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पृथ्वीराज चौहान के काका कन्ह का इतिहास || History Of Kaka kanha

पृथ्वीराज चौहान के काका का नाम कन्ह था। काका कन्ह को गुस्सा बहुत आता था साथ ही काका कन्ह ने एक प्रतिज्ञा ले रखी थी कि यदि कोई उनके सामने मूछों पर ताव देगा तो वो उसका सर धड़ से अलग कर देंगे।

पृथ्वीराज चौहान के जीवन और वीरता पर आधारित फिल्म आ रही हैं जिसमें अक्षय कुमार ने पृथ्वीराज चौहान का क़िरदार निभाया है। इस फ़िल्म में काका कन्ह का ज़िक्र भी हुआ है तो कई लोग यह जानना चाहते कि आख़िर काका कन्ह कौन थे? इस लेख में हम काका कन्ह का इतिहास, कहानी और उनसे जुड़े रोचक तथ्यों का अध्ययन करेंगे।

काका कन्ह का इतिहास और कहानी (History Of Kaka kanha)

काका कन्ह का पृथ्वीराज चौहान से काका भतीजा का रिश्ता था। काका कन्ह के चरित्र का वर्णन करने के लिए “पृथ्वीराज रासो” में इनके बारे में कुछ पंक्तियां लिखी गई हैं जो निम्नलिखित हैं-

कालंजर इक लख्ख, सार सिंधुरह गुडावें।मार मार मुख चवै, सिंघ सिंघा मुख धावैं।।
दौरी "कन्ह" नर नाह, पटी छुट्टी अंखिन पर।हथ्थ लाई किरवार, रूण्डमाला निन्नीय हर।।
विहू बाह लख्ख लौहे परिय, छानी करीब्बर दाह किए।उच्छारि पारि धरि उप्परें, कलह कीयौ कि उघान किय।।

इसका अर्थ हुआ-
पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि चंदरबदाई द्वारा लिखित “पृथ्वीराज रासो” में पृथ्वीराज चौहान के काका किन्ह और घग्घर नदी का युद्ध का वर्णन मिलता हैं। इसमें बताया गया है कि कन्ह एक महारथी और वचन के पक्के राजपूत थे।

कन्ह का प्रण था कि यदि मेरे सामने कोई मूछ तानकर खड़ा हुआ या मूछों पर ताव देगा तो मैं उसका सर धड़ से अलग कर दूंगा या फिर खुद मर मिटूंगा। इसलिए पृथ्वीराज चौहान के पिता सोमेश्वर चौहान ने खुद की कसम देकर भाई कन्ह को हमेशा आंखों पर पट्टी बांधने के लिए राजी किया।

घग्घर के युद्ध में पृथ्वीराज चौहान ने काका कन्ह से विशेष आग्रह किया उसके बाद उन्होंने पट्टी खोली थी। जब मोहम्मद गोरी का सेनापति मूछों पर ताव देता हुआ काका कन्ह के सामने आया तो उन्होंने शिखा के लेकर पैर के नाखून तक तलवार के वार से दो हिस्सों में बांट दिया।

जब काका कन्ह आंखों पर पट्टी क्यों बांधते थे-

राजस्थान के एक राजा थे जिसका नाम था राजा भीमसेन। वहां के सामंत सारंग देवजी और भीमसेन का विवाद हो गया। डर के मारे सारंग देव के सातों पुत्र अमर, प्रताप, गोकुल, श्याम, हरि, गोविन्द और भगवान अजमेर सोमेश्वर चौहान के पास मदद के लिए पहुंचे। सोमेश्वर चौहान (पृथ्वीराज चौहान के पिता) ने इनकी मदद की और अपने राज्य में शरण दी।

1 दिन की बात है सोमेश्वर चौहान की सभा में रामायण और महाभारत के बारे में चर्चा हो रही थी। सभा में मौजूद सभी मंत्री राजा और सामंत गंभीरता पूर्वक इस पर चर्चा कर रहे थे।इस सभा में सोमेश्वर चौहान के भाई और पृथ्वीराज चौहान के काका किन्ह भी मौजूद थे। काका कन्ह की आंखों पर पट्टी नहीं थी। सामंत सारंग देव के पुत्र प्रताप सिंह ने अनजाने में मूछे मरोड़ दी, इसी समय दौरान पृथ्वीराज चौहान के काका कन्ह की नजर इन पर पड़ी।

यह देख कर काका कन्ह ने तलवार से प्रताप पर जोरदार वार किया जिससे प्रताप का शरीर दो भागों में विभाजित होकर जमीन पर गिर पड़ा। अपने भाई की इस तरह निर्मम हत्या देखकर प्रताप के भाई गोकुल, श्याम, हरि, गोविन्द,अमर और भगवान, काका किन्ह पर टूट पड़े। सभा का शांतिपूर्ण माहौल युद्ध में तब्दील हो गया। सोमेश्वर चौहान भी कुछ नहीं कर पाए और हताश होकर अपने महल में चले गए।

सामंत सारंग देवजी सोलंकी के सभी पुत्र मारे गए। इस घटना के पश्चात पृथ्वीराज चौहान के पिता सोमेश्वर चौहान ने अपने भाई कन्ह को वचनों में लिया कि अब वह आंखों से कभी भी पट्टी नहीं उतारेगी और आंखों पर पट्टी बांधकर रखेगा इसी घटना के पश्चात काका कन्ह आंखों पर पट्टी बांधने लगे। ऊपर बताए गए घग्गर युद्ध में पृथ्वीराज चौहान द्वारा विशेष आग्रह करने पर उन्होंने आंखों से पट्टी हटाई थी।

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