महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई?

आज भी कई लोगों के मन में यह सवाल है कि आखिर महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई? क्या महाराणा प्रताप की मृत्यु सामान्य रूप से हुई या किसी लंबी बीमारी के चलते महाराणा प्रताप की मृत्यु हुई, इस सब सवालों का जवाब आपको इस लेख में मिलेगा।

साथ ही आप यह भी जान पायेंगे कि जब महाराणा प्रताप की मृत्यु का समाचार अकबर ने सुना तो उसकी क्या प्रतिक्रिया रही। जब महाराणा प्रताप की मृत्यु का समाचार अकबर ने सुना तो वह स्तब्ध रह गया। हल्दीघाटी के मैदान में महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बिच एक भीषण युद्ध हुआ था जिसमें महाराणा प्रताप ने मुग़ल सेना को धूल चटा दी थी। हाल ही में महाराणा प्रताप की जीत के प्रमाण भी प्राप्त हुए हैं।

महाराणा प्रताप की पहली पत्नी महारानी अजबदे पंवार का इतिहास और प्रेम कहानी।

महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई?

महाराणा प्रताप की मृत्यु 19 जनवरी 1597 में हुई थी।

महाराणा प्रताप की मृत्यु किस बीमारी की वजह से हुई या महाराणा प्रताप कि मृत्यु की क्या वजह रही तो लेखक भूरसिंह जी शेखावत द्वारा लिखित “महाराणा यश प्रकाश” नामक किताब को पढ़ना चाहिए जिसमें साफ़ लिखा हुआ है कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप मुगलों के खिलाफ़ लड़कर कभी घायल नहीं हुए, अपनी तलवार, तीर और भाले के दम पर दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले महाराणा कमान खींचकर घायल हो गए और इसने उनकी जान ले ली।

भावार्थ रुप में देखा जाए तो महाराणा प्रताप जब शेर का शिकार करने के लिए कमान को जोर से खींचा तो वह सीधा उनके पेट पर जा लगा। यह चोट इतनी तेज थी कि महाराणा प्रताप घायल हो गए और अंततः यही आगे चलकर उनकी मौत का कारण बना। अपनी ज़िंदगी के आख़िरी लम्हे महाराणा प्रताप ने चावंड (उदयपुर, राजस्थान) नामक गांव में बिताया। जिस दिन महाराणा प्रताप की मृत्यु हुई, उस दिन सुबह से ही वह बहुत उदास और चिंतित लग रहे थे।

शायद उनका मन कहीं अटका हुआ था। महाराणा प्रताप ने उन सभी लोगों को पास में बुलाया जो उनके बहुत करीबी थे जिनमें उनका पुत्र अमर सिंह और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मंत्री और सामंत मौजुद थे जिन्होंने हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप का साथ दिया था।

तभी हिम्मत करके सलूंबर के सामंत चुंडावत जी ने महाराणा प्रताप से उनके दुःखी होने का कारण पूछा। वहां पर मौजूद सभी लोग महाराणा प्रताप की ओर देखने लगे। महाराणा प्रताप कुछ बोलते उससे पहले ही सामंत ने महाराणा से पूछा कि क्या कारण कि आपके शरीर और प्राणों में भयंकर युद्ध हो रहा हैं फिर भी आपके प्राण शरीर को छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

प्रश्न बहुत जटिल था इस पर महाराणा मंद मंद मुस्कुराने लगे हालांकि चिंता की लकीरें उनके चेहरे पर साफ दिख रही थी,और यह चिंता थी मेवाड़ के गौरव की रक्षा करना।क्योंकि महाराणा प्रताप को लगता था कि उनके पुत्र महाराणा अमर सिंह थोड़े कमज़ोर और आरामपसंद व्यक्ती हैं।

आगे महाराणा प्रताप ने कहा कि मेवाड़ के सभी मुख्य सामंत और मंत्री यहां पर मौजुद है अगर आप मुझे यह आश्वासन दो कि मेरी मृत्यु के पश्चात आप मेवाड़ की आन बान और शान की रक्षा के लिए तत्पर रहेंगे एवं इसके गौरव की रक्षा करेंगे।

एक राजा का इससे बड़ा देश प्रेम क्या हो सकता हैं। महाराणा प्रताप की बात सुनकर सभी सामंत उठ खड़े हुए और एक साथ सभी ने मेवाड़ के प्रथम राजा बप्पा रावल (कालभोज) की शपथ लेकर महाराणा को आश्वासन दिया कि हमारे प्राण चले जाए लेकीन मेवाड़ की शान और इसके गौरव की रक्षा के लिए हम हर समय अपना शीश कटाने के लिए तैयार रहेंगे। यह बात सुनकर महाराणा प्रताप का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। उन्होंने मुस्कुराते हुए 19 जनवरी 1597 के दिन अन्तिम सास ली।

महाराणा प्रताप की मृत्यु का समाचार सुनकर अकबर की प्रतिक्रिया

महाराणा प्रताप की मृत्यु वाला दिन इतिहास का बहुत बड़ा दिन माना जाता हैं। ना सिर्फ मेवाड़ ने बल्की भारत ने भी एक वीर योद्धा को खो दिया।

महाराणा प्रताप की मृत्यु की खबर जब अकबर के पास पहुंची तो वह सुनकर स्तब्ध रह गया। कवि दुरसा आढ़ा जो कि मुग़ल दरबार में कवि थे साथ ही महाराणा प्रताप की मृत्यु की खबर जब अकबर के पास पहुंची तब भी वहां मौजूद थे। कवि दुरसा आढ़ा लिखने हैं कि ना सिर्फ अकबर बल्कि पूरा दरबार शौकाकुल हो उठा।

यह खबर सुनकर अकबर दांतों तले उंगलियां दबाने लगा। साथ ही यह भी कहा जाता हैं कि अकबर रोने लग गया था।

अकबर को जीवन भर इस बात का मलाल रहा कि वह महाराणा प्रताप को कभी पराजित नहीं कर पाया। महाराणा प्रताप के स्वाभिमान के प्रति अथाह सम्मान भी था इसकी मुख्य वजह यह थी कि भारत के कई विशाल साम्राज्य वाले राजा महाराजाओं ने अकबर की अधिनता स्वीकार कर ली जबकि एक छोटे से राज्य मेवाड़ का राजा ना किसी के सामने झुका और ना ही मेवाड़ के गौरव को क्षति पहुंचाने दी।

मेवाड़ के गौरव और शान के लिए महाराणा प्रताप ने महल छोड़कर कष्ट भरा जीवन यापन किया।

यह भी पढ़ें-

बप्पा रावल का इतिहास।

महाराणा प्रताप की जीत के प्रमाण।

महाराणा प्रताप के जीवन से क्या सिख मिलती हैं ?

महाराणा प्रताप और मीराबाई का रिश्ता ?

Blogger द्वारा संचालित.