सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अप्रैल, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अकबर का किला कहां स्थित हैं?

अकबर का किला अजमेर में स्थित पश्चिमोन्मुखी किला हैं. वैसे तो अकबर ने कई किलों का निर्माण करवाया लेकीन इस लेख में हम अकबर के अजमेर स्थित किले के बारे में पढ़ेंगे. मुगल शासक अकबर ने सन 1570 ईस्वी में इस किले का निर्माण करवाया था. इस किले के दरवाज़े बहुत बड़े हैं साथ ही इसमें 4 बुर्ज भी बने हुए हैं. अकबर का किला अजमेर में स्थित हैं और वर्तमान में यह एक सरकारी संग्रहालय भी है. इस संग्रहालय में प्राचीन सिक्के, कवच, मूर्तियां और पुरानी पेंटिंग्स रखी गई हैं. इस किले के निर्माण में लगभग 3 वर्ष का समय लगा. अकबर का किला अजमेर- इतिहास और संक्षिप्त परिचय किसने बनवाया- मोहम्मद अकबर. कहां पर स्थित हैं- अजमेर (राजस्थान). निर्माण वर्ष- 1570 ईस्वी. बनाने में समय - 3 वर्ष. वैसे तो अकबर की राजधानी आगरा थी लेकिन उसने अजमेर में भी एक किले का निर्माण कराया. अकबर के किले का नाम से मशहूर यह किला अब एक राजकीय संग्रहालय बन चुका हैं. मुग़ल बादशाह अकबर का किला नया बाजार अजमेर में स्थित हैं. इस किले अर्थात् संग्रहालय में आज प्राचीन समय के सिक्के, पुरानी पेंटिंग्स, प्राचीन मूर्तियां और युद्ध में काम आने वाले...

चार्टर अधिनियम 1833 क्या हैं? जानें इसके मुख्य प्रावधान

ब्रिटेन में हुई औद्यौगिक क्रान्ति के फलस्वरूप चार्टर अधिनियम 1833, ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया. इस अधीनियम के द्वारा कार्यकाल को 20 वर्षों के लिए बढ़ाया गया ताकि ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार कर सके और इंग्लैंड में उत्पादित होने वाले माल को वृहद स्तर पर भारत में बेचा जा सके. चार्टर अधिनियम 1833 पूरी तरह से उदारवादी संकल्पना पर आधारित था. साथ ही ईस्ट इंडिया कम्पनी यह नहीं चाहती थी कि उसके काम काज में कोई हस्तक्षेप करे इसलिए चार्टर अधिनियम 1833 को लाया गया. चार्टर अधिनियम के दौरान लॉर्ड विलियम बैंटिक गर्वनर जनरल थे. चार्टर अधिनियम 1833 को सेंट हेलेना अधीनियम 1833 के नाम से भी जाना जाता हैं. इस अधीनियम से पहले बने कानून नियामक और बाद में बने कानूनों को अधिनियम (ACT) कहा जाता हैं. इस लेख में हम चार्टर अधिनियम 1833 को विस्तार से समझेंगे कि चार्टर अधिनियम 1833 क्या हैं? इसको क्यों लागू किया गया और साथ ही चार्टर अधिनियम 1833 की मुख्य विशेषताएं क्या हैं. चार्टर अधिनियम 1833 को लाने की वजह चार्टर अधिनियम 1833 को ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया ताकि जो भी कमियां हैं उन्हें दूर किया ज...

