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शिक्षा विभाग राजस्थान कैलेंडर और छुट्टियाँ (Rajasthan Shivira Panchang 2024-25)

शिक्षा विभाग राजस्थान कैलेंडर और छुट्टियाँ (शिविरा पंचांग 2024-25):- राजस्थान शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए शिविरा पंचांग जारी किया हैं. शिक्षा विभाग राजस्थान कैलेंडर इस वर्ष होने वाले सभी शैक्षणिक कार्यक्रमों का प्रारूप हैं. इस सत्र में राजस्थान के स्कूलों में 130 दिन की छुट्टियाँ रहेगी. अक्टूबर और नवंबर माह में सर्वाधिक अवकाश रहेंगे. शैक्षणिक वर्ष 26 जून से शुरू होकर 31 मई 2025 को समाप्त होगा. परीक्षा, टेस्ट और अवकाश की तिथि निर्धारित हैं. शिविरा पंचांग के अनुसार नए शिक्षा सत्र में 235 दिन स्कूल चलेंगे. इस लेख में क्या हैं? शिक्षा विभाग राजस्थान कैलेंडर. शैक्षणिक सत्र 2024-25 में छुट्टियाँ. शैक्षणिक सत्र 2024-25 में शामिल नए कोर्स. महीने वार छुट्टियाँ. खेलकूद प्रतियोगिताओं का कार्यक्रम. शैक्षिक सम्मलेन. शिक्षा विभाग राजस्थान कैलेंडर के अनुसार छुट्टियाँ नए शिक्षा सत्र 2024-25 में राजस्थान शिक्षा विभाग द्वारा जारी शिविरा पंचांग के अनुसार सालभर में 130 दिनों की छुट्टियाँ रहेगी. यहाँ हम आपको Month Wise शैक्षणिक विभाग की छुट्टियों और कैलेंडर की जानकारी दे रहे हैं- [1] जुला...

राजा जनक की कहानी कथा और इतिहास

राजा जनक भारतवर्ष के महान राजा थे. न्यायप्रियता, धार्मिकता और जीवों पर दया इनके आभूषण थे. उत्तरी भारत के मिथिला राज्य पर राजा जनक का शासन था. इसे विदेह राज्य के नाम से भी जाना जाता हैं. जनक के राज्य मिथिला का उल्लेख हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अतिरिक्त जैन और बौद्ध धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता हैं. इस लेख में हम राजा जनक की कहानी, राजा जनक की कथा और इतिहास के बारे में जानेंगे। राजा जनक का जीवन परिचय राजा जनक का जीवन परिचय निन्मलिखित हैं- परिचय बिंदु परिचय नाम राजा जनक. मुख्य नाम सिरध्वज. अन्य नाम विदेह. पिता का नाम निमी. पत्नी का नाम सुनैना. किस युग में जन्म हुआ त्रेता युग ( रामायण काल ). वंश/गौत्र मिथिला वंश/निमी. भाई-बहिन कुशध्वज (छोटा भाई). संतान सीता/उर्मिला. पुत्री सीता का विवाह भगवान श्रीराम के साथ. पौराणिक मान्यता के अनुसार इक्ष्वाकु वंश के राजा निमी ने विदेह नामक राज्य की स्थापना की थी, जिसकी राजधानी मिथिला थी. मिथिला में जनक नामक राजा हुए जिन्होंने जनक नामक राज्य की स्थपना की.आगे चलकर इनका राजवंश ही जनक राजवंश के नाम से जाना जाने लगा. जनक के पुत्र का नाम उदावयु था ,जनक के पौत्...

Top 50 Facts About Human Body

Top 50 Facts About Human Body: मानव शरीर का निर्माण एक बहुत जटिल संरचना हैं. यह एक मशीन की तरह काम करता हैं. बाहर से बिल्कुल साधारण सा दिखने वाले शरीर के बारे में “Top 50 Facts About Human Body” जानेंगे तो आपको आश्चर्य होगा। हमारी बॉडी के बारे में आज भी कई रहस्य हैं जिन्हें हम में से अधिकतर लोग नहीं जानते हैं. इस लेख में आप “Top 50 Facts About Human Body” के बारे में जानेंगे. Top 50 Facts About Human Body मानव शरीर के बारे में 50 फैक्ट्स ( Top 50 Facts About Human Body ) निम्नलिखित हैं- [1] मानव शरीर में 206 हड्डियाँ होती हैं. [2] हमारे शरीर में लगभग 640 से ज्यादा मांसपेशियाँ होती हैं जो शरीर को आपसे जोड़े हुए रखती हैं. [3] हमारा दिल एक शक्तिशाली मस्तिष्क की तरह काम करता है और लगभग 72 बार प्रति मिनट धड़कता है. [4] मानव शरीर में विशेष रंग वाली रक्त कोशिकाएं होती हैं जिसे “रक्त थाली” कहा जाता है. इन कोशिकाओं की वजह से ही हमारी त्वचा का रंग निर्धारित होता है. [5] मानव शरीर में लगभग 2 करोड़ से भी अधिक “स्टेम सेल्स” होती हैं, जो रोगों के इला...

