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पंचवटी (रामायण) || History Of Panchvati

पंचवटी रामायण कालीन वह स्थान है जहां पर भगवान श्री राम अपने भाई लक्ष्मण जी और माता सीता के साथ वनवास के दौरान काफी समय तक रुके थे. पंचवटी महाराष्ट्र के नासिक जिले में गोदावरी नदी के निकट स्थित एक बहुत ही प्राचीन और विश्व विख्यात पौराणिक स्थान है. जिसका सीधा सम्बन्ध रामायण से हैं. पंचवटी (Panchvati) वही स्थान है जहां पर लक्ष्मण जी ने शूर्पणखा के नाक और कान काटे थे. लंकापति रावण ने यहीं से माता सीता का हरण किया था. पंचवटी रामायण की वजह से प्रसिद्ध है. इस लेख में हम पंचवटी शब्द का अर्थ, पंचवटी के पांच पेड़, पंचवटी क्यों प्रसिद्ध है? के साथ-साथ पंचवटी से जुड़ी सभी घटनाओं के बारे में विस्तृत रूप में जानेंगे. पंचवटी शब्द का अर्थ पंच का अर्थ होता हैं “पांच” और वटी का अर्थ होता हैं ” वृक्ष” अतः “पंचवटी शब्द का अर्थ” हुआ पांच वृक्ष वाला स्थान. यहां पर पांच विशालकाय वृक्ष थे, इसलिए इस स्थान को पंचवटी के नाम से जाना जाता है. पंचवटी के पांच पेड़ पंचवटी के पांच पेड़ कौनसे थे? यह प्रश्न आज भी कई लोगों के मानस में रहता हैं. इस स्थान का नाम पंचवटी होने के की वजह भी य...

डिग्गी कल्याण जी इतिहास और कथा || History Diggi KalyanJi

डिग्गी कल्याण जी का इतिहास और कथा – डिग्गी कल्याण जी को श्री कल्याण मन्दिर के नाम से भी जाना जाता हैं. डिग्गी कल्याण जी का मंदिर डिग्गी नामक कस्बे में मालपुरा तहसील जो कि राजस्थान के टोंक जिले में स्थित हैं. डिग्गी कल्याण जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता हैं. डिग्गी कल्याण जी के मन्दिर का निर्माण आज से लगभग 5600 साल पहले वहां के राजा डिगवा ने करवाया था. डिग्गी कल्याण जी का इतिहास और कथा बहुत प्राचीन और पौराणिक हैं. टोंक जिले की मालपुरा तहसील के पास डिग्गीधाम राजस्थान में बहुत प्रसिद्ध है. यह श्री कल्याण जी का मंदिर है जो राजस्थान के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक हैं. श्री डिग्गी कल्याणजी मंदिर का निर्माण तो हजारों वर्ष पूर्व हो गया था लेकिन इस मंदिर का पुनर्निर्माण मेवाड़ के राजा महाराणा संग्राम सिंह अर्थात महाराणा सांगा द्वारा सन 1527 ईस्वी की जेष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन तिवारी ब्राह्मणों द्वारा हुआ था. डिग्गी कल्याण जी का इतिहास प्राचीन होने के साथ-साथ गौरवमयी भी है. डिग्गी कल्याण जी का इतिहास और कथा डिग्गी कल्याण जी अथवा डिग्गी पुरी का राजा कहें जाने वाले...

