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फ़रवरी, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बिजोलिया किसान आंदोलन सामान्य ज्ञान || Bijoliya Kisan Aandolan GK

बिजोलिया किसान आंदोलन की शुरुआत राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र के बिजोलिया ठिकाने में वर्ष 1897 ईस्वी में हुई थी. राजस्थान से शुरू हुआ यह आंदोलन धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया. बिजोलिया किसान आंदोलन को इतिहास का सबसे लंबा अहिंसक किसान आंदोलन माना जाता है. वर्ष 1897 ईस्वी में शुरू हुआ यह आंदोलन वर्ष 1941 में समाप्त हुआ. बिजोलिया किसान आंदोलन से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न कई परीक्षाओं में पूछे जाते हैं. परीक्षा की दृष्टि से Bijoliya Kisan Aandolan GK के प्रश्न और उत्तर का समावेश किया गया हैं. REET EXAM क्या हैं? रीट की सम्पूर्ण जानकारी। बिजोलिया किसान आंदोलन के महत्वपूर्ण प्रश्न (Bijoliya Kisan Aandolan GK) बिजोलिया किसान आंदोलन के महत्वपूर्ण प्रश्न (Bijoliya Kisan Aandolan GK) – इस लेख में Bijoliya Kisan Aandolan GK से सम्बंधित 61 महत्वपूर्ण प्रश्नों और उनके उत्तर का समावेश किया गया हैं, जो निम्न हैं- [1] बिजोलिया किसान आंदोलन की शुरुआत कब हुई? उत्तर- बिजोलिया किसान आंदोलन की शुरुआत 1897 ईस्वी में मेवाड़ के बिजोलिया में हुई थी. [2] राजस्थान का पहला संगठित किसान आंदोलन कौन सा था? उत्...

बिजोलिया किसान आंदोलन || Bijolia Farmers Movement

बिजोलिया किसान आंदोलन की शुरुआत राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र के बिजोलिया ठिकाने में वर्ष 1897 ईस्वी में हुई थी. राजस्थान से शुरू हुआ यह आंदोलन धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया. बिजोलिया किसान आंदोलन को इतिहास का सबसे लंबा अहिंसक किसान आंदोलन माना जाता है. वर्ष 1897 ईस्वी में शुरू हुआ यह आंदोलन वर्ष 1941 में समाप्त हुआ. साधु सीताराम दास को बिजोलिया किसान आंदोलन का जनक माना जाता है. बिजोलिया का प्राचीन नाम विजयावल्ली था. बिजोलिया ऊपर माल जागीर के अंतर्गत आता था. इस जागीर को मेवाड़ के महाराणा सांगा ने खंडवा के युद्ध में विजय होने पर अशोक परमार नाम के व्यक्ति को इनाम के रूप में दिया था. बिजोलिया किसान आंदोलन में भाग लेने वाले ज्यादातर किसान धाकड़ जाति के थे. बिजोलिया राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में स्थित है जो किसान आंदोलन के लिए प्रसिद्ध है. बिजोलिया किसान आंदोलन के कारण बिजोलिया किसान आंदोलन 44 वर्षों तक चलने वाला अहिंसात्मक रूप से इतिहास का सबसे लंबा किसान आंदोलन माना जाता है. बिजोलिया आंदोलन की शुरुआत विभिन्न प्रकार के दमनकारी करों (Tax) की वजह से हुई थी. बिजोलिया किसान आंदोलन के मुख्य कारण ...

कालीबंगा सभ्यता || Kalibanga Civilization

कालीबंगा सभ्यता राजस्थान राज्य के हनुमानगढ़ जिले में घग्घर नदी के दाहिने तट पर स्थित है. कालीबंगा का अर्थ होता है काले रंग की चूड़ियां. यह चूड़ियां काले रंग के पत्थरों से बनी हुई थी. कालीबंगा सभ्यता से प्राप्त अवशेष प्राक् हड़प्पा और हड़प्पाकालीन संस्कृति से संबंधित है. कालीबंगा की सभ्यता उस समय चूड़ियों के लिए प्रसिद्ध थी. बी.बी. लाल एवं बी. के. थप्पड़ द्वारा वर्ष 1961-69 में यहां पर खुदाई करवाई गई थी. जिसमें प्राचीन कालीबंगा सभ्यता से संबंधित अनेक अवशेष प्राप्त हुए हैं. जिनके आधार पर कालीबंगा सभ्यता की विशेषता और समय काल का पता चलता है. कालीबंगा एक ऐतिहासिक स्थान है जहां पर प्राक हड़प्पा एवं हड़प्पा कालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं. कालीबंगा सभ्यता जिस स्थान पर मौजूद है वहां पर पहले सरस्वती नदी बहती थी जो कालांतर में सूख गई और अब उस स्थान पर घग्घर नामक नदी हैं. कालीबंगा सभ्यता परिचय कालीबंगा सभ्यता की प्राचीनता 4000 ईसा पूर्व. कालीबांगा सभ्यता की खोज इतालवी इंडोलॉजिस्ट और भाषाविद लुइगी पियो टेसिटोरी. कालीबंगा सभ्यता कहां है हनुमानगढ़ जिले में. किस नदी के तट पर सरस्वती और दृषद्...