वीर सावरकर की माफी का सच

वीर सावरकर की माफी का सच जानने से पहले आपको बता दें कि वीर सावरकर एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे. सावरकर ऐसे महान देशभक्त थे जिन्होंने भारत माता की स्तुति में 6000 कविताएँ जेल की दीवारों पर लिख दी थी. वीर सावरकर एक ऐसे क्रांतिवीर हुए हैं जिनकों अंग्रेजी हुकूमत ने 50 साल की कठोर काला पानी की सजा सुनाई और अंडमान निकोबार की जेल में डाल दिया। इतिहासकार तो नहीं लेकिन राजनेता सावरकर के लिए एक जुठ का प्रचार करते हैं कि उन्होंने अंग्रेजों से माफ़ी माँगी थी! लेकिन यह सत्य नहीं हैं. वीर सावरकर एक बात हमेशा कहते थे “माता भूमि पुत्रो अहम् पृथिव्याः” जिसका अर्थ हैं “यह भारत भूमि ही मेरी माता हैं और मैं इसका पुत्र हूँ”. ऐसी सोच रखने वाले महापुरुषों के लिए मातृभूमि से बड़ा कोई नहीं हो सकता हैं. वीर सावरकर की माफी का सच इस लेख में पूरी जानकारी के साथ जानेंगे ताकि आपका यह सवाल हमेशा के लिए ख़त्म हो जाए कि वीर सावरकर ने माफी मांगी थी या नहीं? वीर सावरकर की माफी का सच आपको तार्किक रूप से बताते हैं कि वीर सावरकर की माफी का सच क्या था? क्या सच में सावरकर ने माफी मांगी या अन्य किसी घटन...

भगवान जगन्नाथ जी के हाथ क्यों नहीं है

भगवान जगन्नाथ जी के हाथ क्यों नहीं है:- उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ का भव्य और प्राचीन मंदिर बना हुआ हैं. इस मंदिर के कई रहस्य हैं, जो अभी तक अनसुलझे हैं. एक और बात जो हम आपको इस लेख के द्वारा बताने जा रहे हैं की भगवान जगन्नाथ जी के हाथ क्यों नहीं है? जगन्नाथ पूरी मंदिर में तीन मूर्तियाँ हैं जिनमें एक भगवान जगन्नाथ जी की, उनके भाई बलभद्र जी और उनकी बहिन सुभद्रा जी की हैं, लेकिन तीनों ही मूर्तियों के हाथ नहीं हैं. क्या आप जानते हैं कि भगवान जगन्नाथ जी के हाथ क्यों नहीं है? अगर नहीं तो इस लेख को पूरा पढ़ें। भगवान जगन्नाथ जी के हाथ क्यों नहीं है : पढ़ें कहानी भगवान जगन्नाथ जी की मूर्ति के हाथ नहीं हैं इसके पीछे एक पौराणिक कहानी हैं. यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता हैं लेकिन एकदम सत्य भी हैं की भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहिन सुभद्रा जी की मूर्तियों में किसी के भी हाथ,पैर और पंजे नहीं हैं. प्राचीनकाल में जब विश्वकर्मा इन मूर्तियों का निर्माण कर रहे थे तो उन्होंने एक शर्त रखी जब तक मूर्ति का काम पूरा नहीं हो जाता कोई अंदर नहीं आएगा। कुछ दिन तक तो मंदिर के अंदर से मूर्ति निर्माण की आवाजे...

