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मद्रास शहर के नामकरण के पीछे की यह हैं, असली कहानी

प्राचीन मद्रास शहर अब चेन्नई के नाम से जाना जाता हैं, किसी समय पर यह मद्रासपट्टनम के नाम से भी जाना जाता था. मद्रासपट्टनम एक छोटा सा गाँव था जिसे संक्षिप्त रूप से मद्रास कहा जाता था. यहाँ के निवासियों का मुख्य काम मछली पालन था. साल 1996 में तमिलनाडु सरकार ने इसका नाम मद्रास से बदलकर चेन्नई कर दिया लेकिन क्या आप यह जानते हैं की मद्रास शहर का नामकरण कैसे हुआ?

मद्रास शहर के नामकरण की असली वजह

मद्रास शहर जिसे अब चेन्नई के नाम से जाना हैं यहाँ किसी समय चोल राजवंश का शासन हुआ करता था. पूर्व सागर का नाम इसी राजवंश के नाम पर चोलमण्डल पड़ा. जब भारत में अंग्रेजी हुकूमत आई तब इसका नाम बिगाड़कर चोलमण्डल से कोरोमंडल पड़ा. यहाँ एक वेद विद्यालय था जहाँ पर अरब देशों के लोग घूमने आते थे और भारत के इस वेद विद्यालय के समीप रुकते थे.

यहाँ पर ये लोग (अरबी पर्यटक) इस स्थान को मदरसा (क्योंकि यहाँ पर वेद पढ़ाए जाते थे) के नाम से पुकारने लगे. यहाँ पर समुद्री तट होने की वजह से कई व्यापारी, विद्यार्थी और पर्यटक आते-जाते रहते थे. धीरे-धीरे इस्लामी भाषा में यह स्थान मदरसा के नाम से जाना जाने लगा.

समय से साथ इस मदरसा शब्द में त्रुटि हुई और यह स्थान मद्रास कहलाने लगा. यह जानकारी कई इतिहासकारों की जानकारी में नहीं हैं या फिर वो जानबूझकर बताते नहीं हैं.

यही मद्रास शहर के नामकरण की असली वजह या कहानी हैं जिसे अलग-अलग इतिहासकार अपने-अपने अनुसार व्याख्या करते हैं.

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