राजस्थान एकीकरण का प्रथम चरण

राजस्थान एकीकरण का प्रथम चरण 18 मार्च 1948 को पुरा हुआ था. वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता के उपरांत कई देशी रियासतों का भारत में विलय किया गया, जिसमें राजस्थान की भी कई विरासतें शामिल थी. राजस्थान एकीकरण का प्रथम चरण थोड़ा मुश्किल था. जब भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 की धारा 8 के अनुसार देशी रियासतों से ब्रिटिश सरकार का अधिकार खत्म हो गया तो उनके पास 2 ऑप्शन थे. सभी देशी रियासतें स्वतंत्र रूप से यह अधिकार रखती थी कि वह अपनी इच्छा अनुसार भारत या पाकिस्तान में शामिल हो सकती है. ऐसे समय में भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी इन रियासतों का भारत में विलय. विभिन्न रियासतों के एकीकरण की जिम्मेदारी सरदार वल्लभभाई पटेल को सौंपी गई. सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में एक रियासती विभाग का गठन किया गया और वी. पी. मेनन को उसका सचिव नियुक्त किया गया. राजस्थान एकीकरण का प्रथम चरण इतना आसान नहीं था. राजस्थान एकीकरण का प्रथम चरण और भारत सरकार पहला चरण 18 मार्च 1948 को नाम मत्स्य संघ शामिल रियासतें अलवर, भरतपुर, करौली और धौलपुर ठिकाना नीमराणा (अलवर) राजधानी अलवर उद्घाटन लौहागढ़ दुर्ग (भरतपुर) उद्घाटनक...

तेरहताली नृत्य || Terahtali Nritya

तेरहताली नृत्य राजस्थान का प्रसिद्ध और विश्वविख्यात नृत्य है. राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत और लोक कला अद्भुत है. राजस्थान का विश्व प्रसिद्ध तेरहताली नृत्य कामड़ जाति द्वारा किया जाता है. इस नृत्य का उद्भव पाली जिले (पादरला गांव) में हुआ था. तेरहताली नृत्य औरतें करती हैं लेकिन पुरुष पीछे बैठकर लोक देवता बाबा रामदेव और हिंगलाज माता के भजन गाते हैं. तेरहताली नृत्य के दौरान पुरुषों के द्वारा भजनों के साथ साथ वाद्य यंत्र भी बजाए जाते हैं. तेरहताली नृत्य कैसे किया जाता है? तेरहताली क्या हैं- राजस्थानी लोकनृत्य. तेरहताली नृत्य कहाँ का हैं- पाली, राजस्थान. तेरहताली किस लोकदेवता से सम्बंधित हैं- बाबा रामदेवजी. तेरहताली नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यांगना- मांगीबाई. मांगीबाई का जन्म कहाँ हुआ- बनिला गाँव (चित्तौड़गढ़). ( Terahtali Nritya ) तेरहताली नृत्य कैसे किया जाता हैं यह हम निम्नलिखित तेरहताली नृत्य की विशेषताओं से समझ सकते हैं- [1]. तेरहताली नृत्य के लिए राजस्थान के पाली ज़िले का पादरला गांव मुख्य हैं. इस गांव में रहने वाली कामड़ जाति की महिलाओं द्वारा सामूहिक रूप से यह नृत्य किया जाता है. [2]....

