सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अगस्त, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ऋषि सुनक की जीवनी

ऋषि सुनक की जीवनी:- ऋषि सुनक के माता-पिता भारतीय मूल के हैं. इनके पिता का नाम यशवीर और माता का नाम उषा है जो मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं. ऋषि सुनक का जन्म 12 मई 1980 को साउथहैंपटन, हैंपशायर इंग्लैंड (Southampton England) में हुआ था. ऋषि सुनक एक राजनेता हैं, जिनका विवाह इंफोसिस कंपनी के सह संस्थापक एन. आर. नारायण मूर्ति की बेटी के साथ हुआ था. ऋषि सुनक की जीवनी की बात की जाए तो इनका जीवन बहुत ही साधारण रहा हैं. इनके माता-पिता चिकित्सक हैं, जिनमें माता फार्मासिस्ट और पिता सामान्य चिकित्सक हैं. माता पिता भारतीय होने के कारण ऋषि सुनक का भारत से विशेष जुड़ाव रहा है. ऋषि सुनक की जीवनी ऋषि सुनक की जीवनी के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करने से पहले इनके जीवन से संबंधित मुख्य पहलू को संक्षिप्त रूप में जान लेते हैं- नाम ऋषि सुनक ( Riahi sunak) जन्म तिथि 12 मई 1980 जन्म स्थान साउथहैंपटन, हैंपशायर (इंग्लैंड) पिता का नाम यशवीर जी माता का नाम उषा जी पत्नी का नाम अक्षता सुनक बच्चे- 2 लड़किया भाई का नाम संजय सुनक बहिन का नाम राखी सुनक पेशा राजनेता और व्यवसायी राजनैतिक पार्टी कंजर्वेटिव पार्टी (...

मैत्रक वंश का इतिहास || History Of Maitrak Vansh

मैत्रक वंश का इतिहास 5वीं शताब्दी से लेकर 8वीं शताब्दी तक देखने को मिलता है. मैत्रक वंश के शासकों ने गुजरात और सौराष्ट्र (काठियावाड़) में शासन किया था. इस वंश के शासकों ने बहुत धार्मिक कार्य किए. इनका शासनकाल बौद्ध धर्म के लिए विशेष माना जाता हैं. मैत्रक वंश की उत्पत्ति 5 वीं शताब्दी में हुई. विभिन्न धार्मिक स्थानों को इन्होंने विशेष संरक्षण प्रदान किया था. भट्टारक जो कि गुप्त साम्राज्य के अधिनस्थ सौराष्ट्र के राज्यपाल थे उन्होंने इस वंश की स्थापना की थी. इन्हें वल्लभी के मैत्रक नाम से भी जाना जाता हैं. मैत्रक वंश का इतिहास बताता हैं कि इस वंश के राजा हिंदू धर्म को मानने वाले थे. इस लेख में हम मैत्रक वंश का इतिहास और इसकी उत्पत्ति के सम्बंध में विस्तृत रूप से जानेंगे. मैत्रक वंश का इतिहास मैत्रक वंश का इतिहास जानने से पहले संक्षिप्त में मुख्य जानकारी निम्न हैं- मैत्रक वंश की राजधानी- वल्लभी. मैत्रक वंश का संस्थापक- भट्टारक. धर्म- हिंदू, सनातन. सरकार- राजतंत्र. शासनकाल- 5वीं शताब्दी से लेकर 8वीं शताब्दी तक. शासन का क्षेत्र- गुजरात और सौराष्ट्र. मैत्रक वंश का अंतिम शासक – शि...

पश्चिमी गंग वंश सामान्य ज्ञान (Paschimi Gang Vansh GK).

