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मूमल महेंद्र की प्रेम कहानी || Love Story Of Mumal-Mahendra

मूमल महेंद्र की प्रेम कहानी ना सिर्फ राजस्थान बल्कि संपूर्ण विश्व में विख्यात है। यह ऐतिहासिक प्रेम कहानी जरा हटके है, जहां मूमल बहुत सौंदर्यवान थी वहीं दूसरी तरफ महेंद्र अदम्य साहस के धनी थे। मूमल और महेंद्र की प्रेम कहानी आज से लगभग 2000 वर्ष पुरानी है लेकिन उतनी ही लोकप्रिय है। महेंद्र और मूमल का इतिहास कहें या फिर महेंद्र और मुमल की प्रेम कहानी एक ही बात है, जिसकी चर्चा हम इस लेख में करेंगे.

मूमल राजस्थान के जैसलमेर की राजधानी लौद्रवा की रहने वाली थी जबकि महेंद्र अमरकोट (पाकिस्तान) के रहने वाले थे। जिस तरह हीर-रांझा, सोहनी-महिवाल, ढोला-मारू, संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान, राजा मानसिंह और मृगनयनी, जीवाजी राव सिंधिया और विजया राजे सिंधिया, बाजीराव और मस्तानी की प्रेम कहानियां विश्व विख्यात है उसी तरह मूमल महेंद्र की प्रेम कहानी भी विश्व विख्यात है।

मूमल महेंद्र की प्रेम कहानी

लौद्रवा नगर (जैसलमेर) के समीप बहने वाली काक नदी के किनारे बसा हुआ था। यहीं पर रानी मूमल का का महल था जिसे “इकथंभीया-महल” कहा जाता हैं. राजस्थान में महल के ऊपर छत पर बने कमरों को मेड़ी कहा जाता है. इस महल के ऊपरी हिस्से पर मूमल रहती थी. इस महल के ऊपर जाने के लिए कई गुप्त मार्ग थे, साथ ही यह महल रहस्यमई था. इस महल में शेर, अजगर, सांप जैसे विषैले जीव रहते थे जिन्हें देखकर हर कोई डर जाता था.

सामान्य व्यक्ति की इस महल में जाने की हिम्मत नहीं होती थी, इतना ही नहीं रानी मूमल ने भरी सभा में यह ऐलान किया था कि जो व्यक्ति या राजा इन सभी रहस्यों को चीरता हुआ मुझ तक पहुंच जाएगा और मुझे प्रभावित करेगा, मैं उसी से शादी करूंगी.

रानी मुमल इतनी सुंदर थी की उसकी सुंदरता की चर्चा ईरान, ईराक, गुजरात, मारवाड़ और सिंध तक फैली हुई थी. कई राजा, महाराजा, राजकुमार उसकी सुंदरता को देखने और उसे प्रभावित करने के लिए उसके महल तक आते थे लेकिन उस महल में विद्यमान रहस्यों को नहीं सुलझा पाते और रानी मुमल तक नहीं पहुंच पाते थे और यदि कोई पहुंच भी जाता तो रानी मूमल के सवालों का जवाब किसी के पास नहीं होता था.

राजा महेंद्र उनके साले हमीर के साथ अमरकोट के आसपास के इलाकों में शिकार करते थे. एक दिन शिकार का पीछा करते हुए राजा महेंद्र काक नदी के किनारे बसे लोद्रवा में पहुंचे. वहां पर महेंद्र को एक बहुत सुंदर बगीचा दिखाई दिया.

इस बगीचे के भीतर तरह-तरह के फूल, फलदार पेड़, पक्षियों की चहचहाहट के बीच एक बहुत ही सुंदर दो मंजिला महल दिखाई दिया जो देखने में सुंदर तो था ही साथ ही अजीबोगरीब भी था क्योंकि उस महल के ऊपर तरह-तरह के खतरनाक पशुओं के चित्र बने हुए थे. जब राजा महेंद्र ने यह महल देखा तो वह इसके प्रति आकर्षित हुए.

महल को करीब से देखने की लालसा से महेंद्र उस बगीचे के भीतर गए वहां पर उन्हें एक दासी दिखाई दी. दासी ने उन्हें तुरंत रुकने को कहा, इस बात पर राजा महेंद्र ने कहा कि वह शिकार करते हुए यहां पर पहुंचे हैं और बहुत थक चुके हैं इसलिए थोड़ा आराम करना चाहते हैं और वैसे भी हम आपके मेहमान की तरह हैं.

