मेवाड़ गौरव माँ पूरी बाई का संबंध कीर समाज से हैं. पूरी बाई एक ऐसी वीरांगना थी जिन्होंने अपने समय में लोगों को रक्षा और सुरक्षा के लिए डाकुओं से भीड़ जाती थी लेकिन उनको इतिहास में हक के मुताबिक जगह नहीं मिली. इस लेख में हम आपको पूरी बाई का इतिहास और जीवन परिचय के बारे में बताने जा रहे हैं. वीरांगना पूरी बाई का इतिहास नाम पूरी बाई समाज कीर समाज प्रसिद्धि की वजह क्रन्तिकारी क्षेत्र मेवाड़ जन्म 12 दिसंबर 1712 इतिहास के पन्ने खंगालने पर ज्ञात होता है कि वीरांगना माता पूरी बाई का जन्म मार्गशीष सुदी नवमी विक्रम संवत 1768 और अंग्रेजी तिथि 12 दिसम्बर 1712 को इनका जन्म हुआ था. पुरी बाई का जन्म एक साधारण कीर परिवार में हुआ था, कीर जाति को कहार, केवट, कश्यप, भोई आदि विभिन्न नामो से भी जाना जाता है. वीरांगना पूरी बाई तत्कालीन समय में झांसी की रानी लक्ष्मी बाई जैसी योद्धा थी तथा पूरी बाई पुरुष का भेष बनाकर रहती थी और उनके आसपास के क्षेत्र में लूटपाट करने वाले चोरों और डकैतों से आम लोगों की हिफाजत करती थी. यहां से होकर जाने वाले राजकीय समान या राजा महाराजाओं के माल को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में ग...
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