पश्चिमी गंग वंश सामान्य ज्ञान एक महत्वपूर्ण और परीक्षोपयोगी टॉपिक हैं. पश्चिमी गंग वंश भारत का एक प्राचीन राजवंश था, जिसने कर्नाटक पर राज्य किया. पश्चिमी गंग वंश का शासन काल या अस्तित्व 350 ईस्वी से 1000 ईस्वी तक रहा. पल्लव वंश के पतन के साथ ही बहुत से स्वतंत्र राज्यों और शासकों का उदय हुआ, जिनमें पश्चिमी गंग वंश के शासक भी शामिल थे. पश्चिमी गंग वंश सामान्य ज्ञान पश्चिमी गंग वंश सामान्य ज्ञान से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर निम्नलिखित हैं- 1. पश्चिमी गंग वंश के शासक किस गोत्र के थे? उत्तर- काण्वायन गौत्र. 2. पश्चिमी गंग वंश ने कहां पर शासन किया था? उत्तर- कर्नाटक. 3. पश्चिमी गंग वंश का शासनकाल क्या था? उत्तर- 350 ईस्वी से 1000 ईस्वी तक. 4. पश्चिमी गंग वंश की प्रारंभिक राजधानी क्या थी? उत्तर- कोलार (कुलवुल). 5. कोलार के बाद गंग वंश ने किसे अपनी राजधानी बनाया? उत्तर- तलवाड़ ( तलवनपुर, मैसूर). 6. पश्चिमी गंग वंश के संस्थापक कौन थे? उत्तर- दिदिग. 7. पश्चिमी गंग वंश का प्रथम राजा कौन था? उत्तर- कोंगानिवर्मन. 8. पश्चिमी गंग वंश की उत्पत्ति किस वंश से मानी जाती है? उत्तर- इक्...

पश्चिमी गंग वंश का इतिहास और संस्थापक || History Of Paschimi Gang Vansh

पश्चिमी गंग वंश का इतिहास – पश्चिमी गंग वंश भारत का एक प्राचीन राजवंश था, जिसने कर्नाटक पर राज्य किया. पश्चिमी गंग वंश का शासन काल या अस्तित्व 350 ईस्वी से 1000 ईस्वी तक रहा. पल्लव वंश के पतन के साथ ही बहुत से स्वतंत्र राज्यों और शासकों का उदय हुआ, जिनमें पश्चिमी गंग वंश के शासक भी शामिल थे. पश्चिमी गंग वंश का इतिहास बताता हैं कि पश्चिमी गंग वंश की स्थापना के समय इसकी राजधानी कोलार थी, जो बाद में तलवाड़ (मैसूर) जो कि कावेरी नदी के तट पर स्थित था में स्थानांतरित कर दी गई. पश्चिमी गंग वंश के संस्थापक दिदिग थे. इस लेख में हम पश्चिमी गंग वंश के संस्थापक और पश्चिमी गंग वंश का इतिहास और स्थापना के बारे में विस्तृत रूप से जानेंगे. पश्चिमी गंग वंश का इतिहास (History Of Paschimi Gang Vansh) पश्चिमी गंग वंश का संस्थापक- दिदिग. पश्चिमी गंग वंश का कार्यकाल- 350 ईस्वी से 1000 ईस्वी तक. पश्चिमी गंग वंश का प्रथम राजा- कोंगानिवर्मन. पश्चिमी गंग वंश की राजधानी, प्रारंभिक- कोलार (कुलवुल). पश्चिमी गंग वंश की राजधानी उत्तरवर्ती- तलवाड़ (तलवनपुर). पश्चिमी गंग वंश का शासन क्षेत्र- कर्नाटक और सम...

चेर वंश सामान्य ज्ञान (Cher Vansh Gk)

चेर वंश सामान्य ज्ञान (Cher Vansh Gk)- चेर वंश दक्षिण भारत का बहुत प्राचीन राजवंश हैं. हमारे देश में आयोजित कई प्रतियोगी परीक्षाओं में चेर वंश सामान्य ज्ञान से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं. cher vansh gk उन परीक्षाओं के लिए ज्यादा उपयोगी हैं जिनमें सम्पूर्ण भारत का इतिहास पूछा जाता हैं. विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रकते हुए चेर वंश सामान्य ज्ञान पश्नों का चयन किया गया हैं. चेर वंश सामान्य ज्ञान (Cher Vansh Gk) चेर वंश सामान्य ज्ञान (Cher Vansh Gk) से समबन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर निम्नलिखित हैं- 1. चेर वंश का प्रथम शासक कौन था ? उत्तर- उदियन जेरल. 2. चेर वंश का संस्थापक कौन था ? उ त्तर- उदियन जेरल. 3. चेर वंश का साम्राज्य कहाँ पर था ? उत्तर- केरल और तमिलनाडु में पांड्या देश के उत्तर और पश्चिम में पहाड़ों और समुद्र के बीच में स्थित था. 4. चेर साम्राज्य को अन्य किस नाम से जाना जाता हैं ? उत्तर- मलैयर, पौरयार, कुट्टुवर , बनावर,केरलपुत्र, कुडावार और विल्लवर आदि नामों से भी जाना जाता हैं. 5. चेर वंश की राजधानी क्या थी ? उत्तर- वंजी. 6. “पुरम” किसकी र...

