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फ़रवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मूमल महेंद्र की प्रेम कहानी || Love Story Of Mumal-Mahendra

मूमल महेंद्र की प्रेम कहानी ना सिर्फ राजस्थान बल्कि संपूर्ण विश्व में विख्यात है। यह ऐतिहासिक प्रेम कहानी जरा हटके है, जहां मूमल बहुत सौंदर्यवान थी वहीं दूसरी तरफ महेंद्र अदम्य साहस के धनी थे। मूमल और महेंद्र की प्रेम कहानी आज से लगभग 2000 वर्ष पुरानी है लेकिन उतनी ही लोकप्रिय है। महेंद्र और मूमल का इतिहास कहें या फिर महेंद्र और मुमल की प्रेम कहानी एक ही बात है, जिसकी चर्चा हम इस लेख में करेंगे. मूमल राजस्थान के जैसलमेर की राजधानी लौद्रवा की रहने वाली थी जबकि महेंद्र अमरकोट (पाकिस्तान) के रहने वाले थे। जिस तरह हीर-रांझा, सोहनी-महिवाल, ढोला-मारू, संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान , राजा मानसिंह और मृगनयनी , जीवाजी राव सिंधिया और विजया राजे सिंधिया , बाजीराव और मस्तानी की प्रेम कहानियां विश्व विख्यात है उसी तरह मूमल महेंद्र की प्रेम कहानी भी विश्व विख्यात है। मूमल महेंद्र की प्रेम कहानी लौद्रवा नगर (जैसलमेर) के समीप बहने वाली काक नदी के किनारे बसा हुआ था। यहीं पर रानी मूमल का का महल था जिसे “इकथंभीया-महल” कहा जाता हैं. राजस्थान में महल के ऊपर छत पर बने कमरों को मेड़ी कहा जाता है...

महर्षि दयानंद सरस्वती का इतिहास || History Of Maharshi Dayanand Saraswati

आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती का इतिहास एक महान देशभक्त और सच्चे मार्गदर्शक के रुप में रहा है, जिन्होंने अपने विचारों से हमारे समाज को नई सोच और दिशा प्रदान की हैं. “वेदों की ओर लौटो” यह नारा भी इन्होंने ही दिया था. इसके अतिरिक्त महर्षि दयानंद सरस्वती के योगदान की बात की जाए तो इन्हें भारत के महान समाज सुधारक और महान चिंतक के रूप में याद किया जाता है. महर्षि दयानंद सरस्वती ने वेदों और उपनिषदों का गहन अध्ययन किया और अपने इस ज्ञान के बलबूते ना सिर्फ भारत बल्कि संपूर्ण विश्व के लोगों को लाभान्वित किया. महर्षि दयानंद सरस्वती का इतिहास उठा कर देखा जाए तो इन्होंने मूर्ति पूजा को व्यर्थ बताया तथा निराकार ओंकार में भगवान का अस्तित्व बताया इनके अनुसार वैदिक धर्म सर्वश्रेष्ठ था. सर्वप्रथम स्वराज्य का नारा महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने दिया था जिसे बाद में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी ने आगे बढ़ाया था। इन्होंने सर्व हिंदू समाज को यह संदेश दिया की स्वयं को सनातन धर्म का समर्थक और सनातन धर्म को मानने वाले बताएं. साथ ही अपने धर्म का नाम भी सनातन धर्म है स्वामी दयानंद सरस्वती जी...

कागज का इतिहास और आविष्कार || History of Paper

कागज पर विश्व का सम्पूर्ण इतिहास लिखा जाता हैं लेकिन इस लेख में हम “कागज का इतिहास” जानेंगे, साथ ही यह भी पढ़ेंगे कि “कागज का आविष्कार” किसने और कब किया। आदिकाल से लिखने के लिए कागज का उपयोग किया जा रहा है। प्राचीनकाल से लेकर आज तक कागज का स्वरूप कई बार बदला है। 202 ईसा पूर्व हान वंश के शासनकाल में चीन में कागज़ का आविष्कार हुआ था। कागज का आविष्कार “त्साई-लुन” ने किया था। इस समय तक बांस और रेशम के कपड़े का उपयोग कागज के रूप में लिखने के लिए किया जाता रहा। कागज के आविष्कार को लेकर इतिहासकार एकमत नहीं है, इतिहासकारों के एक तबके का कहना है कि कागज का आविष्कार सबसे पहले मिस्र में हुआ था। कागज का आविष्कार ईसा से लगभग 1400 वर्ष पूर्व मानते हैं। अब हम विस्तृत रूप से कागज का इतिहास जानेंगे कि कागज का आविष्कार कैसे हुआ, कागज कैसे बनता है, भारत में कागज का प्रचलन कब हुआ, कागज की लुगदी कैसे बनाई जाती है और कागज के क्या क्या उपयोग है। कागज का इतिहास और आविष्कार (History of Paper) कागज का आविष्कार कहां पर हुआ - चीन. कागज का आविष्कार किसने किया- "त्साई-लुन" कागज...

अकबर महान था या शैतान?

