया था। प्राचीन समय में जब कागज का आविष्कार नहीं हुआ था तब लेखन कार्य में ताड़पत्रों का प्रयोग किया जाता था। लेकिन यही एकमात्र तरीका नहीं था इसके अलावा भी लकड़ी, ताम्रपत्र और शिलालेखों का उपयोग लिखने के लिए आदिकाल से किया जाता रहा है।

कागज के इतिहास की बात जब भी होती हैं तब इसके आविष्कारक “त्साई-लुन” का नाम सबसे पहले लिया जाता है क्योंकि इन्होंने ही कागज का आविष्कार किया था बांस और रेशम के कपड़े पर लेखन बहुत अधिक महंगा पड़ता था क्योंकि रेशम महंगा था और बांस बहुत भारी इसलिए “त्साई-लुन” के दिमाग में एक विचार आया कि क्यों ना एक ऐसे हल्के पत्र का निर्माण किया जाए जो सस्ता हो।

“त्साई-लुन” ने विचार को क्रिया में बदला और बांस, शहतूत के पत्ते, पेड़ की छाल और रेशों के माध्यम से पहली बार कागज का निर्माण किया। इस आविष्कार के बाद पूरी दुनिया में कागज का उपयोग किया जाने लगा साथ ही इस आविष्कार की वजह से “त्साई-लुन” को कागज का संत भी कहा जाता है।

वही इतिहासकारों का एक तबका बताता है कि कागज का सर्वप्रथम उपयोग मिस्र में किया गया था, मतलब कागज का इतिहास मिस्र से शुरू हुआ था. इनके अनुसार पेपिरस एंटीकोरियम नामक घास से कागज बनाया गया।इसका स्कोर पेपीरस या पेपीरी के नाम से भी जाना जाता है। ईसा से लगभग 1400 वर्ष पूर्व मिस्र में पहली बार पेपीरी का निर्माण किया गया था, इसका उल्लेख लेखक और इतिहासकार नैश के एकुसोडस नामक ग्रंथ से ज्ञात होता है।

भारत में कागज का प्रचलन

भारत में कागज के प्रचलन का इतिहास भी बहुत पुराना माना जाता है। भारत में सबसे पहले कागज का प्रयोग सिंधु सभ्यता के दौरान किया गया था, इसके प्रमाण भी मिले हैं।  भारत में कागज बनाने का प्रथम उद्योग सुल्तान जैनुलआबिदीन द्वारा 1417 ईस्वी से लेकर 1467 ईस्वी के बीच में कश्मीर में स्थापित किया गया था। भारत में कागज के प्रचलन की यह तकनीक प्राचीन है, वहीं दूसरी तरफ आधुनिक तकनीक पर आधारित कागज के कारखाने की बात की जाए तो सन 1870 ईस्वी में बाली ( कोलकत्ता) नामक स्थान पर प्रथम कारखाने की स्थापना की गई थी।

धीरे धीरे भारत में कागज का प्रचलन बढ़ता गया और समय के साथ कागज बनाने के कारखानों की संख्या में भी वृद्धि देखी गई। 1882 ईस्वी में टीटागढ़, 1887 ईस्वी में बंगाल,1925 ईस्वी में जगाधरी और गुजरात में सन 1933 में कारखाने लगाए गए।

कागज कैसे बनता है या कागज की लुगदी की विधि

उत्सुकता वस कई लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर कागज कैसे बनता है या फिर कागज की लुगदी की विधि क्या है?
कागज बनाने की विधि या कागजकी लुगदी बनाने की विधि को हम बिंदुवार समझेंगे-

(1). कागज बनाने के लिए सबसे पहले वृक्ष के तने से छाल को साफ किया जाता है, ताकि उसे उपयोग में लाया जा सके।

(2). छाल को साफ कर लेने के बाद उसे चिप्पर मशीन द्वारा 3 सेंटीमीटर से लेकर 5.5 सेंटीमीटर तक के आकार में आवश्यकता अनुसार काटा जाता है।