चेर राजवंश का इतिहास || History Of Cher Vansh

चेर राजवंश का इतिहास दक्षिण भारत से जुड़ा हुआ है. जो आधुनिक कोंकण, मालाबार का तटीय क्षेत्र तथा उत्तरी त्रावणकोर एवं कोचीन तक फैला हुआ था. चेर राजवंश तमिलकम (दक्षिण भारत) के तीन मुख्य राजवंशों में से एक था. इस राजवंश के शासकों ने तमिलनाडु तथा केरल के कुछ हिस्सों पर राज्य किया था. चेर का शाब्दिक अर्थ “प्राचीन तमिल में एक पहाड़ी की ढलान” से है. चेर राजवंश के शासकों के बारे में कहा जाता है कि इन्होंने 8 वीं शताब्दी से लेकर 12 वीं शताब्दी तक शासन किया था. चेर राजवंश का प्रथम शासक उदियन जेरल को माना जाता हैं. इस लेख में हम चेर राजवंश का इतिहास और राजधानी की चर्चा करेंगे। चेर राजवंश का इतिहास प्रथम चेर शासक:- उदियन जेरल . चेर वंश की राजधानी- कीज़न्थुर-कंडल्लूर और करूर वांची. चेराें का राजकीय चिन्ह- धनुष. शासनकाल- चौथी से पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व और 8 वीं से 12 वीं शताब्दी के मध्य. चेर राजवंश का अंतिम शासक- पेरुन जेरल इंरनपोरी. चेर राजवंश के बारे में प्रारंभिक जानकारी ऐतरेय ब्राह्मण में उल्लेखित चेरपादः से प्राप्त होती है. “संगम साहित्य” और “रघुवंश महाकाव्य...

विक्रम संवत की शुरुआत इतिहास || History Of Vikram Sanvat

विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसा पूर्व हुए थी. हिंदू धर्म में विक्रम संवत का महत्वपूर्ण स्थान है. विक्रम संवत से पहले भी कई संवत चलते थे जिनमें कलयुग संवत, सप्तर्षि संवत् और युधिष्ठिर संवत् मुख्य थे. सप्तर्षि संवत् की शुरुआत 3076 ईस्वी पूर्व जबकि कलयुग संवत की शुरूआत 3102 ईस्वी पूर्व हुई थी. इसी दौर में युधिष्ठिर संवत् भी प्रचलन में था. लेकिन इन सभी संवतों में एक कॉमन बात यह थी कि सभी की शुरूआत चैत्र प्रतिपदा से होती थी. ऊपर वर्णित कलयुग संवत्, सप्तर्षी संवत् और युधिष्ठिर संवत् में कई खामियां थी जिनके चलते विक्रम संवत की शुरुआत हुई. विक्रम संवत की शुरुआत सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा आज से लगभग 2079 वर्ष पूर्व की गई अर्थात् 57 ईसा पूर्व में विक्रम संवत की शुरुआत हुई थी. विक्रम संवत अत्यंत प्राचीन है, सांस्कृतिक इतिहास दृष्टि से यह सर्वाधिक प्रचलित और लोकप्रिय हैं. ऐसा कहा जाता है कि सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने अपने साम्राज्य का संपूर्ण ऋण चुका कर जिसमें आम आदमी भी शामिल थे इस संवत् की शुरुआत की थी. विक्रम संवत का इतिहास (History Of Vikram Sanvat) विक्रम संवत की शुरुआत कब हु...

