चार्टर अधिनियम 1833 क्या हैं? जानें इसके मुख्य प्रावधान

ब्रिटेन में हुई औद्यौगिक क्रान्ति के फलस्वरूप चार्टर अधिनियम 1833, ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया. इस अधीनियम के द्वारा कार्यकाल को 20 वर्षों के लिए बढ़ाया गया ताकि ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार कर सके और इंग्लैंड में उत्पादित होने वाले माल को वृहद स्तर पर भारत में बेचा जा सके. चार्टर अधिनियम 1833 पूरी तरह से उदारवादी संकल्पना पर आधारित था. साथ ही ईस्ट इंडिया कम्पनी यह नहीं चाहती थी कि उसके काम काज में कोई हस्तक्षेप करे इसलिए चार्टर अधिनियम 1833 को लाया गया.

चार्टर अधिनियम के दौरान लॉर्ड विलियम बैंटिक गर्वनर जनरल थे. चार्टर अधिनियम 1833 को सेंट हेलेना अधीनियम 1833 के नाम से भी जाना जाता हैं. इस अधीनियम से पहले बने कानून नियामक और बाद में बने कानूनों को अधिनियम (ACT) कहा जाता हैं. इस लेख में हम चार्टर अधिनियम 1833 को विस्तार से समझेंगे कि चार्टर अधिनियम 1833 क्या हैं? इसको क्यों लागू किया गया और साथ ही चार्टर अधिनियम 1833 की मुख्य विशेषताएं क्या हैं.

चार्टर अधिनियम 1833 को लाने की वजह

चार्टर अधिनियम 1833 को ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया ताकि जो भी कमियां हैं उन्हें दूर किया जा सके. इस अधीनियम को को लाने के पीछे की मुख्य वजह निम्नलिखित हैं-

  • 1. ईस्ट इंडिया कंपनी की अहस्तक्षेप की नीति ( लेसेज फेयर) को खत्म करने के लिए.
  • 2. ब्रिटेन में हुई औद्यौगिक क्रान्ति के फलस्वरूप इस अधीनियम को लाया गया.
  • 3. ब्रिटिश संसद द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी की 1813 में बीस साल की बढ़ाई गई अवधि भी समाप्त होने वाली थी, अतः इसको आगे बढ़ाने के लिए भी नए चार्टर अधिनियम की जरूरत थी.

चार्टर अधिनियम 1833 में शामिल मुख्य प्रावधान

चार्टर अधिनियम, 1833 की प्रमुख विशेषताएं या प्रावधान निम्नलिखित हैं –

1. लॉर्ड विलियम बैंटिक को भारत का प्रथम गर्वनर जनरल बनाया गया.
2. भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी अब तक वाणिज्यिक निकाय के रूप में कार्य कर रही थी जिसे समाप्त करके प्रशासनिक निकाय बना दिया गया.
3. यूरोपीय लोगों को भारत में बसने की अनुमति दी गई.
4. बंगाल के गर्वनर को भारत का गर्वनर बनाया गया.
5. मद्रास और मुंबई की पेसिडेंसी को अपनी विधायी शक्तियों से वंचित होना पड़ा.
6. गर्वनर को नागरिक और सैन्य शक्तियां दी गई.
7. चार्टर अधिनियम 1833 के द्वारा भारत के जितने क्षेत्र पर अंग्रेजों का अधिकार था, उसके लिए अलग से भारत सरकार बनाई गई.
8. पिट्स इंडिया एक्ट 1784 के अधीन गर्वनर जनरल परिषद सदस्यों की संख्या को कम कर दिया गया था जिसे पुनः बढ़ाकर चार कर दिया गया लेकिन चौथे सदस्य की शक्तियों को सीमित कर दिया.
9. अगर गर्वनर जनरल चाहता तो किसी भी इंडियन, ब्रिटिश या विदेशी व्यक्ती के लिए कानून को बदलने, निरस्त करने या संशोधन का अधिकार था.
10. सिविल सेवा में चयन परीक्षाओं के माध्यम से होना लगा.
11. चार्टर अधिनियम 1833 में एक नया नियम बना कि किसी भी भारतीय व्यक्ति को कंपनी में किसी भी पद पर बैठने और रोज़गार प्राप्त करने का अधिकार दिया गया लेकीन बाद में निदेशक मंडल ने इसका विरोध किया जिसके चलते इसको रद्द कर दिया गया.
12. चार्टर अधिनियम 1833 ने ब्रिटिश नागरिकों को भारत में स्वतंत्र रूप से बसने की अनुमति मिल गई.
13. चार्टर अधिनियम 1833 ने दास प्रथा को खत्म कर दिया.
14. इस अधीनियम द्वारा भारत में बने कानूनों को ब्रिटिश संसद में बरकरार रखा गया.
15 1833 में स्थापित इंडियन विधि आयोग का प्रथम अध्यक्ष लॉर्ड मैकाले को बनाया गया.
16. इस अधीनियम के बाद कंपनी का चीन से चाय के व्यापार पर एकाधिकार को ख़त्म कर दिया गया.
17. रंग, धर्म और वंश के आधार पर किसी भी भारतीय को कंपनी के किसी पद से हटाया नहीं जायेगा जिसके वह योग्य हैं.

चार्टर अधिनियम 1833 का महत्व

चार्टर अधिनियम 1833 का महत्व निम्नलिखित 3 बिंदुओं से समझ सकते हैं-

1. चार्टर अधिनियम 1833 भारत के राजनैतिक इतिहास और संवैधानिकता के लिए उठाया गया बहुत बड़ा कदम था.

2. इस अधिनियम के बाद भारत का प्रशासन समेकित और केंद्रीकृत हो गया.

3. चार्टर अधिनियम 1833 का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि इस अधिनियम के आने के बाद कोई भी भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हो सकता था.

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