अकबर और तानसेन का एक किस्सा बहुत प्रचलित है. जब संगीत के सम्राट तानसेन अकबर के दरबार में आलाप भरते तो पूरे दरबार का माहौल बदल जाता था. अकबर के नौ रत्नों में शामिल तानसेन जब अपने संगीत का जादू बिखेरते थे, तब मुगल बादशाह अकबर के साथ-साथ उनकी चापलूसी करने वाले दरबारी भी वाह-वाह करने लग जाते. अकबर को संदेह था कि वास्तव में इन दरबारियों को तानसेन का संगीत समझ में भी आता है या चापलूसी के चलते वाहवाही करते हैं. जब भी अकबर के मन में कोई सवाल आता तो वह बीरबल के साथ चर्चा करता. इस झूठी वाहवाही को पकड़ने के लिए भी अकबर ने बीरबल का सहारा लिया. बीरबल ने निकाला समाधान, अकबर था हैरान अकबर ने बीरबल से कहा कि इस दरबार में संगीत सम्राट तानसेन के संगीत पर पूरा दरबार मेरे साथ वाहवाही करता है. मुझे लगता है यह सब ढोंग कर रहे हैं. मुझे खुश करने के लिए वाहवाही कर रहे हैं. अकबर ने बीरबल को आदेश दिया कि कैसे भी करके इसकी सच्चाई का पता लगाया जाए. बीरबल ने अकबर को आश्वासन दिया कि बहुत जल्द इस मर्ज की दवा ढूंढ ली जाएगी. दूसरे ही दिन बीरबल ने अकबर की आज्ञा लेकर दरबार में संगीत का आयोजन करवाया. अकबर के जितने भी दर...
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