(3). वृक्ष की छाल के इन छोटे-छोटे टुकड़ों को पल्प मील विभाग के डाइजेस्टर में डाला जाता है, उसके बाद इसके अंदर सफेद रंग का एक रसायन जिसे लिकर कहते हैं डाल कर पकने के लिए छोड़ दिया जाता हैं। जब यह पक जाता है उसके बाद कागज बनाने की विधि को आगे बढ़ाया जाता है।

(4). इस तरह इस डाइजेस्टर में डाले गए छोटे-छोटे टुकड़े लुगदी बन जाते हैं। इस तरह कागज की लुगदी तैयार हो जाती हैं।

(5). लुगदी को कागज बनाने के लिए कच्चा माल माना जा सकता है। इसके बाद लुगदी की ब्लीचिंग/ क्लीनिंग की जाती हैं अर्थात ऑक्सीजन या क्लोरीन द्वारा इसकी सफाई की जाती है।

(6). कागज बनाने की प्रक्रिया में आगे इस लुगदी को सफाई करने के बाद कुटाई की जाती है जिसे बिटिंग कहते हैं, इसके बाद यह अगली प्रक्रिया में स्टॉक सेक्शन में भेज दिया जाता है।

(7). आगे की प्रक्रिया के लिए इस लुगदी में कागज के अनुसार रंग, फिलर और पिगमेंट आदि को मिलाया जाता हैं जिसकी क्लीनर मशीन में सफ़ाई की जाती हैं। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसको “मशीन चेस्ट सेक्शन” में भेजा जाता हैं।

(8). मशीन चेस्ट की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसको फैन पम्प के द्वारा पेपर मशीन के मुख्य बॉक्स में स्थांतरित कर दिया जाता हैं। यहां इसकी संघनता मात्र 1 % रखी जाती हैं।

(9). कागज बनाने की विधि में आगे इसकी मुख्य बॉक्स से वायर पर भेजा जाता हैं ताकि पानी और कागज दोनों अलग अलग हो जाए।

(10). यहां तक कागज बनाने की प्रक्रिया पूरी हो जाने के पश्चात इस पेपर सीट को प्रेस सेक्शन में भेजा जाता है जहां से यह ड्रायर से गुजरती है, ड्रायर से गुजरने के बाद यह सूख जाती है।

(11). जब यह पूर्णतया सूख जाता है उसके बाद यह कैलेंडर, सुपर कैलेंडर से गुजरता हुआ पॉप रील में एकत्रित हो जाता है।

(12). अब हम कागज बनाने की प्रक्रिया के अंतिम पड़ाव पर आ चुके हैं। यहां से पॉप रील से पेपर के बड़े रोल को रिवाइडर की सहायता से छोटे पेपर सेल्स में रिवाइड करके और कटर का सहारा लेकर आवश्यकता अनुसार अलग-अलग आकार में इसे काट कर फिनिशिंग सेक्शन में भेज दिया जाता है। इस तरह अनेक प्रक्रियाओं से गुजरता हुआ कागज बन कर तैयार हो जाता है।

हमने उपरोक्त 12 बिंदुओं से सरलतम तरीके से कागज बनाने की विधि या कागज की लुगदी बनाने की विधि को जाना है।

पिज़्ज़ा का इतिहास और आविष्कार।

कागज बनाने के लिए आवश्यक सामग्री

कागज बनाने के लिए मुख्य रूप से बांस लकड़ी गांव पुराने कपड़े और गन्ने की खोई का इस्तेमाल हो रहा है लेकिन क्या आप जानते हैं कागज निर्माण में सबसे मुख्य भूमिका सेल्यूलोस की होती है, सेल्यूलोस एक प्रकार का रेशा है या फिर यह कहें कि यह एक कार्बनिक यौगिक हैं। सेल्यूलोस मुख्यतः 3 तरह का होता है जिसे अल्फा, बीता और गामा सेल्यूलोस के नाम से जाना जाता हैं।

सबसे अधिक सेल्यूलोस रूई में लगभग 99% अल्फा सेल्यूलोस होता है। पेड़ पौधों में सेल्यूलोज एक कार्बोहाइड्रेट (पेड़ के तने में) पाया जाता है जिससे पेड़ पौधों की कोशिकाओं का निर्माण होता है।

