सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता का इतिहास || Sumerian Civilization
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता होने के साथ-साथ मेसोपोटामिया का हिस्सा थी. सुमेरिया की सभ्यता का विकास काल ईसा से 3500 वर्ष पूर्व माना जाता हैं. सुमेर सभ्यता का इतिहास बहुत प्राचीन है, 19वीं शताब्दी में सुमेरियन सभ्यता की खोज हुई, 1901 ईस्वी में सूसा नामक स्थान पर काले रंग के पत्थरों से निर्मित शिलालेख प्राप्त हुए हैं.
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता का इतिहास बताते इन शिलालेखों पर बेबिलोनियन भाषा में “कानून संहिता” उत्कीर्ण है. सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता का जन्म या विकास “दजला और फरात” नामक नदियों की घाटी में हुआ था.
विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता को प्राचीनकाल में मेसोपोटामिया के नाम से जाना जाता था.
इसी दिशा में कदम उठाते हुए सर लियोनार्ड विली ने ईरान में खुदाई का काम शुरू करवाया ताकि तह में जाकर खोजबीन की जा सके. जब खुदाई शुरू हुई तो इसमें प्राचिन राजा महाराजों की समाधियां, खंडहर इमारतें, मिट्टी की तख्तियां और कई रचनात्मक और कलात्मक वस्तुएं मिली है.
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता का इतिहास
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता काल- 4500 ईसा पूर्व से 2550 ईसा पूर्व.
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता की खोज- 19वीं शताब्दी.
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता का विकास कहां हुआ- दजला में फरात नदी की घाटी में.
सुमेर सभ्यता का वर्तमान नाम- मेसोपोटामिया.
सुमेर सभ्यता के देवता- अनु (आकाश के देवता), शमश (सूर्य), नन्न (चंद्रमा), बेल (पृथ्वी), निनगल (चंद्रमा की पत्नी), एनलिल, इश्तर, मार्डुक.
सुमेर सभ्यता का प्रथम राजवंश कौन था- सारगोमिद.
सुमेरियन सभ्यता किस देश में है- ईरान.
जैसा कि इस लेख में आपने ऊपर पढ़ा कि सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता को मेसोपोटामिया के नाम से भी जाना जाता हैं इसके पीछे की मुख्य वजह आप आगे जान पाएंगे. मेसो का अर्थ होता हैं बिच (मध्य) और पोटामिया का अर्थ होता हैं नदी से हैं. ज्यादातर सभ्यताओं का जन्म नदियों को किनारे ही हुआ है.
मेसोपोटामिया का जन्म भी दजला और फरात नदियों के मध्य हुआ था. इन नदियों के किनारे पर सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता, बेबीलोन सभ्यता और असिरियन नामक सभ्यताएं जन्मी, पली और बढ़ी. इन सबको एक साथ मेसोपोटामिया के नाम से जाना जाता हैं. सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता मेसोपोटामिया सभ्यता का एक भाग थी.
विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता के बारे में 19वीं शताब्दी तक कोई नहीं जानता था लेकिन फ्रांस और यूके के पुराविदों ने इस सभ्यता को खोज निकाला. 1850 ईस्वी में रोलिंसन नामक इंग्लिश पुराविद ने बहिस्तुन के पास एक शिलालेख की खोज की जिसे ईरानी शासक डेरियस ने उत्कीर्ण करवाया था. फारसी और बेबिलोनियन भाषा में लिखें इस लेख को पढ़ा तो मेसोपोटामिया सभ्यता की जानकारी मिली.
सन 1901 में सूसा नामक स्थान से भी एक शिलालेख प्राप्त हुआ जिस पर बेबिलोनियन भाषा में कानून संहिता अंकित थी. विद्वान् और इतिहासकारों ने सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता का जनक द्रविड़ और मंगोल को माना हैं जबकि कुछ इतिहासकार इसे द्रविड़ और आर्य की मिश्रित सभ्यता के रूप में देखते हैं. लेकीन ज्यादातर इतिहासकारों के अनुसार भूमध्य सागर के लोग ही सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता के जनक हैं.