हिंदी भाषा का इतिहास || History Of Hindi Language

हमारा इतिहास हिंदी भाषा से हैं लेकिन हिंदी भाषा का इतिहास 1000 वर्षों से भी अधिक प्राचीन हैं. हिंदी का इतिहास और कालखंड अतिप्राचीन हैं. “ वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास ” नामक पुस्तक से ज्ञात होता है कि वैदिक काल में संपूर्ण विश्व में संस्कृत भाषा बोली जाती थी. यह देव भाषा भी थी. इसी संस्कृत भाषा से वर्तमान में प्रचलित समस्त भाषाओं का उद्भव और विकास हुआ जिनमें हिंदी भी एक है. हिंदी का इतिहास प्राचीन होने के साथ-साथ गौरवशाली भी है. हजारों वर्षों से हिंदी भाषा भारत और समीपवर्ती कई देशों की मुख्य भाषा के रूप में बोली जाती रही है. समय के साथ साथ इसका स्वरूप बदलता गया. वर्तमान समय में हिंदी भाषा बहुत तेजी के साथ विकास कर रही है. कई अंग्रेजी देशों में भी हिंदी भाषा को महत्व मिला है और इसे विभिन्न पाठ्यक्रमों में शामिल किया गया है. हिंदी का इतिहास और कालखंड के बारे में हम विस्तृत रूप से जानेंगे. हिंदी की उत्पत्ति कैसे हुई? हिंदी भाषा का इतिहास बताता है कि हिंदी की उत्पत्ति विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा संस्कृत से हुई है. वही “हिंदी शब्द” की उत्पत्ति सिंधु से हुई है. सि...

इतिहास की प्रमुख पुस्तकें || 15 Best History Books

प्रत्येक व्यक्ति को अपना गौरवशाली इतिहास जरूर जानना चाहिए ताकि हम अपनी संस्कृती, इतिहास, रहन सहन का तरीका और अपने पूर्वजों के बारे में जान सके. इतिहास को जानने का मुख्य स्त्रोत किताबे होती हैं लेकिन यह एक मुश्किल काम है कि वो कौनसी अच्छी किताबें हैं जो हमारे स्वर्णिम और गौरवशाली इतिहास की सही एवम् सटीक जानकारी प्रदान करती हैं. हिंदी में इतिहास की बेस्ट किताबें ढूंढना थोड़ा मुश्किल होता हैं अतः आपकी इस समस्या का समाधान करने के लिए हम उन ऐतिहासिक किताबों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो निश्चित तौर पर आपके लिए मील का पत्थर साबित होगी. “Best History Books” कि जिन महत्त्वपूर्ण किताबों के बारे में हम चर्चा करेंगे वो पाषाण काल से लेकर आधुनिक भारत का इतिहास बताती हैं. मानव उत्पति पर आधारित Best History Books मानव जीवन की उत्पति को लेकर तरह तरह के कयास लगाए जाते हैं लेकिन यदि आप मानव उत्पति पर आधारित इतिहास की प्रमुख पुस्तकों कि खोज में हैं तो आपको निम्नलिखित किताबों को जरूर पढ़ना चाहिए- [1] वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास “वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास” नामक पुस्तक ...

इतिहास का जनक || Who Is The Father Of History

यूनानी इतिहासकार हिरोडोटस को इतिहास का जनक कहा जाता हैं. इतिहास के जनक या इतिहास के पिता (Father of History) हिरोडोटस, इतिहासकार के साथ-साथ भूगोलवेत्ता भी थे. इन्हें हरिदत्त नाम से भी जाना जाता हैं. विश्व में सबसे पहले “हिस्ट्रीज” शब्द का प्रयोग इन्होंने ही किया था. इतिहास पर आधारित इनकी किताब “हिस्टोरिका” से इन्होंने इतिहास का लेखन शुरु किया था. सर्वप्रथम दुनिया को लिखित इतिहास के बारे में अवगत कराने वाले यूनानी लेखक हिरोडोटस को “Father of History” के नाम से विश्व में ख्याति प्राप्त हैं. इतिहास के जनक हिरोडोटस का परिचय (Father Of History) पूरा नाम हिरोडोटस या हेरोडोटस (Herodotus). जन्म वर्ष (Birth Year) 484 ईसा पूर्व. जन्म स्थान तुर्की मृत्यु वर्ष (Death Year) 425 ईसा पूर्व. मृत्यु स्थान इटली. माता का नाम लैक्सेस. पिता का नाम डर्यो. भाई का नाम थिओडोरस. मृत्यु के समय आयु 59 वर्ष. निवासी समोस (यूनान). पेशा इतिहासकार, लेखक और राजनीतिज्ञ. लिखित किताब हिस्टोरिका. ख्याति इतिहास के जनक (Father Of History). Who Is The Father Of History In Hindi जब यूनानी इत...