जिन पेड़ पौधों में सेल्यूलोस की मात्रा अधिक होती हैं उनसे कागज भी अच्छी क्वालिटी का बनता है। अगर सबसे ज्यादा सेल्यूलोस की बात की जाए तो यह कपास में प्रचुर मात्रा में होता है लेकिन कपास बहुत महंगी होती हैं, इस कारण कागज बनाने के लिए इसका उपयोग नहीं किया जाता है।

कागज बनाने के लिए अधिक उपयोग बांस, देवदार, भोज, पपलर, फर और सफेदा आदि वृक्षों के तनों का उपयोग किया जाता है क्योंकि इन पेड़ पौधों में सेल्यूलोस के साथ-साथ लिग्रिन और पेक्टिन, खनिज, लवण, वसा, गोंद और प्रोटीन आदि भी पाए जाते हैं जिसकी वजह से एक बेहतर क्वालिटी का कागज बनता है।

कागज के प्रकार (type of paper).

कागज के प्रकार निम्नलिखित हैं-
(1) रेट्रो ऑफसेट प्रिंटिंग पेपर।

(2) चमकदार कागज।

(3) चिपकने वाला कागज।

(4) लेपित कागज।

(5) कार्बन रहित कागज।

(6) शिल्प कागज।

(7) गत्ता और

(8) पेपर बोर्ड।

कागज के उपयोग

कागज का आज के समय में बहुत ज्यादा उपयोग होता हैं। पिछले 40 सालों की बात की जाए तो दुनियां भर इसकी खपत को लेकर आश्चर्य चकित करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। इसकी खपत में 400% से भी अधिक वृद्धि दिखने को मिली हैं। लोगों के दैनिक जीवन में कागज एक आवश्यक वस्तु है।

इसके बिना जीवन की कल्पना करना संभव नहीं है हालांकि बढ़ती टेक्नोलॉजी की वजह से पेपर वर्क में थोड़ी कमी आई है लेकिन आगामी कई वर्षों तक कागज का उपयोग होता रहेगा। इसमें कोई दो राय की बात नहीं है।

कागज का उपयोग समाचार पत्रों, शॉपिंग बैग निर्माण, पैसा (नोट) रसीद, टॉयलेट पेपर, सीरियल बॉक्स, कार्टून ( कागज के गत्तों से निर्मित) और कई महत्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इसका उपयोग किया जाता है.

पिछले कुछ वर्षों से बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कागज के उपयोग में अचानक से वृद्धि हुई है, कागज प्रत्येक मनुष्य के जीवन का हिस्सा है।

कागज के दुष्परिणाम या कागज की हानियां

क्या आपने कभी सोचा हैं कि कागज के दुष्परिणाम भी होते हैं. कागज ने लोगों को जीवन को आसान जरुर किया लेकिन इसके दुष्परिणाम भी दिखने को मिले हैं। कागज के उत्पादन और अधिक उपयोग से हमारे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े हैं. कागज के दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं-

(1). कागज बनाने के लिए बड़े स्तर पर पेड़ों को काटा जाता है जिससे प्रदूषण बढ़ता है।

(2). कोलकाता जाने वाले वृक्षों में से 35% वृक्षों को सिर्फ पेपर निर्माण के लिए काटा जाता है।

(3). हालांकि समय के साथ पेपर से बना अपशिष्ट नष्ट हो जाता है लेकिन इसकी मात्रा बहुत अधिक है।

(4). कागज को सफेद करने के लिए इसमें क्लोरीन रसायन का प्रयोग किया जाता है, जिससे प्रदूषण बढ़ता है।

(5). कागज निर्माण में प्रयोग किए जाने वाले डाईऑक्सिन बहुत विषैले होते हैं, जिसका मानव स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। इसकी वजह से प्रजनन, विकास, बीमारी से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता और हार्मोन से संबंधित समस्याएं पनपती है।