जगन्नाथ पुरी मंदिर की परछाई क्यों नहीं बनती है, क्या हैं 10 रहस्य

जगन्नाथ पुरी मंदिर की परछाई क्यों नहीं बनती है:- जगन्नाथ पुरी मंदिर की परछाई आज भी एक बहुत बड़ा रहस्य बना हुआ हैं कि आखिर क्या वजह की इसकी परछाई नहीं बनती हैं. वैज्ञानिकों के लिए भी यह शोध का विषय रहा हैं लेकिन आज तक इस बात का कोई पता नहीं लगा पाया हैं. ताजमहल जैसे ढाँचे को अगर हम दुनियाँ का अजूबा कह सकते हैं तो फिर जगन्नाथ पुरी मंदिर के बारे में आप क्या कहेंगे? यहाँ एक नहीं कई ऐसे रहस्य हैं जिनका अभी तक कोई पता नहीं लगा सका हैं. खेर इतिहासकारों की संकीर्ण मानसिकता की वजह से भारत के कई नामी और रहस्यमयी मंदिर उनको अजूबा नहीं लग कर एक संगमरमर का महल अजूबा हो गया. इस लेख में हम जगन्नाथ पुरी मंदिर के कई रहस्यों के बारें में चर्चा करेंगे और साथ ही यह भी जानेंगे कि “ जगन्नाथ पुरी मंदिर की परछाई क्यों नहीं बनती है “ जगन्नाथ पुरी मंदिर की परछाई क्यों नहीं बनती है जगन्नाथ पुरी मंदिर सनातन धर्म के चार धाम में से एक हैं. यहाँ पर भगवान श्रीकृष्ण साक्षात् विराजमान हैं. यही वजह हैं कि जगन्नाथ मंदिर में कई रहस्य देखने को मिलते हैं. जगन्नाथ पुरी मंदिर की परछाई क्यों नहीं बनती है इसके पीछे भ...

ओलंपिक में घुड़सवारी का इतिहास और नियम

ओलंपिक में घुड़सवारी का इतिहास:- ओलंपिक में घुड़सवारी का इतिहास बहुत प्राचीन हैं, हजारों वर्ष पूर्व जब से इंसानों ने घोड़ों को पालना शुरू किया तब से इनका और इंसानों का रिश्ता बहुत गहरा रहा हैं. धीरे-धीरे घुड़सवारी ने खेल का रूप ले लिया. घुड़सवारी ( Equestrian ) का मानव सभ्यता के साथ-साथ विकास हुआ हैं. घुड़सवारी (Equestrian) का इतिहास ग्रीस नामक देश से जुड़ा हुआ हैं. 680 ईशा पूर्व रथ दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन होता था उसका ही रूप हैं घुड़सवारी (Equestrian). ओलंपिक में घुड़सवारी के नियम अंतर्राष्ट्रीय घुड़सवारी संघ (FEI) द्वारा निर्धारित किए जाते हैं. एक खेल के रूप में घुड़सवारी (Equestrian) का इतिहास और विकास क्रमिक हुआ हैं. इस लेख में हम ओलंपिक में घुड़सवारी का इतिहास, प्रमुख घटनाएं, खिलाड़ी, और इसका महत्त्व जानेंगे. घुड़सवारी क्या हैं? घुड़सवारी (Equestrian) एक खेल हैं जिसमें घुड़सवार एक घोड़े पर सवार होकर यह खेल खेलता हैं और अपने हुनर व योग्यता का प्रदर्शन करता हैं. सीधे शब्दों में देखा जाए तो घोड़े की सवारी करना घुड़सवारी (Equestrian) कहलाता हैं. लेकिन धीरे-धीरे इसने खेल का रूप ले लिया और वर...

खाटू श्याम का इतिहास कहानी कथा

खाटू श्याम मंदिर सीकर (राजस्थान) में स्थित हैं. खाटू श्याम का इतिहास बहुत प्राचीन हैं. आज से लगभग 1000 वर्ष पूर्व में इस मंदिर का निर्माण हुआ था. सीकर जिला मुख्यालय से 43 किलोमीटर दूर खाटू नामक गाँव में बाबा खाटू श्याम का प्राचीन मंदिर हैं. इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण और बर्बरीक की पूजा होती हैं. खाटू श्याम में बर्बरीक का सिर हैं जिसे बर्बरीक ने भगवान कृष्ण के कहने पर दान कर दिया था. कलयुग में खाटू श्याम को श्री कृष्ण का अवतार माना जाता हैं. खाटू श्याम को हारे का सहारा कहा जाता हैं क्योंकि जिसकी मनोकामना कहीं पूरी नहीं होती उसको श्याम बाबा पूरी करते हैं. इस लेख में हम आपको खाटू श्याम का इतिहास , कहानी, कथा और खाटू श्याम मंदिर कहाँ स्थित हैं कि पूरी जानकारी देंगे. खाटू श्याम का इतिहास (History Of Khatu Shyam) परिचय बिंदु परिचय नाम बाबा खाटू श्याम जी अन्य नाम हारे का सहारा किसका अवतार हैं भगवान श्री कृष्ण पिता का नाम घटोत्कच माता का नाम मोरवी काल महाभारत कालीन History Of Khatu Shyam Ji खाटू श्याम का इतिहास महाभारत काल से हैं. ये पाण्डु पुत्र भीम के पौत्र थे जिनसे खुश होकर भगवान श्र...