द्रौपदी मुर्मू जीवनी और जीवन परिचय
द्रौपदी मुर्मू एक ऐसा नाम जो अभी चर्चा में हैं. द्रौपदी मुर्मू का नाम चर्चा में जब आया तब एनडीए ने इन्हें राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया. 18 जुलाई 2022 को हुए राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू उम्मीदवार बनी. जैसा कि आप जानते हैं भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल थी और द्रौपदी मुर्मू दुसरी महिला राष्ट्रपति बनी हैं, यह आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं. इसलिए आम जन द्रौपदी मुर्मू की जीवनी को लेकर जिज्ञासु है.
द्रौपदी मुर्मू की जीवनी प्रेरणादायक हैं. वर्तमान में आप झारखंड की प्रथम आदिवासी महिला राज्यपाल हैं. जैसे ही इन्हें राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया, केंद्र सरकार द्वारा Z+ सिक्योरिटी प्रदान की गई हैं.
द्रौपदी मुर्मू जीवनी और इतिहास
नाम- द्रौपदी मुर्मू .
पद- भारत की 15वीं राष्ट्रपति।
पिता का नाम- स्व. बिरांची नारायण टुडू.
माता का नाम-
पति का नाम- श्याम चरण मुर्मू.
बच्चे- इतिश्री मुर्मू (पुत्री).
जन्म तिथि- 20 जून 1958.
आयु- 64 वर्ष.
जन्म स्थान- मयूरभंज, उड़ीसा (भारत).
शिक्षा- स्नातक कला.
कॉलेज- राम देवी महिला कॉलेज, भुवनेश्वर उड़ीसा.
वजन- 74KG.
जाति- अनुसूचित जनजाति.
लंबाई- 5 फीट 4 इंच.
धर्म- हिंदू (सनातन)
पेशा- राजनीतिज्ञ.
पार्टी- बीजेपी.
कुल संपत्ति- 10 लाख.
स्थाई पता- बैदापोसी वार्ड नं 2, पत्रालय रायरंगपुर, जिला मयूरभंज उड़ीसा.
द्रौपदी मुर्मू की जीवनी की शुरुआत से पहले आपको बता दें कि वह 1997 में BJP से जुड़ने के बाद कई महतवपूर्ण पदों पर कार्यरत रही. वो ST मोर्चा पर राज्य अध्यक्ष और मयूरभंज के जिलाध्यक्ष के तौर पर काम किया. वर्ष 2007 में उड़ीसा गवर्नमेंट ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के रूप में चुना और नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया. द्रौपदी मुर्मू को पहली महिला राज्यपाल के रूप में मई, 2015 में झारखण्ड का राज्यपाल नियुक्त किया गया. सादा जीवन उच्च विचार वाली छवी रखने वाली मुर्मू का जीवन काफ़ी उतार चढ़ाव वाला रहा हैं,जिसकी हम विस्तार से चर्चा करेंगे.
आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा राज्य के मयूरभंज (बैदोपोसी नामक गांव) में हुआ था. इनका विवाह श्याम चरण मुर्मू के साथ हुआ लेकिन उनका स्वर्गवास हो चुका हैं, साथ ही इनके 3 बच्चे थे, 2 लड़के और 1 लड़की लेकिन दोनों लड़कों का निधन हो गया. वर्तमान में द्रौपदी मुर्मू अपनी बेटी इतिश्री मुर्मू के साथ रहती हैं. साधारण जीवन यापन करने वाली द्रौपदी मुर्मू का जीवन प्रारम्भ से ही राष्ट्र सेवा में समर्पित हैं.
प्राइवेट स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उड़ीसा के भुवनेश्वर से राम देवी महिला कॉलेज से कला में स्नातक की डिग्री हासिल की. इन्होंने “श्री इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर” (रायरंगपुर) से सहायक शिक्षिका के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की थी. इसके पश्चात उड़ीसा सरकार के साथ इन्होंने बिजली और सिंचाई विभाग में काम किया. इन्होंने अपना जीवन गरीबों के उत्थान, समाज सेवा और दलितों, आदिवासियों को सशक्त और मजबूत बनाने के लिए समर्पित कर दिया. पढ़ी-लिखी होने के नाते इन्होंने अतिरिक्त जिम्मेदारी उठाई.
वहीं दूसरी तरफ द्रौपदी मुर्मू के राजनीतिक कैरियर की बात की जाए तो वर्ष 1997 में भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ी और पहली बार पार्षद का चुनाव लड़ते हुए अच्छी जीत दर्ज की. इसी वर्ष इन्हें बीजेपी की तरफ से एसटी मोर्चा की जिला उपाध्यक्ष बनाया गया. हिंदी कार्य और समर्पण को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने इन्हें दो बार विधायक का टिकट दिया. दोनों बार रायरंगपुर से विधायक चुनी गई. वर्ष 2000 में इन्हें उड़ीसा सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा दिया.
जब उड़ीसा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल की संयुक्त सरकार (गठबंधन सरकार) बनी तो इस सरकार में 6 मार्च 2000 से 6 अगस्त 2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए प्रभार मंत्री का कार्यभार संभाला. वर्ष 2013 में मयूरभंज जिले की जिलाध्यक्ष (बीजेपी) नियुक्त किया गया.
द्रौपदी मुर्मू की प्रेम कहानी
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जन्म एक छोटे से गांव उपरवाड़ा में हुआ. यहीं पर उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त (7वीं क्लास तक) की. उस समय वह इकलौती लड़की थी जो एक छोटे से गांव से निकलकर भुवनेश्वर जैसे बड़े शहर में पढ़ने के लिए पहुंची.