शुभ्रक घोड़ा और कुतुबुद्दीन ऐबक की सच्चाई

शुभ्रक घोड़ा और कुतुबुद्दीन ऐबक की सच्चाई आपकी आंखे खोल देगी क्योंकी अब तक जो कहानी आपने पढ़ी हैं वह गलत हैं, उसी गलती की वजह से मेवाड़ और राजपूत राजाओं के बारे में भ्रम फैलाया गया है. वह भ्रम और गलती क्या थी? यह लेख पढ़ने के बाद आप भली भांति समझ जाएंगे. क्या शुभ्रक घोड़ा कुंवर कर्णसिंह का घोड़ा था? क्या वाकई में शुभ्रक घोड़े ने कुतुबुद्दीन ऐबक को मारा? इन्हीं दोनों प्रश्नों का जवाब आपको इस लेख में मिलेगा. शुभ्रक घोड़ा और कुतुबुद्दीन ऐबक के बारे में तथ्यात्मक जानकारी आपने अब तक जो कहानी सुनी है उसके अनुसार कुतुबुद्दीन ऐबक ने मेवाड़ पर आक्रमण किया और कुंवर कर्णसिंह को युद्ध में पराजीत करने के बाद बंदी बनाकर अपने साथ लाहौर ले गया, वहां पर मौका पाकर शुभ्रक ने कुतुबुद्दीन ऐबक की छाती पर अपने दोनों पैरों से जोरदार वार किया जिससे ऐबक की मौत हो गई. ऐबक की मौत के बाद शुभ्रक घोड़ा ने कर्णसिंह को सुरक्षित उदयपुर के महलों तक ले आया. क्या यह सच्चाई हैं? बिल्कुल नहीं. मेवाड़ राजघराने में अब तक कर्णसिंह नाम के दो कुंवर पैदा हुए जिनमें से एक 1150 ईस्वी के आसपास और दुसरे 17वीं शताब्दी में. जैसा कि आप ...

चार्टर अधिनियम 1793 और इसकी 10 विशेषताएं.

चार्टर अधिनियम 1793 ब्रिटिश संसद द्धारा पारित किया गया वह कानून था जिससे ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए बनाए गए चार्टर अधिनियम 1773 में संशोधन किया गया और ईस्ट इंडिया कम्पनी को आगामी 20 वर्षों तक विदेशों में व्यापार करने की छूट मिली.जैसे ही चार्टर अधिनियम की अवधि पूरी होती, उसे 20 वर्षों के लिए संसद में कानून पारित करके आगे बढ़ा दिया जाता. यह सिलसिला लगभग 1853 ईसवी तक चलता रहा. चार्टर अधिनियम 1793 में विशेष प्रावधानों को शामिल नहीं किया गया, यह मात्र अवधि बढ़ाने के लिए पारित किया गया था. चार्टर अधिनियम 1793 ईस्ट इंडिया कंपनी के कार्यकाल को 20 वर्षों के लिए बढ़ाया गया. क्या आप जानते हैं कि चार्टर अधिनियम 1793 को क्यों पारित किया गया और चार्टर अधिनियम 1793 में किन प्रावधानों को शामिल किया गया था? चार्टर अधिनियम 1793 के प्रावधान या विशेषता चार्टर अधिनियम 1793 के मुख्य प्रावधान और विशेषताएं निम्नलिखित है- 1. चार्टर अधिनियम 1793 को ब्रिटिश संसद द्वारा 1793 ईस्वी में पारित किया गया था. 2. चार्टर अधिनियम 1793 ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए था. 3. इस अधिनियम के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी के कार्यकाल को 2...

झलकारी बाई का इतिहास || History Of Jhalkari Bai

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को जानने वाले ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि झलकारी बाई कौन थी? हालांकि यह हमारे इतिहासकरों की गलती रही हैं कि झलकारी बाई का इतिहास आम जन तक नहीं पहुंचा पाए. झलकारी बाई ने रानी लक्ष्मीबाई के साथ अंग्रेजों से लोहा लिया था. 1857 की इस क्रांति ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को तो विश्व विख्यात कर दिया लेकीन झलकारी बाई को इतिहास के पन्नों में वह जगह नहीं दिला पाई जिसकी वो हकदार थी. महज़ 27 वर्ष की आयु में इन्होंने अपने देश के लिए जान न्यौछावर कर दी. ये रानी लक्ष्मीबाई की नियमित सेना में, महिला शाखा (दुर्गा दल) की सेनापति थी. इस लेख में हम विस्तृत रूप से जानेंगे कि झलकारी बाई कौन थी? झलकारी बाई का इतिहास क्या हैं? झलकारी बाई की कविता और झलकारी बाई का जन्म, मृत्यु और समाधि के बारे में चर्चा करेंगे. झलकारी बाई का इतिहास नाम- वीरांगना झलकारी बाई कोली. झलकारी बाई जन्म तिथि - 22 नवम्बर 1830. झलकारी बाई जन्म स्थान- भोजला गाँव (झांसी). झलकारी बाई मृत्यु तिथि - 4 अप्रैल 1857. झलकारी बाई पिता का नाम- सदोवर सिंह जी. झलकारी बाई माता का नाम- जमुना देवी जी. पति का नाम- पूरण क...