द्रौपदी मुर्मू की प्रेम कहानी
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की प्रेम कहानी की शुरुआत भुवनेश्वर में ग्रेजुएशन के दौरान हुई. बचपन से ही वह पढ़ाई में होशियार रही. यही वजह थी कि 7 वीं कक्षा के बाद वह पढ़ाई के लिए भुवनेश्वर आ गई. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की शादी वर्ष 1980 में हुई थी.
शादी से पूर्व उनका नाम द्रौपदी टुडू था जो शादी के बाद बदलकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हो गया. द्रौपदी मुर्मू की प्रेम कहानी भुवनेश्वर से शुरु होकर पहाड़पुर गाँव तक पहुंच गई अर्थात जिससे प्रेम किया उन्हीं से विवाह भी किया.
इस लेख में आप राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की प्रेम कहानी और वैवाहिक जीवन के बारे में विस्तृत रूप से पढ़ेंगे.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की प्रेम कहानी
द्रौपदी मुर्मू का जन्म एक छोटे से गांव उपरवाड़ा में हुआ. यहीं पर उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त (7वीं क्लास तक) की. उस समय वह इकलौती लड़की थी जो एक छोटे से गांव से निकलकर भुवनेश्वर जैसे बड़े शहर में पढ़ने के लिए पहुंची.
राम देवी महिला कॉलेज, भुवनेश्वर उड़ीसा में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई.
श्याम चरण मुर्मू भी भुवनेश्वर के किसी कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे. धीरे धीरे दोनों की मुलाकातें बढ़ती गई और दोनों को एक दुसरे से प्यार हो गया. वर्ष 1980 में श्याम चरण मुर्मू द्रौपदी मुर्मू के घर विवाह का प्रस्ताव लेकर पहुंच गए.
जब इस बात की भनक द्रौपदी मुर्मू के पिता बिरंची नारायण टुडू को लगी तो वह द्रौपदी मुर्मू पर गुस्सा हो गए. द्रौपदी मुर्मू भी श्याम चरण मुर्मू से विवाह करना चाहती थी. दोनों एक ही बिरादरी से होने के बावजूद द्रौपदी मुर्मू को अपने पिता का गुस्सा झेलना पड़ा. श्याम चरण मुर्मू अपने काका और दो चार रिश्तेदारों को लेकर द्रौपदी मुर्मू के घर पहुंच गए. अंततः 3-4 दिनों तक ऊपरवाड़ा गांव में डटे रहने के बाद द्रौपदी मुर्मू के पिताजी ने इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया.
वर्ष 1980 में द्रौपदी मुर्मू का प्रेम सफल हुआ और उनका विवाह श्याम चरण मुर्मू के साथ हो गया. इस शादी के बाद ही द्रौपदी टुडू का नाम बदलकर द्रौपदी मुर्मू हो गया. हालांकि आज भी कई जगह दहेज़ प्रथा का प्रचलन हैं लेकिन उस समय आदिवासी समुदाय में यह ज्यादा ही चलन में था.
शादी तय होने के बाद दहेज़ में एक गाय, बैल और 16 जोड़ी कपड़े देना तय हुआ. श्याम चरण मुर्मू ने इस दहेज के लिए हां कह दिया. शादी में अच्छी दावत दी गई. इस तरह भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की प्रेम कहानी सफ़ल रही लेकिन आगे इनके जीवन में तब अंधकार छा गया जब वर्ष 2010 में पहले और 2013 में दुसरे बेटे का देहांत हो गया.
इससे पहले भी 1984 में इनकी 3 वर्षीय पुत्री का देहांत हो गया था.
वर्ष 2016 में द्रौपदी की प्रेम कहानी का दुखद अंत हुआ और उनके पति श्याम चरण मुर्मू का देहांत हो गया. इन सब घटनाओं के बाद द्रौपदी मुर्मू पुरी तरह टूट गई और अपने घर को स्कूल में तब्दील कर दिया. विद्यालय का नाम श्याम लक्ष्मण शिपुन उच्चतर विद्यालय नाम से रखा. इस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे और अध्यापक बताते हैं कि द्रौपदी मुर्मू अपने बेटों और पति की पुण्यतिथि पर यहां जरूर आती हैं.
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