घूँघट प्रथा के पीछे का रहस्य: क्या आप घूँघट प्रथा के पीछे का रहस्य जानते हैं? भारत में कई ज्ञानी घूँघट प्रथा पर ज्ञान देते नहीं थकते हैं जबकि उनको इस प्रथा के बारें में कुछ भी जानकारी नहीं हैं. भारत एक सनातन संस्कृति वाला देश हैं. सनातन धर्म में कहीं पर भी घूँघट प्रथा का जिक्र नहीं किया गया हैं तो सवाल यह उठता हैं की आखिर भारत में इस प्रथा का उदय कैसे हुआ? क्या यह एक कुप्रथा हैं या किसी कारणवश यह चलन में आई हैं.
अगर आप भी यह नहीं जानते हैं की घूँघट प्रथा के पीछे का रहस्य क्या था? तो इस लेख में आपके सवाल का जवाब मिल जाएगा.
घूँघट प्रथा क्या हैं?
घूँघट प्रथा में औरत अपने सर के साथ-साथ मुँह को भी ढ़क कर रखती हैं. मुँह या सर को ढ़कने के लिए साड़ी या पल्लू का प्रयोग किया जाता हैं.
सर ढ़कने के पीछे का रहस्य
हमारे सर पर ब्रह्मरंध्र होते हैं जो धीरे-धीरे कठोर होते जाते हैं और समय के साथ-साथ बंद हो जाते हैं. इनको पुनः खोलने के लिए ध्यान की जरुरत होती हैं. कोई भी व्यक्ति या औरत अध्यात्म का सहारा लेकर ही इन्हें वापस खोल सकता हैं. लेकिन यह आसान नहीं होता हैं.
ब्रह्मरंध्र और बॉडी के दशम द्वार को खोलने के लिए निरंतर ध्यान और अभ्यास की जरुरत होती हैं. ध्यान करना बहुत टेढ़ी खीर के सामान हैं. मन को वश में करना बहुत कठिन होता हैं.
मन को वश में करने के लिए और इसकी चंचलता को स्थिर करने में सर का ढका होना जरुरी हैं जिससे मन थोड़ा नियंत्रण में रहे. जैसा की आपने देखा होगा जब भी पूजा-अर्चना की जाती है तब सर को ढ़ककर रखते हैं. यही कारण हैं की सनातन संस्कृति में सर को ढक कर रखा जाता हैं.
सर को ढ़कने के पीछे सामाजिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं.
घूँघट प्रथा के पीछे का रहस्य
घूँघट प्रथा में सर के साथ-साथ चेहरा भी ढका होता हैं लेकिन इसके सम्बन्ध में हमारे किसी भी धार्मिक ग्रन्थ में लिखा हुआ नहीं हैं तो फिर यह घूँघट प्रथा कैसे शुरू हुई?
दरअसल यह मुग़लों की देन हैं. पहली राजस्थान के चित्तौरगढ़ में महारानी पद्मिनी ने अल्लाउद्दीन खिलजी के कुकृत्य से बचने के लिए 13वीं शताब्दी में जौहर किया था. मुग़लों के भारत में आगमन के बाद ही भारत में घूँघट प्रथा की शुरुआत हुई थी.
घूंघट प्रथा के पीछे के मुख्य रहस्य या कारण निम्न हैं-
[1] मुग़ल आक्रांताओं से बचने के लिए औरतें पहली बार घूँघट प्रथा को अपनाया था ताकि उनकी सुंदरता देखकर कोई उन पर बुरी नजर ना डाल सकें.
[2] औरतें अपनी मर्यादा की रक्षा के लिए घूँघट निकालने लगी.
[3] घूँघट प्रथा मुग़लों की देन हैं ना कि सनातन संस्कृति की.
[4] आज भी कई धर्मों में औरतें अपनी आबरू बचाने के लिए घूँघट निकालती हैं.
[5] अन्य धर्मों में भी औरतें अपने शरीर को ढक कर रखती हैं लेकिन सनातन पर ही सवाल खड़ा किया जाता हैं.
दोस्तों इस लेख को पढ़ने के बाद आप समझ गए होंगे की घूँघट प्रथा के पीछे का रहस्य क्या हैं.
यह भी पढ़ें– पद्मिनी महल चित्तौडग़ढ़ का इतिहास.