राम देवी महिला कॉलेज, भुवनेश्वर उड़ीसा में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई.
श्याम चरण मुर्मू भी भुवनेश्वर के किसी कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे. धीरे धीरे दोनों की मुलाकातें बढ़ती गई और दोनों को एक दुसरे से प्यार हो गया. वर्ष 1980 में श्याम चरण मुर्मू द्रौपदी मुर्मू के घर विवाह का प्रस्ताव लेकर पहुंच गए.
जब इस बात की भनक द्रौपदी मुर्मू के पिता बिरंची नारायण टुडू को लगी तो वह द्रौपदी मुर्मू पर गुस्सा हो गए. द्रौपदी मुर्मू भी श्याम चरण मुर्मू से विवाह करना चाहती थी. दोनों एक ही बिरादरी से होने के बावजूद द्रौपदी मुर्मू को अपने पिता का गुस्सा झेलना पड़ा. श्याम चरण मुर्मू अपने काका और दो चार रिश्तेदारों को लेकर द्रौपदी मुर्मू के घर पहुंच गए. अंततः 3-4 दिनों तक ऊपरवाड़ा गांव में डटे रहने के बाद द्रौपदी मुर्मू के पिताजी ने इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया.
वर्ष 1980 में द्रौपदी मुर्मू का प्रेम सफल हुआ और उनका विवाह श्याम चरण मुर्मू के साथ हो गया. इस शादी के बाद ही द्रौपदी टुडू का नाम बदलकर द्रौपदी मुर्मू हो गया. हालांकि आज भी कई जगह दहेज़ प्रथा का प्रचलन हैं लेकिन उस समय आदिवासी समुदाय में यह ज्यादा ही चलन में था.
शादी तय होने के बाद दहेज़ में एक गाय, बैल और 16 जोड़ी कपड़े देना तय हुआ. श्याम चरण मुर्मू ने इस दहेज के लिए हां कह दिया. शादी में अच्छी दावत दी गई. इस तरह भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की प्रेम कहानी (Draupadi murmu Love story) सफ़ल रही लेकिन आगे इनके जीवन में तब अंधकार छा गया जब वर्ष 2010 में पहले और 2013 में दुसरे बेटे का देहांत हो गया.
इससे पहले भी 1984 में इनकी 3 वर्षीय पुत्री का देहांत हो गया था.
वर्ष 2016 में द्रौपदी की प्रेम कहानी का दुखद अंत हुआ और उनके पति श्याम चरण मुर्मू का देहांत हो गया. इन सब घटनाओं के बाद द्रौपदी मुर्मू पुरी तरह टूट गई और अपने घर को स्कूल में तब्दील कर दिया. विद्यालय का नाम श्याम लक्ष्मण शिपुन उच्चतर विद्यालय नाम से रखा. इस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे और अध्यापक बताते हैं कि द्रौपदी मुर्मू अपने बेटों और पति की पुण्यतिथि पर यहां जरूर आती हैं. द्रौपदी मुर्मू की जीवनी का यह भी एक महत्वपूर्ण भाग हैं.
राष्ट्रपति चुनाव 2022
राष्ट्रपति चुनाव 2022 में एन. डी. ए. (बीजेपी के साथ गठबंधन पार्टियां ) ने झारखंड की राजयपाल और आदिवासी समुदाय से सम्बन्ध रखने वाली श्रीमती द्रौपदी जी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीद्वार बनाया गया था. भारत में 18 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति चुनाव हुए, जिसमें विपक्ष की और से यशवंत सिन्हा को द्रौपदी मुर्मू के सामने उतारा गया. 21 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम घोषित किया गया जिसमें द्रौपदी मुर्मू वजयी रही और भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 64% वोट मिले. द्रौपदी मुर्मू को सांसदों के 540 और राज्यों से 2284 वोट मिले यानी कुल मिलाकर 676803 इलेक्टोरल वोट मिले.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रोचक तथ्य
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य निम्मलिखित है –
(1). द्रौपदी मुर्मू झारखण्ड राज्य की पहली महिला राज्यपाल हैं.
(2). द्रौपदी मुर्मू किसी भी राज्य की पहली आदिवासी पूर्णकालिक राज्यपाल हैं.
(3). द्रौपदी मुर्मू पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनी .
(4). सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति बनने का रिकॉर्ड भी द्रौपदी मुर्मू के नाम दर्ज हो गया .
(5). वर्ष 2015 में द्रौपदी मुर्मू को झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था.
(6). बीजेपी के टिकट पर द्रौपदी मुर्मू वर्ष 2009 में राइरांगपुर दुसरी बार विधायक चुनी गई.
(7). वर्ष 2006 में द्रौपदी मुर्मू “अनुसूचित जनजाति मोर्चा” की झारखंड की प्रदेश अध्यक्ष बनी.
(8). वर्ष 2002 में मत्स्य और पशुपालन विभाग में राज्यमंत्री का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया.
(9). वर्ष 2000 में द्रौपदी मुर्मू पहली बार विधायक बनी थी.
(10). वर्ष 1994 में अरबिंदो इंटीग्राल एजुकेशन सेंटर राइरांगपुर (उड़ीसा) में शिक्षिका के रूप में कार्य प्रारंभ किया था.
(11). वर्ष 1983 में बतौर कनिष्ठ लिपिक, उड़ीसा सरकार के सिंचाई विभाग में काम किया.
(12). द्रौपदी मुर्मू ने रमा देवी महिला विश्वविद्यालय, उड़ीसा से कला वर्ग में ग्रेजुएशन किया.
(13). वर्ष 2007 में उड़ीसा सरकार द्वारा उनके काम के दम पर सर्वश्रेष्ठ विधायक के रुप में चुनते हुए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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