कई विदेशी आक्रांताओं ने समय-समय पर भारत पर आक्रमण किया और इसकी एकता और अखंडता को तोड़ने की कोशिश की उनमें से एक था मुगल शासक अकबर. इतिहास के पन्नों को पलटते समय जब भी अकबर का नाम आता है, तो लोगों के जहन में यह बात जरूर आती है कि अकबर महान था या शैतान। उम्मीद करते हैं कि यह लेख पढ़ने के पश्चात आप समझ जाएंगे कि अकबर महान था या अकबर शैतान था. अकबर महान था या शैतान? विश्व विख्यात इतिहासकार “ विसेंट स्मिथ ” ने भी अकबर के बारे में लिखा है। विसेंट स्मिथ लिखते हैं कि मुगल शासक अकबर एक बलात्कारी, क्रूर, निर्दयी और हवस तथा वासना से भरा हुआ था। अकबर से संबंधित इतिहास के बारे में ज्यादातर इतिहासकार उनकी तारीफों के पुल बांधे हैं लेकिन कुछ नीडर इतिहासकार भी हुए हैं, जिन्होंने सच्चाई बताने का काम किया है जिनमें इतिहासकार विसेंट स्मिथ भी शामिल है। निम्नलिखित बिंदुओं को बढ़ने के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा कि मुगल बादशाह अकबर शैतान था या महान- [1] अकबर के काल में एक बहुत बड़ा महिलाओं का बाजार लगता था जिसे “मीना बाजार” के नाम से जाना जाता है. अकबर भी महिलाओं की वेशभूषा...

कुषाण वंश सामान्य ज्ञान || Kushan Vansh GK

कुषाण वंश भारत के अतिप्राचीन राजवंशों में शामिल हैं। कुषाण वंश से संबंधित प्रश्न (कुषाण वंश Question Answer या Kushan Vansh GK) कई परीक्षाओं में पूछे जाते हैं. विद्यार्थियों के लिए उपयोगी कुषाण वंश से संबंधित 60 प्रश्न (Kushan Vansh GK) और उत्तर इस लेख में आप पढ़ सकेंगे। कुषाण वंश सामान्य ज्ञान (Kushan Vansh GK) 1 कुषाण साम्राज्य के संस्थापक कौन थे? (SSC CPO 2017). उत्तर- कुजुल कडफिसेस. 2 शक संवत् की स्थापना किस सन में की गई?( SSC CHSL2017). उत्तर-78 ईस्वी. 3 भारतीयों के लिए सिल्क मार्ग किसने आरंभ किया था? ( Uk RO/ARO,2016 Exam). उत्तर- कुषाण शासक कनिष्क ने। 4 कुषाण वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा कौन था? ( SSC MTS 2014) उत्तर- राजा कनिष्क। 5 राजा कनिष्क के सारनाथ बौद्ध प्रतिमा अभिलेख की तिथि क्या हैं? ( UPPCS PRE 2014) उत्तर- 81 ईस्वी सन्। 6 राजा कनिष्क के अभिलेख रबतक में किन नगरों का उल्लेख मिलता हैं? (UP RO/ARO main 2014) उत्तर- पाटलिपुत्र,चंपा और कौशाम्बी। 7 कुषाण काल में भारतीय और ग्रीक शैली के मिश्रण से विकसित कला विद्यालय को किस नाम से जाना जाता है?(SSC MTS 2014). उत्तर- गांधार कला। 8 ...

कुषाण वंश का इतिहास || History Of kushan vansh

कुषाण वंश भी भारत के प्राचीन वंशों में शामिल है। कुषाण वंश का इतिहास चीनी ग्रंथों पर आधारित है। चीनी ग्रंथों का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि कुषाण कोयू-ची के थे जो चीन में कानसू नामक स्थान पर रहते थे। बीते समय के साथ कोयू-ची जाति का विभाजन हो गया और यह जाति 5 शाखाओं में विभाजित हो गई, इन पांच में से एक थे कुषाण। कुषाण वंश का प्रथम शासक (कुषाण वंश का संस्थापक) “कुजुल कडफीसेस” को माना जाता है और कुषाण वंश का कार्यकाल 15 ईस्वी से 151 ईस्वी तक माना जाता हैं. वासुदेव II कुषाण वंश का अंतिम शासक था. कुषाण वंश की स्थापना 15 ईस्वी में हुई थी। कुषाण वंश के प्रथम शासक “कुजुल कडफीसेस” ने यवन, काबुल, सिंध, कंधार, पेशावर और शक राजाओं को पराजित करते हुए इस वंश की स्थापना की। जैसा कि आप जानते हैं कुषाण वंश भारत के प्राचीन राजवंशों (हर्यक वंश, शिशुनाग वंश , नंद वंश , मौर्य वंश , शुंग वंश , कण्ववंश और सूर्यवंश ) में शामिल हैं। इस लेख में हम पढ़ेंगे कुषाण वंश का इतिहास , कुषाणों का उदय, कुषाण वंश का कार्यकाल, कुषाण वंश के मुख्य राजा और कुषाण वंश का पतन आदि। कुषाण वंश का इति...