सुमेरियन सभ्यता की विशेषताएं
सुमेरियन सभ्यता की विशेषताएं निम्नलिखित हैं –
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता का सामाजिक जीवन
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता में रहने वाले लोगों को 3 भागों में बांटकर अध्ययन किया जाता हैं जिसमें उच्च वर्ग, मध्य वर्ग और निम्न वर्ग शामिल हैं. साथ ही इसके भी ऐतिहासिक साक्ष्य प्राप्त हुए हैं कि इस सभ्यता में दास प्रथा प्रचलित थी. उच्च वर्ग में राजा और राजकीय कार्य देखने वाले अधिकारियों के साथ ब्राह्मणों को शामिल किया गया था. मध्य वर्ग में व्यापारी और किसानों को शामिल किया गया था जबकि निम्न वर्ग में श्रमिक और दास को शामिल किया गया था.
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता में स्त्रियों की सामाजिक दशा बहुत अच्छी थी जिन्हें व्यापार करने का अधिकार, संपत्ति रखने का अधिकार तो था ही साथ ही बहुत अधिक सम्मान भी मिलता था. राजा और शासक को छोड़कर लोग एक विवाह ही करते थे. सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता के लोगों का रहन सहन उच्च स्तरीय था. पक्के मकान में रहते, स्वच्छता का ध्यान रखते, ऊनी और सूती वस्त्र पहनना आदि इनके जीवन का अभिन्न हिस्सा था.
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता के लोग कंगन, हार और अंगुठी जैसे आभूषण धारण करते थे. गेहूं और जौ को अन्न के रूप में लेते. दहेज़ प्रथा भी प्रचलित थी.
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता की प्रशासनिक व्यवस्था
सुमेरी या सुमेरियन की प्रशासनिक व्यवस्था की बात की जाए तो वह कई छोटे-छोटे नगरों और कस्बों में विभाजित थे. शासक अपने अधिकारियों और पुरोहितों के साथ विशाल महल में रहते थे. खुदाई में प्राप्त हुए प्रमाणों से ज्ञात होता है कि यहां पर लोकतांत्रिक प्रशासनिक व्यवस्था थी.
जब भी कोई निर्णय लेना होता था प्रत्येक कस्बे से वरिष्ठ नागरिक को चुना जाता और यही व्यक्ति प्रशासनिक निर्णय लेने का अधिकार रखता था. ज्यादातर सभी बड़े निर्णय राजा द्वारा लिए जाते थे जिनका पालन सभी को कड़ाई के साथ करना पड़ता. Sumerian Civilization सभ्यता में 2 प्रकार के न्यायालय थे-
(1). राजकीय न्यायालय.
(2). धार्मिक न्यायालय.
राजकीय न्यायालय का प्रमुख राजा और धार्मिक न्यायालय का प्रमुख पुरोहित होता था. प्रशासनिक निर्णय बहुत कठोर होते थे जिनका कड़ाई के साथ पालन करते थे. मुकदमों की सुनवाई का लिखित लेखा जोखा रखा जाता था. लेखा जोखा रखने के लिए मिट्टी की तख्तियां काम में ली जाती थी. कुछ राजाओं ने कानूनी संहिता भी लिखवाई. उरी और डूंगी नामक शासकों ने व्यापार, सामाजिक और पारिवारिक कानून बनाए.
यहां के लोग कानून को मानते थे और उसका कड़ाई के साथ पालन भी करते, समाज में स्थिरता थी.
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता का राजनैतिक सफर
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता का इतिहास अद्भुद और प्राचीन तो हैं ही लेकिन इसके समय के सम्बंध में विश्वसनीय प्रमाण मौजुद नहीं है. सुमेरी सभ्यता के सम्बन्ध में ज्यादातर इतिहासकार इसका समय काल 4500 ईसा पूर्व से लेकर 2550 ईसा पूर्व मानते हैं. ऊर, उरूक, निप्पुर, उम्मा, लगश सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता के मुख्य नगर थे.
इस सभ्यता में कला, साहित्य और वाणिज्य के क्षेत्र में उन्नति हुई. ऊर के राजा उर एंगर, किश की रानी अजकचाउ, लगश के शासक, राजा गुड़िया जैसे राजा इस सभ्यता के नामी राजा हुए हैं. राजा को भगवान के समान माना जाता था और राजा का फ़ैसला ही अन्तिम फैसला होता था. न्याय प्रक्रिया पूरी तरह धार्मिकता पर आधारित थी.
