सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

महाराणा प्रताप के पास कितने घोड़े थे?

क्या आप जानते हैं महाराणा प्रताप के पास कितने घोड़े थे? महाराणा प्रताप के सबसे प्रिय घोड़े का नाम चेतक था. चेतक के बारें में करीब-करीब सब जानते हैं लेकिन चेतक के अलावा भी महाराणा प्रताप के पास 2 घोड़े और थे जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, इस लेख को पढ़ने से पहले आप यह बता सकते हैं कि महाराणा प्रताप के पास कितने घोड़े थे? अगर नहीं तो इस लेख को अंत तक पढ़ें।

महाराणा प्रताप के पास कितने घोड़े थे?

महाराणा प्रताप के पास 3 घोड़े थे जो गुजरात के एक व्यापारी से ख़रीदे थे. महाराणा प्रताप के घोड़े के पीछे एक दिलचस्प कहानी छिपी हैं.

जैसा कि आप जानते हैं महाराणा प्रताप के सबसे प्रिय नीलवर्णी ईरानी घोड़े का नाम चेतक था. एक बार गुजरात का एक व्यापारी तीन काठियावाड़ी नस्ल के घोड़े लेकर मेवाड़ में आया. प्रताप ने इन तीनों घोड़ो को खरीद लिया और बदले में व्यापारी को जांगीर के तौर पर गढ़वाडा और भानोल नामक दो गाँव भेंट किए.

महाराणा प्रताप के घोड़ों का नाम

 दोस्तों आपने ऊपर पढ़ा कि महाराणा प्रताप के पास 3 घोड़े थे. महाराणा प्रताप के घोड़ों का नाम निम्नलिखित हैं-

[1] चेतक.

[2] त्राटक.

[3] अटक.

गुजराती व्यापारी से ख़रीदे गए घोड़ों में से अटक नामक घोड़े को परिक्षण के लिए रखा गया था और त्राटक नामक घोड़े को महाराणा प्रताप ने अपने भाई शक्तिसिंह को भेंट कर दिया जबकि सबसे सुन्दर और बलशाली चेतक घोड़े को महाराणा प्रताप ने स्वयं के पास रखा. चेतक की वजह से ही महाराणा प्रताप घायल होने के बाद भी युद्ध भूमि से सुरक्षित बाहर निकलने में कामयाब रहे थे. दोस्तों अब आप जान चुके हैं कि महाराणा प्रताप के पास कितने घोड़े थे.

यह भी पढ़ें-

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंगों के नाम, स्थान, स्तुति मंत्र || List Of 12 Jyotirlinga

List Of 12 Jyotirlinga- भारत में 12 ज्योतिर्लिंग हैं. भगवान शिव को मानने वाले 12 ज्योतिर्लिंगो के दर्शन करना अपना सौभाग्य समझते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता हैं कि इन स्थानों पर भगवान शिव ज्योति स्वररूप में विराजमान हैं इसी वजह से इनको ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता हैं. 12 ज्योतिर्लिंग अलग-अलग स्थानों पर स्थित हैं. इस लेख में हम जानेंगे कि 12 ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई? 12 ज्योतिर्लिंग कहाँ-कहाँ स्थित हैं? 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान. यहाँ पर निचे List Of 12 Jyotirlinga दी गई हैं जिससे आप इनके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर पाएंगे. 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान सूचि ( List Of 12 Jyotirlinga ) 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान सूचि (List Of 12 Jyotirlinga) निम्नलिखित हैं- क्र. सं. ज्योतिर्लिंग का नाम ज्योतिर्लिंग का स्थान 1. सोमनाथ (Somnath) सौराष्ट्र (गुजरात). 2. मल्लिकार्जुन श्रीशैल पर्वत जिला कृष्णा (आँध्रप्रदेश). 3. महाकालेश्वर उज्जैन (मध्य प्रदेश). 4. ओंकारेश्वर खंडवा (मध्य प्रदेश). 5. केदारनाथ रूद्र प्रयाग (उत्तराखंड). 6. भीमाशंकर पुणे (महाराष्ट्र). 7...

नीलकंठ वर्णी (Nilkanth varni) का इतिहास व कहानी

Nilkanth varni अथवा स्वामीनारायण (nilkanth varni history in hindi) का जन्म उत्तरप्रदेश में हुआ था। नीलकंठ वर्णी को स्वामीनारायण का अवतार भी माना जाता हैं. इनके जन्म के पश्चात्  ज्योतिषियों ने देखा कि इनके हाथ और पैर पर “ब्रज उर्धव रेखा” और “कमल के फ़ूल” का निशान बना हुआ हैं। इसी समय भविष्यवाणी हुई कि ये बच्चा सामान्य नहीं है , आने वाले समय में करोड़ों लोगों के जीवन परिवर्तन में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहेगा इनके कई भक्त होंगे और उनके जीवन की दिशा और दशा तय करने में नीलकंठ वर्णी अथवा स्वामीनारायण का बड़ा योगदान रहेगा। हालाँकि भारत में महाराणा प्रताप , छत्रपति शिवाजी महाराज और पृथ्वीराज चौहान जैसे योद्धा पैदा हुए ,मगर नीलकंठ वर्णी का इतिहास सबसे अलग हैं। मात्र 11 वर्ष कि आयु में घर त्याग कर ये भारत भ्रमण के लिए निकल पड़े। यहीं से “नीलकंठ वर्णी की कहानी ” या फिर “ नीलकंठ वर्णी की कथा ” या फिर “ नीलकंठ वर्णी का जीवन चरित्र” का शुभारम्भ हुआ। नीलकंठ वर्णी कौन थे, स्वामीनारायण का इतिहास परिचय बिंदु परिचय नीलकंठ वर्णी का असली न...

मीराबाई (Meerabai) का जीवन परिचय और कहानी

भक्तिमती मीराबाई ( Meerabai ) भगवान कृष्ण की सबसे बड़ी भक्त मानी जाती हैं । वह बचपन से ही बहुत नटखट और चंचल स्वभाव की थी। उनके पिता की तरह वह बचपन से ही कृष्ण भक्ति में लग गई। राज परिवार में जन्म लेने वाली Meerabai का विवाह मेवाड़ राजवंश में हुआ। विवाह के कुछ समय पश्चात ही इनके पति का देहांत हो गया । पति की मृत्यु के साथ मीराबाई को सती प्रथा के अनुसार अपने पति के साथ आग में जलकर स्वयं को नष्ट करने की सलाह दी गई, लेकिन मीराबाई सती प्रथा (पति की मृत्यु होने पर स्वयं को पति के दाह संस्कार के समय आग के हवाले कर देना) के विरुद्ध थी। वह पूर्णतया कृष्ण भक्ति में लीन हो गई और साधु संतों के साथ रहने लगी। ससुराल वाले उसे विष  देकर मारना चाहते थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया अंततः Meerabai भगवान कृष्ण की मूर्ति में समा गई। मीराबाई का इतिहास (History of Meerabai) पूरा नाम meerabai full name – मीराबाई राठौड़। मीराबाई जन्म तिथि meerabai date of birth – 1498 ईस्वी। मीराबाई का जन्म स्थान meerabai birth place -कुड़की (जोधपुर ). मीराबाई के पिता का नाम meerabai fathers name – रतन स...