उस दासी ने रानी मूमल का परिचय देते हुए बताया कि वह बहुत सुंदर हैं जिसकी सुंदरता की चर्चाएं विश्व भर में प्रसिद्ध है, क्या आपने उनका नाम नहीं सुना? इस पर राजा महेंद्र ने जवाब दिया कि नहीं.

राजा महेंद्र का जवाब सुनकर दासी को आश्चर्य हुआ, फिर उसने बताया कि यह बगीचा और महल रानी मूमल का ही है. वह यहां पर अपनी सहेलियों के साथ रहती हैं, साथ ही जो व्यक्ति रानी तक पहुंच जाता है और उनके प्रश्नों के सही जवाब दे देता है वह उसी से शादी करेगी ऐसी उन्होंने प्रतिज्ञा कर रखी है.

इतना सुनकर राजा महेंद्र रानी मूमल के बारे में और अधिक जानने के लिए लालायित हो उठे. राजा महेंद्र ने ली नहीं सोचा होगा कि यहीं से शुरू होने वाली मुमल महेंद्र की प्रेम कहानी विश्वविख्यात हो जाएगी.

दासी अंदर चली गई उसने रानी मूमल को राजा महेंद्र के बारे में बताया, रानी ने उसे आज्ञा दी कि वह हमारे मेहमान हैं उनके लिए जलपान की व्यवस्था की जाए. तभी एक सेवक भोजन लेकर राजा महेंद्र के समीप पहुंचा तो राजा महेंद्र सेवक से भी रानी मुमल के बारे में जानना चाहा. तब उस सेवक ने बताया कि हे राजन! आप कैसी बातें करते हैं.

अगर मैं रानी मूमल के बारे में आपको बताने लग जाऊं तो सुबह से शाम हो जाएगी, इतनी सुंदर है कि उसके गुणों का बखान करना मेरे बस में नहीं है. फिर भी मैं आपको बता दूं कि वह इतनी सुंदर है कि जब वह शीशे के सामने जाती है शीशा टूट जाता है, उसके महल की दीवारों पर कपूर और कस्तूरी का लेप होता है, वह दूध से स्नान करती हैं और पूरे बदन पर चंदन का लेप करती है. वह सबसे अलग हैं और बहुत सुंदर हैं.

शायद उसके जैसी इस दुनिया में दूसरी कोई नहीं है, यहां पर उस रानी को देखने के लिए दूर-दूर से प्रसिद्ध राजा महाराजा और उनके राजकुमार आए लेकिन रानी ने उनकी तरफ नजर उठाकर देखा भी नहीं. इसके बाद वह बताते हैं कि रानी उस राजकुमार से शादी करेगी जो उसका दिल जीत लेगा अन्यथा जीवन भर शादी नहीं करेगी. जब किसी के बारे में इतनी बातें बोली जाए तो हर कोई उसके बारे में अधिक जानना चाहता है और उसके प्रति आकर्षित हो जाता है.

राजा महेंद्र ने दासी के साथ संदेश भिजवाया कि वह रानी मूमल से मिलना चाहता है, कुछ ही देर बाद रानी मूमल का संदेश आया और उसने राजा महेंद्र को ऊपर बुलाया. जब राजा महेंद्र उस महल में पहुंचे तो वहां पर सामने मूमल खड़ी थी, जिसे देखकर महेंद्र स्तब्ध रह गए. एक बार मूमल पर नजर पड़ने के बाद राजा महेंद्र नजर हटा नहीं पाए, वहीं दूसरी तरफ मूमल भी राजा महेंद्र को देखती रही क्योंकि महेंद्र के चेहरे पर तेज था और बहुत ही मधुर नयन थे.

कई समय तक दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते रहे. मूमल ने पुनः अपने अंदाज में राजा महेंद्र का स्वागत किया, दोनों रात भर बैठे रहे और बातें करते रहे, पता ही नहीं चला और एक दूसरे को दिल दे बैठे (Mumal-Mahendra Love Story). भोर होते ही सूरज निकल आया, लेकिन ना तो राजा महेंद्र वहां से जाना चाहते थे और ना ही रानी मूमल चाहती थी कि वह वहां से जाएं. यहीं से शुरू होती है मूमल और महेंद्र की प्रेम कहानी.