समय के साथ साथ इन राजाओं की शक्ति क्षीण हो गई. इनकी कमजोरी का फ़ायदा उठाकर सेमेटिक जाति के लोगों ने हमला कर दिया.
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता- आर्थिक जीवन
सुमेरियन सभ्यता के आर्थिक जीवन पर प्रकाश डाला जाए तो विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता में लोगों की आय का मुख्य साधन कृषि और पशुपालन था. शिल्प, आभूषण निर्माण, वाणिज्य और व्यापार उन्नत स्थिति में था.
० दो नदियों के मध्य क्षेत्र होने की वजह से यह बहुत ही उपजाऊ था साथ ही पानी की कमी नहीं थी इसलिए यहां पर दालें, जौ और गेहूं का उत्पादन होता था.
० नदियों के किनारे बांध और नहरों का निर्माण किया गया.
० यहां के लोग गाय, भैंस, बैल, स्वान, गधा, बकरी आदि पशुओं को पालते थे.
० खाड़ी देशों के साथ साथ भारत और मिस्र के साथ भी सुमेरियन लोगों का व्यापारिक संबंध था.
० सुमेरियन लोग दूसरे देशों से चंदन और हाथी के दांतो का आयात करते थे जबकि फल, वस्त्र, चमड़े से निर्मित वस्तुओं आदि का निर्यात करते थे.
० उर नामक शहर इस सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यापारिक केंद्र था.
० सुमेरियन लोग हस्त कला में निपुण थे.
० ऋण प्रदान करने और बहीखाता लिखने की परंपरा की शुरुआत सबसे पहले इसी सभ्यता में देखने को मिलती है.
० यहां पर खुदाई में विश्व के सबसे प्राचीन रथ के अवशेष मिले हैं, इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सबसे पहले पहिए का आविष्कार सुमेरियन लोगों ने ही किया था.
सुमेरियन सभ्यता की प्रमुख धार्मिक मान्यताएं क्या थी?
विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता के लोग धार्मिक प्रवृत्ति के थे.
० प्राप्त प्रमाणों के आधार पर प्रारंभ में सुमेरियन लोग एकेश्वरवाद अर्थात एक ईश्वर में विश्वास करने वाले थे.
० 3500 ईसा पूर्व के बाद यह लोग एक से अधिक देवताओं में विश्वास करने लगे.
० इस सभ्यता के अलग-अलग नगरों में अलग-अलग देवताओं के मंदिरों के अवशेष प्राप्त हुए है.
० सूर्य, चंद्रमा, आसमान, इश्तर और एनलिल इनके मुख्य आराध्य देव थे.
० सुमेरिया के लोग जिगुरत अर्थात् मन्दिर में देवताओं की स्थापना करते थे.
० लगाव का सूर्य मन्दिर और निप्पूर का वायुदेव मन्दिर इस सभ्यता के प्रमुख मंदिर हैं.
० सुमेरियन लोग अंधविश्वासी थे इन्हें जादू, टोना, भूत प्रेत आदि में विश्वास था.
० विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता के लोग मरने वाले व्यक्ति की कब्र के पास आवश्यक सामग्री रखते थे क्योंकि इन्हें ऐसा विश्वास था कि वह मुर्दा इन चीजों के जरिए कभी भी वापस जीवित हो सकता है.
० देवताओं को प्रसन्न करने के लिए नरबलि भी देते थे.
शैक्षणिक व्यवस्था
० विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता के लोगों ने 3000 ईसा पूर्व लिपि का आविष्कार कर लिया था.
० प्रारंभ में सुमेरियन लोगों की लिपि चित्रात्मक थी चित्रों के माध्यम से ही सभी संकेत लिखते थे.
० सुमेरिया की लिपि को “किलाकार लिपि” के नाम से भी जाना जाता है.
० यह लोग कोणाकार अक्षरों का प्रयोग करते थे.
० उर नामक शहर की खुदाई में मिट्टी की 30000 से भी अधिक तख्तियां मिली है.