चोल वंश सामान्य ज्ञान || Chola Vansh GK

चोल वंश सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी (Chola Vansh GK) विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक हैं. इस लेख में चोल वंश से सम्बंधित सामान्य ज्ञान के उन सभी प्रश्नो का समावेश किया गया हैं जो पिछली परीक्षाओं में पूछे जा चुके हैं. चेर वंश सामान्य ज्ञान चोल वंश सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी (Chola Vansh GK) चोल वंश सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी (Chola Vansh GK) से सम्बंधित 124 अतिमहत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी का समावेश- 1. चोलों के समय का बृहदेश्वर मन्दिर कहाँ स्थित हैं? (SSC CGL 2016). उत्तर- तंजावुर. 2. किस भारतीय राजा ने पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों को जीतने के लिए नौसैनिक शक्ति का इस्तेमाल किया था? (RRB NTPC 2016).   उत्तर- राजेंद्र चोल. 3. किस चोल शासक ने मालदीव के द्वीपों पर दरियाई जीत हासिल की थी? (RRB NTPC 2016). उत्तर- राजराज. 4. बृहदेश्वर मंदिर शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर हैं जो तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित है. यह __________ के सिहासन की शोभा बढ़ाने के लिए बनाया गया था? (RRB NTPC 2016). उत्तर- चोल साम्राज्य. 5. पूर्व चोल राजाओं में से किसे सबसे महान माना जाता हैं? ...

चोल साम्राज्य या चोल वंश का इतिहास || History Of Chola Empire

चोल साम्राज्य या चोल वंश का इतिहास देखा जाए तो इस समय में भारत सोने की चिड़िया कहलाता था. लेकिन आज चोल वंश का इतिहास बहुत कम लोग जानते हैं. भारत का यह प्राचीन राजवंश दक्षिण भारत और आसपास के अन्य देशों तक फैला हुआ था. इस अत्यंत शक्तिशाली साम्राज्य का शासनकाल 9वीं शताब्दी से 13वीं शताब्दी के मध्य माना जाता है. विजयालय (850-871 ईस्वी) नामक सम्राट को चोल साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है. इस राजवंश के बारे में महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक जानकारी पाणिनी कृत अष्टाध्यायी से मिलती है, इसके अलावा कात्यायन द्वारा रचित ‘वार्टिक’, संगम साहित्य, पेरिप्लस ऑफ़ द इरीथ्रियन सी और टोलमी के साथ साथ महाभारत जैसे विभिन्न ऐतिहासिक स्त्रोतों से हमें चोल वंश के इतिहास के संबंध में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जानकारी प्राप्त होती हैं. इस लेख के माध्यम से हम चोल साम्राज्य या चोल वंश का इतिहास बारीकी से जानने की कोशिश करेंगे. चोल साम्राज्य या चोल वंश का इतिहास (Chola vansh History In Hindi) चोल साम्राज्य की पहली राजधानी- उत्तरी मनलूर. चोलों का राजकीय चिन्ह- बाघ. चोल राज्य के अन्य नाम- किल्ली, नेनई, सोग्बीदास...

चालुक्य वंश सामान्य ज्ञान || Chalukya Vansh Gk

चालुक्य वंश सामान्य ज्ञान विभिन्न प्रतियोगी परिक्षाओं हेतु एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक हैं. चालुक्य वंश सामान्य ज्ञान के 70 महत्वपूर्ण प्रश्नों का समावेश किया गया हैं, जो निश्चित रूप से विद्यार्थियों के लिए परीक्षापयोगी साबित होंगे। चालुक्य वंश सामान्य ज्ञान (Chalukya Vansh Gk) 1. बादामी के चालुक्य राजवंश का संस्थापक कौन था? उत्तर- पुलकेशी प्रथम. 2. शिलालेखों में सत्यश्री, वल्लभा और धर्म महाराज के रूप में किसका उल्लेख मिलता है?   उत्तर- पुलकेशी प्रथम. 3. चालुक्य शासक पुलकेशी प्रथम के पिता का नाम क्या था? उत्तर- रणराग. 4. पुलकेशी प्रथम ने कौन कौन सी उपाधियां धारण की थी? उत्तर- सत्याश्रय, पृथ्वीवल्लभराज, रणविक्रम, धर्म महाराज और राजसिंह जैसी उपाधियां धारण की थी. 5. स्वर्ण सिक्का जारी करने वाला दक्षिण भारत में पहला शासक कौन था? उत्तर- पुलकेशी प्रथम. 6. किस अभिलेख से यह पता चलता है कि चालूक्यों के सामंत दंतीदुर्ग (राष्ट्रकूट) ने कीर्तिवर्मन द्वितीय को पराजित किया था? उत्तर- समनगढ़ अभिलेख. 7. किस चालुक्य शासक के शासन में प्रसिद्ध विरुपक्ष मंदिर (लोकेश्वर मंदिर) और मल्लिकार्जुन मंद...