हमारे जीवन में कागज का जितना महत्व है उतने ही नुकसान भी हैं।

भारत में कागज उद्योग या कागज के कारखाने

भारत में कागज का पहला कारखाना/कागज उद्योग 1832 ईस्वी में पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में स्थापित किया गया था। लेकिन यह ज्यादा समय तक नहीं चला इसके पश्चात बालीगंज जो कि कोलकाता के समीप है, में एक नया उद्योग सन 1870 ईस्वी में स्थापित किया गया था।

स्वतंत्रता के पश्चात भारत में कागज उद्योगों और कागज के कारखानों का विकास बहुत ही तेज गति के साथ हुआ जहां सन 1951 में 17 कागज के कारखाने थे। लेकिन इसकी बढ़ते हुए उपयोग की वजह से इस समय भारत में कुल कागज कारखानों या उद्योगों की संख्या 300 से भी ज्यादा है। भारत के पेपर और पेपर बोर्ड का कुल उत्पादन हर साल 40 लाख टन होता है।

हमारे पेपर और पेपर बोर्ड का उत्पादन मांग के अनुरूप कम है और यही वजह है कि इसे बाहर से आयात किया जाता है। भारत में न्यूजप्रिंट का उत्पादन करने वाली मिल नेपानगर में है जिसे नेशनल न्यूज़ प्रिंट एंड पेपर मिल के नाम से जाना जाता है।

भारत में कागज उद्योग या कागज का कारखाना टीटानगर, काकीनाड़ा, मिरलाग्राम और कोलकाता में हैं। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित राज्यों में भी कागज के कारखाने हैं इनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, उड़ीसा और केरल के नाम मुख्य रूप से आते हैं लेकिन सर्वाधिक कागज उद्योगों की बात की जाए तो महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में है।

कई प्रतियोगी परीक्षाओं में कागज से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। कागज से सम्बंधित मुख्यतया पूछे जाने वाले प्र्शन और उनके उत्तर निम्नलिखित हैं-

[1] भारत का सबसे बड़ा कागज कारखाना कहां स्थित है?
उत्तर- भारत का सबसे बड़ा कागज कारखाना लाल कुआं में स्थित है।

[2] भारत में कागज मिल की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर- भारत में कागज मिल की स्थापना 1870 ईस्वी में हुई थी।

[3] भारत में कागज के मुख्य उत्पादक राज्य कौन से हैं?
उत्तर- भारत में महाराष्ट्र मध्य प्रदेश आंध्र प्रदेश गुजरात उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल कागज के मुख्य उत्पादक राज्य हैं।

[4] नेपानगर क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर- नेपा भारत में अखबारी कागज बनाने वाली मुख्य कंपनी है, जहां पर प्रति वर्ष 30000 टन कागज का उत्पादन होता है।

[5] विश्व में सर्वाधिक कागज उत्पादन करने वाला देश कौन सा है?
उत्तर- विश्व में सर्वाधिक उत्पादन करने वाला देश कनाडा है।

[6] कागज बनाने का सबसे सस्ता स्त्रोत क्या है?
उत्तर- कागज बनाने का सबसे अच्छा और सस्ता स्त्रोत पेड़ की छाल है।

[7] कागज उद्योग का कच्चा माल क्या है?
उत्तर- कागज उद्योग कच्चे माल के रूप में लकड़ी, बांस, सबाई घास, नीलगिरी आदि का प्रयोग करते हैं।

[8] कागज का आविष्कार किसने किया था?
उत्तर- कागज का आविष्कार “त्साई-लुन” ने किया था.

[9] कागज का आविष्कार कहाँ हुआ था?
उत्तर- कागज का आविष्कार चीन में हुआ था।

[10] कागज बनाने के लिए किस घास का उपयोग सर्वप्रथम किया गया था?
उत्तर- कागज बनाने के लिए पेपिरस एंटीकोरियम नामक घास का उपयोग किया गया था.

[11] कागज किससे बनता हैं?
उत्तर- कागज का निर्माण सेल्यूलोज के रेशों से होता हैं.

यह भी पढ़ें-

(1) हवाई जहाज कैसे उड़ता हैं? पढ़ें हवाई जहाज का इतिहास।

(2) पेन का इतिहास (history of pen).

(3) साइकिल का इतिहास (history of cycle in hindi).

(4) बैलगाड़ी का इतिहास।

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