मुराद मिर्जा कौन था || History Of Murad Mirza
मुराद मिर्जा मुगल शासक अकबर का पुत्र था. इनका जन्म साल 1570 में फतेहपुर सीकरी में हुआ था. फतेहपुर की पहाड़ियों में जन्में मुराद को “पहाड़ी” कह कर भी पुकारा जाता हैं. इनको जन्म देने वाली माता अलग थी जबकि इनका पालन-पोषण करने वाली माता अलग थी. मुग़ल राजकुमार अकबर के छोटे और जीवित पुत्र थे.
मुराद मिर्जा को पुर्तगाली और ईसाई धर्म के मुल समझाने के लिए अकबर ने दूसरे देश से शिक्षाविद बुलाए.
मुराद मिर्जा का जीवन परिचय
परिचय बिंदु | परिचय |
नाम | मुराद मिर्जा |
जन्म | 15 जून 1570 |
जन्म स्थान | फतेहपुर सीकरी |
पिता का नाम | मुगल शासक अकबर |
माता का नाम (Murad Mirza Mother) | मरियम-उज-जमानी |
मृत्यु | 12 मई 1599 |
साम्राज्य | मुगल |
मुराद मिर्जा का इतिहास देखा जाए तो यह दारा शिकोह की पत्नी नादिरा-बानो-बेगम के नाना और मुग़ल शासक अकबर के पुत्र थे. अकबर उसकी बेगम मरियम-उज-जमानी से बहुत प्रेम करता था. इन्होंने मुराद मिर्ज़ा को जन्म दिया. लेकिन शुरू-शुरू में अकबर के लाडले Murad Mirza का पालन-पोषण उनकी तीसरी पत्नी सलीमा सुल्तान बेगम द्वारा किया गया.
जब सलीमा बेगम हज यात्रा चली गई तब मात्र 7 वर्ष की आयु में साल 1575 में मुराद मिर्जा उनकी माता मरियम-उज-जमानी के पास लौट आए. मुराद को शिक्षा देने का काम अकबर के नौ रत्नों में शामिल “अबुल फ़जल” की देख रेख में हुआ था.
जब मुराद की आयु 7 साल थी तब उनको पहली बार मनसब बनाया गया. इस समय इनको 7000 सैनिकों की टुकड़ी दी गई लेकिन जब इनकी आयु 14 वर्ष हो गई तब सैनिकों की संख्या बढाकर 9000 कर दी गई. मुराद मिर्जा शराब के आदि थे. साल 1593 में इनके अधीन “दक्कन” की सेना आ गई.
अकबर के शराबी पुत्र मुराद मिर्जा को इस गन्दी आदत की वजह से सेना के मुख्य पद से हटा दिया गया और उनकी जगह सेना की कमान अकबर के नवरत्नों में शामिल अबुल फजल को सौंप दी गई.
मुराद मिर्जा का परिवार
अकबर के तीसरे पुत्र मुराद मिर्जा की दो पत्नियाँ थी जिनका नाम हबीबा बानू बेगम (मिर्जा अजीज कोका की पुत्री) और बहादुर खान की बेटी. 17 वर्ष की आयु में मुराद मिर्जा का विवाह 15 मई 1587 के दिन हबीबा बानू से हुआ था. हबीबा बानू और Murad Mirza ने 27 अगस्त 1588 के दिन एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम रुस्तम रखा गया.
इनके दूसरे पुत्र का नाम सुल्तान आलम मिर्ज़ा था जिसकी मृत्यु बाल्यावस्था में ही हो गई. इनकी इकलौती बेटी का नाम जहां बानू बेगम था.
मुराद को सेना की कमान
जैसा की आपने ऊपर पढ़ा मात्र 7 साल की आयु में उनको मनसब बनाया गया और 7000 सैनिक उनकी सेना में थे. लगभग 1584 ईस्वी में उनकी सेना में सैनिकों की संख्या 9000 हो गई. साल 1593 आते-आते इनको दक्कन की कमान दी गई लेकिन अधिक शराब पिने की लत होने के कारण ये सेना को सही तरीके से संभाल नहीं पा रहे थे.
उनकी इस आदत की वजह से उनको सेनापति के पद से हटा दिया गया और उनकी जगह अकबर के दरबारी और नौ रत्नों में शामिल अबुल फजल को सेना की कमान सौपीं गई.
इससे पहले अकबर का पुत्र मुराद मिर्जा कई महत्वपूर्ण पदों पर रहा जिसमें दक्षिण में अहमदनगर सल्तनत से बरार प्रान्त को जीता और अपने साम्राज्य में शामिल किया.
मुराद मिर्जा की मृत्यु कैसे हुई?
साल 1597 में अहमद नगर में Murad Mirza का एक अभियान असफल रहा और इस दौरान उनके पुत्र रुस्तम की मृत्यु से वह एक दम टूट गए. पुत्र वियोग में वह अधिक शराब का सेवन करने लगा. धीरे-धीरे उनका शरीर कमजोर होने लगा.
मिर्गी और अपच जैसी बिमारियों ने जन्म लिया जिसके परिणाम स्वरुप मात्र 28 साल की उम्र में 12 मई 1599 को मुराद मिर्जा की मृत्यु हो गई. 6 मई को इनको दिल का दौरा पड़ा था. लगभग 6 दिन तक वह कौमा में रहे या बेहोश रहे उसके बाद उन्होंने दम तोड़ दिया. इस तरह अकबर के बेटे मुराद की मृत्यु हुई.
अकबर के बेटे मुराद मिर्जा की मृत्यु का मुख्य कारण शराब और पुत्र की मृत्यु का शौक था.
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