आखिर विदा होने का समय आ गया राजा महेंद्र ने रानी मूमल से वादा किया कि मैं पुनः आऊंगा और बहुत जल्द मिलेंगे. राजा महेंद्र रानी मूमल को देखने के बाद सब कुछ भूल गए, उनके दिल और दिमाग में सिर्फ मूमल ही मूमल थी. मन ही मन राजा महेंद्र ने मानस बना लिया कि चाहे कुछ भी हो मैं रानी मूमल से शादी करके अमरकोट लेकर जाऊंगा यही से शुरू हुआ प्यार का सिलसिला।

आपको बता दें कि राजा महेंद्र पहले ही शादीशुदा थे और उनकी 7 पत्नियां थी.

जब महेंद्र अमरकोट पहुंचे तो उन्होंने पुनः रानी मूमल से मिलने की तरकीब लगाई. राजा महेंद्र के राज्य में रामू रायका नामक एक व्यक्ति रहता था जो ऊंट चराने का काम करता था. राजा महेंद्र रामू रायका के पास गए और उनसे कहा कि ऊंटों के इस टोले में क्या ऐसा ऊंट हैं, जो मुझे रात्रि में लौद्रवा ले जाकर सुबह होते-होते पुनः अमरकोट ले आए?

इस पर रामू रायका ने जवाब दिया कि हां चीतल नामक एक ऊंट है, जो बहुत तेज दौड़ता है और बहुत फुर्तीला भी हैं वह आपको एक ही रात्रि में लौद्रवा ले जाकर पुनः अमरकोट लेकर आ सकता है.

इतना सुनकर महेंद्र बहुत खुश हुए, शाम का समय था रामू रायका चीतल नामक ऊंट को सजाकर महेंद्र के पास ले आए. महेंद्र उस पर सवार होकर रानी मूमल से मिलने के लिए लौद्रवा जा पहुंचे और सुबह होते होते अमरकोट लौट आए. धीरे धीरे महेंद्र और मूमल की प्रेम कहानी परवान चढ़ने लगी और रात्रि के समय ऊंट पर बैठकर उनके मिलने का सिलसिला कई समय तक चलता रहा.

इस तरह महेंद्र को देखकर उनकी सातों पत्नियों ने सोचा कि कुछ ना कुछ तो बात है जिसकी वजह से महेंद्र रात्रि के समय हमारे पास नहीं आते हैं और खोए खोए से रहते हैं.

धीरे-धीरे महेंद्र की पत्नियों को मूमल के बारे में जानकारी हुई जिससे उनके दिल को बहुत ठेस पहुंची. सातों पत्नियों ने मिलकर राजा महेंद्र को रोकने के लिए एक षड्यंत्र चला, जिसके तहत जिस ऊंट पर सवार होकर राजा महेंद्र रानी मूमल से मिलने के लिए जाते थे उस ऊंट के पैर तुड़वा दिए ताकि वह वहां पर नहीं पहुंच पाए.

लेकिन कहते हैं कि सच्चे प्यार को कोई खत्म नहीं कर सकता जैसे तैसे राजा महेंद्र दूसरे ऊंट पर सवार होकर रानी मूमल से मिलने के लिए लौद्रवा पहुंचे लेकिन तब तक बहुत ज्यादा समय हो चुका था. राह देखती देखती रानी मूमल भी सो गई.

यहाँ पर महेंद्र मूमल की प्रेम कहानी में भयंकर मोड़ आता हैं। रानी मूमल के साथ उनकी बहन सुमल भी थी, दोनों ने देर रात्रि तक बातें की लेकिन बाद में सो गए. उस दिन उनकी बहन सुमल ने पुरुषों की वेशभूषा धारण कर रखी थी. जब राजा महेंद्र वहां पर पहुंचे और देखा कि वह दोनों सो रही है तब राजा महेंद्र को यह भ्रम हो गया की रानी मूमल के साथ यह पुरुष कौन है?

उन्होंने उनसे बात करने के बजाय धीमे-धीमे अपने कदमों को पीछे खींच लिया, उनके हाथ में चाबुक था वह भी टूट कर नीचे गिर पड़ा वो पुनः अमरकोट लौट आए. उदास और हताश राजा महेंद्र का दिल टूट गया उन्हें लगा कि रानी मुमल किसी और से भी प्रेम करती है.

जब सुबह हुई तो रानी मूमल ने वह चाबुक देखा और देखते ही समझ गई कि राजा महेंद्र यहां पर आए थे. साथ ही बिना मिले राजा महेंद्र के लौट जाने की वजह भी उन्हें पता चल गई, वह कई दिनों तक पलके बिछाए राजा महेंद्र का इंतजार करती रही लेकिन राजा महेंद्र नहीं आए.