० यह लोग इन तख्तियों पर दाएं और से बाएं तरफ लिखते थे.
० मंदिरों में कानून और व्यापार की शिक्षा दी जाती थी.
० सुमेरियन लोगों ने काव्यों, धार्मिक ग्रंथों और कहानियों की रचना की.
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता और विज्ञान
० सुमेरियन लोगों को बीजगणित और गणित का अच्छा ज्ञान था.
० 10 (अंक) इनकी गणना का प्रथमाक्षर था.
० दस को छः से गुणा करके साठ को ये दूसरी इकाई के रूप में प्रयोग करते थे.
० कई इतिहासकारों का मानना है कि सर्वप्रथम सुमेरियन लोगों ने ही 1 घंटे में 60 मिनट और 1 मिनट में 60 सेकंड की अवधारणा को मान्यता प्रदान की.
० इनके समय नाप तौल प्रणाली भी प्रचलित थी जिसका मात्रक मीन था.
० सुमेरियन सभ्यता के लोग रसायन विज्ञान और वनस्पति विज्ञान और भौगोलिक विज्ञान के भी ज्ञाता थे.
० 2707 ईसा पूर्व का एक नक्शा (Map) मिला जिसमें सात महासागरों के साथ पृथ्वी को गोलाकार रूप में दर्शाया गया है.
० यह लोग 1 साल में 360 दिन मानते थे जबकि महीनों की संख्या 12 थी.
० मंगल, सूर्य और चंद्रमा से परिचित होने के साथ-साथ इन्हें नक्षत्रों का भी विशेष ज्ञान था.
० चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण का भी इन्हें ज्ञान था.
० ग्रहों की स्थिति के आधार पर इन्होंने पंचांग का निर्माण किया और इसी पंचांग के आधार पर यह भविष्य देखते थे.
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता में कला
० खुदाई में वाद्य यंत्र, बर्तन, मोहर, आभूषण, मूर्तियां देवालय आदि प्राप्त हुए हैं जिससे इन लोगों की कला के बारे में पता चलता हैं.
० यहां के लोग “शिल्पी वास्तु कला” में महारथी थे.
० नन्नार का मंदिर (उर शहर) सुमेरियन कला का उत्कृष्ट उदाहरण है.
० यह लोग संगीत और नृत्य कला में माहिर थे.
० बीन इनका मुख्य वाद्य यंत्र था.
० यह लोग राजा महाराजाओं के साथ-साथ देवी देवताओं की मूर्तियों का निर्माण भी करते थे लेकिन बनावट ज्यादा अच्छी नहीं थी.
सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता का पतन
“अवकादियन” नामक घुमक्कड़ जनजाति ने कमजोर और क्षीण होती सुमेरियन राजाओं की शक्ति का फायदा उठाते हुए सारगन प्रथम नामक राजा ने आक्रमण कर दिया और इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया. हालांकि एकदम से सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता का पतन नहीं हुआ, यह क्रमिक रूप से चली एक प्रक्रिया का हिस्सा था.
लेकीन फिर भी हम उन महत्त्वपूर्ण बिंदुओं की चर्चा करेंगे जिनके चलते सुमेरी या सुमेरियन सभ्यता का पतन हो गया.
सुमेरी सभ्यता के पतन के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –
1. कमजोर शासक.
2. जैसे-जैसे समय बीतता गया, सुमेरियन शासकों पर लोगों का विश्वास कम होता गया.
3. कमजोर प्रशासनिक संगठन की वजह से ज्यादातर शहरों पर इनकी पकड़ कमजोर हो गई.
4. चाहे कोई भी शासक हो या सभ्यता हो सबका अपना समय होता है, लगभग 200 वर्षों तक शासन करने के पश्चात इस सभ्यता पर अन्य शासकों का अधिकार होना इसी बात का सबूत हैं.
5. अवकादियन” नामक घुमक्कड़ जनजाति के राजाओं ने सुमेरियन शासकों की कमजोरी का फायदा उठाते हुए इन पर आक्रमण कर दिया और उन्हें परास्त कर दिया.
6. “सारगन प्रथम” नामक राजा ने सुमेरियनो को पराजित किया था.
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