हिस्ट्री की तैयारी || History Preparation Tips

हिस्ट्री की तैयारी करना बहुत आसान है बशर्तें इसको पढ़ने और याद करने का तरीका आपको सही आता हो. इतिहास विषय में हजारों वर्षों के कालक्रम और घटनाओं को याद रखना थोड़ा मुश्किल होता हैं. विद्यार्थी या इतिहास में रुचि रखने वाले लोगों के लिए यह एक बहुत ही दिलचस्प विषय हैं. विभिन्न परीक्षाओं के लिहाज से जो इतिहास पढ़ना चाहते हैं या हिस्ट्री की तैयारी करना चाहते हैं उन्हें कुछ ऐसे ट्रिक्स पता होना चाहिए जिससे हिस्ट्री की तैयारी करने में आसानी रहे. हिस्ट्री की तैयारी करना ज्यादातर लोगों के लिए कठिन होता हैं क्योंकि वो इसे रटकर याद करने की कोशिश करते हैं. इतिहास बहुत बड़ा विषय हैं जिसके कारण इसका रट कर याद करना मुश्किल है. सही तरीके से हिस्ट्री की तैयारी करके और पढ़कर इसको आसान बनाया जा सकता हैं. इस लेख में हम “हिस्ट्री की तैयारी कैसे करें” टॉपिक को पढ़ेंगे ताकि विद्यार्थीयों के लिए इतिहास की तैयारी करना आसान हो जाए. हिस्ट्री की तैयारी या हिस्ट्री एग्जाम की तैयारी (History preparation tips) Exams की दृष्टि से हिस्ट्री की तैयारी करने की कला बहुत महत्त्वपूर्ण है ताकि सामान्य रूप से इतिहा...

छत्रपति शिवाजी महाराज की पत्नियां

छत्रपति शिवाजी महाराज की कुल 8 पत्नियां थी. इनका जन्म 19 फरवरी 1630 ईस्वी में शिवनेरी किले में हुआ. प्रतिवर्ष 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती मनाई जाती हैं. अपनी अद्भुद संगठन क्षमता और बहादुरी के किस्से विश्व प्रसिद्ध हैं लेकिन इस लेख में हम शिवाजी महाराज की पत्नियों के बारे में पढ़ेंगे. शिवाजी महाराज ने 8 शादियां कि थी. छत्रपति शिवाजी महाराज की पत्नियां मराठा साम्राज्य का इतिहास बताता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने 8 शादियां कि थी. क्रमशः छत्रपति शिवाजी महाराज की 8 पत्नियों की लिस्ट (1) सईबाई निंबालकर (शिवाजी महाराज की पहली पत्नी). (2) सोयराबाई मोहिते (शिवाजी महाराज की दूसरी पत्नी). (3) पुतलाबाई भोंसले (शिवाजी महाराज की तीसरी पत्नी). (4) सकवरबाई गायकवाड़ (शिवाजी महाराज की चौथी पत्नी). (5) सगुणाबाई शिर्के (शिवाजी महाराज की पांचवीं पत्नी). (6) काशीबाई जाधव (शिवाजी महाराज की छठी पत्नी). (7) लक्ष्मीबाई विचारे (शिवाजी महाराज की सातवीं पत्नी). (8) गुणवती बाई (शिवाजी महाराज की आठवीं पत्नी). छत्रपति शिवाजी महाराज की पत्नियों का संक्षिप्त परिचय 1. सईबाई निंबालकर (Saibai Nimbalka...

छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती 2025

छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में हुआ था. प्रतिवर्ष 19 फरवरी को  छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती  मनाई जाती हैं. वर्ष 2025 में 19 फरवरी बुधवार के दिन छत्रपति शिवाजी महाराज की 395 वीं जयंती मनाई जाएगी. छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती मराठा साम्राज्य में वर्ष 1630 ईस्वी में 19 फरवरी के दिन शिवनेरी किले में महान मराठा शासक और हिन्दू ह्रदय सम्राट शिवाजी महाराज का जन्म हुआ था. शिवाजी का असली नाम शिवाजी राजे भोंसले था. वर्ष 1674 ईस्वी में मराठा साम्राज्य का शासक बनने के बाद इन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से जाना जाने लगा. छत्रपति एक उपाधि हैं. छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्म दिवस को ही छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती के रूप में पूरे भारत में मनाया जाता हैं. महाराष्ट्र में शिवाजी जयंती का विशेष महत्व है. इतिहास उठाकर देखा जाए तो शिवाजी महाराज ना तो कभी मुगलों के सामने झुके और ना ही अंग्रेजों के सामने झुके. छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती कहां मनाई जाती हैं? छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती महाराष्ट्र में बहुत ही धूमधाम और पारंपरिक तरीके से मनाई जाती हैं. छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती के दि...