जहां महेंद्र की सातों पत्नियां मिलकर अपने षड्यंत्र में कामयाब रही , वही राजा महेंद्र को यकीन नहीं हो रहा था कि आखिर मूमल ऐसा कैसे कर सकती है? दूसरी तरफ मूमल राजा महेंद्र का इंतजार करते-करते काली पड़ गई, खाना छोड़ दिया, श्रृंगार करना छोड़ दिया लेकिन महेंद्र नहीं लौटे.

रानी मूमल ने महेंद्र को कई चिट्ठियां लिखी लेकिन एक भी चिट्ठी महेंद्र तक नहीं पहुंची क्योंकि जैसे ही उनके पास चिट्ठी जाती उनकी सातों पत्नियों में से कोई भी उसे फाड़ देती और राजा महेंद्र को भनक तक नहीं पड़ती. अंत में रानी मूमल ने एक सेवक को महेंद्र से मिलने के लिए भेजा लेकिन जब वह अमरकोट पहुंचा तो उसे महेंद्र से नहीं मिलने दिया गया.

लेकिन उस सेवक ने हार नहीं मानी और समीप ही छुपकर बैठ गया, जब रात्रि का समय था तो वह जैसे तैसे महेंद्र के करीब पहुंच गया. उस समय महेंद्र सो रहे थे तभी उस सेवक ने गुनगुनाना शुरू कर दिया –

तुम्हारे बिना सोढ राण,यह धरती धुंधली, तेरी मूमल रानी है उदास।

मुमल के बुलावे पर असल प्रियतम महेंद्र अब तो घर आव।।

जब यह बातें राजा महेंद्र के कानों में पहुंची तो वह उठकर बाहर आया और उस सेवक को बताया कि जब वह मुमल से मिलने के लिए आया था, तब उसने अपनी आंखों से जो देखा उसके बारे में जानकारी दी. यह सुनकर राजा महेंद्र का संदेशा लेकर सेवक पुनः मूमल के महल में लौट गया और पूरी कहानी मूमल के सामने बयां की. इतना सुनते ही मूमल के पैरों तले जमीन खिसक गई और उसके समझ में आ गया कि आखिर गलतफहमी की वजह क्या थी.

उसने अपने सेवक के साथ संदेश भिजवाया कि मूमल राजा महेंद्र से मिलने के लिए अमरकोट आ रही है, जब यह खबर राजा महेंद्र को लगी तो राजा महेंद्र ने सोचा की रानी मूमल निर्दोष है तभी वह मुझसे मिलना चाहती हैं, तब उसने पुनः संदेश भिजवाया की रानी मूमल को यहां पर आने की जरूरत नहीं है, मैं खुद चलकर कल सुबह उनसे मिलने के लिए आ रहा हूं.

जब राजा महेंद्र के आने की खबर रानी मूमल के पास पहुंची तो वह बहुत प्रसन्न हुई और पलकें बिछाए एकटक नजर से राह देखती रही. लेकिन किसी ने सोचा नहीं था कि मिलने के बजाय महेंद्र और मूमल की प्रेम कहानी का अंत हो जाएगा. हुआ यूं कि राजा महेंद्र के मन में आया कि वह क्यों ना मूमल के प्रेम की परीक्षा ली जाए? तब उसने लौद्रवा पहुंचकर एक दूत के जरिए मुमल के पास संदेश भेजा की राजा महेंद्र को नाग ने डस लिया है, जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हो गई.

वह दूत यह संदेश लेकर रानी मुमल के पास पहुंचा और ज्यों का त्यों उन्हें बता दिया. यह सुनकर रानी मुमल वहीं पर गिर पड़ी और कई बार महेंद्र का नाम पुकारने के बाद उन्होंने प्राण त्याग दिए.

वहीं दूसरी तरफ जब यह खबर राजा महेंद्र तक पहुंची की महेंद्र के वियोग में रानी मूमल ने प्राण त्याग दिए तो रेत के टीलों के बीच में राजा महेंद्र भी मूमल मूमल करते रहे और अंत में उन्होंने भी प्राण त्याग दिए, इस तरह एक सच्चे प्रेम की कहानी का दुखद अंत हुआ. महेंद्र और मूमल की प्रेम कहानी आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है.

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